युवकों ने पहले शरीफ ओसमान हादी की मौत की कवरेज पर सवाल उठाए, जिसे अपर्याप्त बताया। हादी, जो 2024 के छात्र आंदोलन के प्रमुख नेता थे और अंतरिम सरकार के आलोचक, की सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद देशभर में हिंसा भड़की, जिसमें प्रथम आलो और डेली स्टार के ऑफिसों पर हमला कर आग लगा दी गई। कई पत्रकार घंटों तक इमारतों में फंसकर जान जोखिम में डालकर बचाए गए।

नाज़नीन मुन्नी ने फेसबुक पोस्ट में इस धमकी की पुष्टि की और कहा कि यह मीडिया पर लगातार हमलों का हिस्सा है। उन्होंने किसी राजनीतिक दल से जुड़े होने से इनकार किया। चैनल प्रबंधन ने सुरक्षा कारणों से उन्हें कुछ दिनों तक ऑफिस न आने की सलाह दी है। मुन्नी ने इंडिया टुडे को बताया कि पिछले 15 दिनों में धमकियां बढ़ गई हैं।
एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट ने खुद को इस घटना से अलग कर लिया है। उनका कहना है कि एक सदस्य ने बिना निर्देश के मेमोरैंडम दिया था, जिसमें आग लगाने का जिक्र नहीं था।
मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के कार्यकाल में मीडिया पर हमले बढ़े हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे ह्यूमन राइट्स वॉच और सीपीजे ने इन हमलों की निंदा की है। प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में बांग्लादेश पहले से ही निचले पायदान पर है। फरवरी 2026 के चुनाव से पहले यह हिंसा लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही है। दुनिया भर में मीडिया पर दबाव की निंदा होती है, बांग्लादेश में हो रहे ये कृत्य भी निंदनीय हैं।



