आयुष्मान भारत: सात वर्षों का स्वर्णिम सफर और नारी सशक्तिकरण की नई उड़ान

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दिल्ली। भारत, जहां विविधता और विशालता एक साथ सांस लेती हैं, उस देश ने आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) केमाध्यम से अपने नागरिकों के स्वास्थ्य को सुरक्षित करने का एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। 23 सितंबर 2018 को शुरू हुई यह योजना, 2025 में अपने सातसाल पूरे कर चुकी है और दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य बीमा योजना बन गई है। यह 50 करोड़ से अधिक गरीब और असुरक्षित लोगों को प्रति परिवारप्रतिवर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करती है। इस नवरात्रि के पावन अवसर पर, जब हम माँ दुर्गा की आराधना करते हैं, यह योजना ‘नारीतू नारायणी’ के संदेश को साकार करती है, जो नारी को शक्ति, आत्मनिर्भरता और सम्मान का प्रतीक बनाती है।

आयुष्मान भारत ने न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाया, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नवरात्रि में हम माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं, जो नारी शक्ति का प्रतीक हैं—‘हे नारी! तू काली है, तू दुर्गा है, तू नारायणी, जगदम्बा है।’ ठीक उसी तरह, आयुष्मान भारत ने महिलाओं को स्वास्थ्य के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया है। अब महिलाएं अपने और अपने परिवार के इलाज के लिए किसी पर निर्भर नहीं हैं। इस योजना के तहत 34.7 करोड़ आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से एक बड़ा हिस्सा महिलाओं के नाम पर है। विशेष रूप से, हाल ही में शुरू किए गए आयुष्मान वय वंदना कार्ड में 75.41 लाख कार्डों में से 32.3 लाख महिलाओं के लिए हैं, जो यह दर्शाता है कि महिलाएं इस योजना की मुख्य लाभार्थी हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों ने पिछले सात वर्षों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में अभूतपूर्व योगदान दिया है। उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना, और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं ने जहां महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया, वहीं आयुष्मान भारत ने उन्हें स्वास्थ्य के क्षेत्र में स्वावलंबी बनाया। अब ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाएं, चाहे वे दिहाड़ी मजदूर हों, घरेलू कामगार हों या छोटे व्यवसायों से जुड़ी हों, बिना आर्थिक चिंता के गंभीर बीमारियों का इलाज करवा सकती हैं। यह नारी शक्ति का वह उत्सव है, जो नवरात्रि के पावन पर्व पर माँ दुर्गा की कृपा से और सशक्त होता है।

आयुष्मान भारत ने स्वास्थ्य सेवाओं को लोकतांत्रिक बनाया है। 27,000 से अधिक पैनल अस्पतालों के साथ, यह योजना ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में समान रूप से प्रभावी है। अस्पताल में भर्ती से लेकर जटिल सर्जरी, कैंसर, हृदय रोग और किडनी संबंधी बीमारियों तक, यह योजना गरीब परिवारों के लिए वरदान साबित हुई है। डिजिटल इंडिया के साथ एकीकृत, आधार-लिंक्ड पहचान और ऑनलाइन रिकॉर्ड ने पारदर्शिता सुनिश्चित की है। परिवहन व्यय और भर्ती से पहले और बाद के खर्चों को शामिल करने से मरीजों पर आर्थिक बोझ कम हुआ है।

हाल ही में, 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों को इस योजना में शामिल करने का निर्णय लिया गया, जिससे 6 करोड़ बुजुर्ग लाभान्वित होंगे। यह कदम समाज के उन वरिष्ठ नागरिकों, विशेषकर महिलाओं के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो जीवनभर परिवार और समाज की सेवा करती हैं। आयुष्मान वय वंदना कार्ड के तहत 1.06 लाख क्लेम सेटल किए गए हैं, जो योजना की त्वरित कार्यप्रणाली को दर्शाता है।

दिल्ली के 35वें राज्य के रूप में इस योजना में शामिल होने से यह स्पष्ट है कि आयुष्मान भारत की स्वीकार्यता राष्ट्रव्यापी है। केवल पश्चिम बंगाल ही अब इस योजना से बाहर है, और हम आशान्वित हैं कि वह भी जल्द इसका हिस्सा बनेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमिहीन परिवार, अनुसूचित जाति-जनजाति, और दिव्यांग व्यक्तियों को प्राथमिकता दी गई है, जबकि शहरी क्षेत्रों में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को शामिल किया गया है। यह सुनिश्चित करता है कि समाज का सबसे कमजोर वर्ग इस योजना का लाभ उठाए।

हालांकि आयुष्मान भारत ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है, फिर भी कुछ चुनौतियां बाकी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी, निजी अस्पतालों की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता, और डिजिटल प्रक्रियाओं को और सरल बनाने की जरूरत है। सरकार इन मुद्दों पर लगातार काम कर रही है ताकि यह सुनिश्चित हो कि कोई भी पात्र व्यक्ति इस योजना से वंचित न रहे।

नवरात्रि का यह पावन पर्व हमें नारी शक्ति की याद दिलाता है। ‘नारी तू है नारायणी, तुझसे ही संसार बना’—यह भाव आयुष्मान भारत के माध्यम से साकार हो रहा है। जिस तरह माँ दुर्गा असुरों का संहार कर संसार को रक्षा प्रदान करती हैं, उसी तरह यह योजना गरीब और असुरक्षित परिवारों को बीमारी के दानव से बचाती है। विशेष रूप से, महिलाओं के लिए यह योजना एक वरदान है, जो उन्हें न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा देती है, बल्कि आत्मनिर्भरता का नया आत्मविश्वास भी प्रदान करती है।

प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी नीतियों ने इस दिशा में ऐतिहासिक बदलाव लाए हैं। महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सशक्त बनाने का उनका संकल्प आयुष्मान भारत के माध्यम से स्पष्ट दिखाई देता है। यह योजना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि भारत एक ऐसा राष्ट्र है, जहां हर नागरिक, विशेषकर नारी, सम्मान और सुरक्षा के साथ जीवन जी सकती है।

आयुष्मान भारत केवल एक स्वास्थ्य बीमा योजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति है। यह भारत के हर कोने में स्वास्थ्य समानता लाने का प्रयास है। नवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर, जब हम माँ दुर्गा की शक्ति का उत्सव मना रहे हैं, आयुष्मान भारत हमें यह विश्वास दिलाता है कि नारी शक्ति के बिना कोई समाज समृद्ध नहीं हो सकता। यह योजना गरीबों के लिए आशा की किरण है और भारत को स्वस्थ, समृद्ध और सशक्त राष्ट्र बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है। हमारा संकल्प है कि इसे और समावेशी, प्रभावी और मजबूत बनाया जाए, ताकि भारत विश्व मंच पर एक स्वस्थ और सशक्त राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान और मजबूत कर सके।

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