एक सामान्य दिन दिल्ली में
दिल्ली की एक व्यस्त कॉलोनी में रहने वाला 25 साल का राहुल अपने ऑफिस से घर लौटता है। थकान भरे दिन के बाद वह अपने फोन पर कुछ समय बिताना चाहता है। इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर कुछ देर स्क्रॉल करने के बाद, उसका ध्यान एक लिंक पर जाता है, जिसमें लिखा है, ‘रात की सबसे रोमांचक कहानी।’
जिज्ञासा में वह क्लिक करता है और एक ऐसी कहानी में खो जाता है, जिसमें रोमांस, फंतासी और सेक्स का मिश्रण है। यह कहानी उसे एक ऐसी दुनिया में ले जाती है, जो उसके रोजमर्रा के जीवन से बिल्कुल अलग है।
राहुल अकेला नहीं है। भारत में लाखों लोग, खासकर युवा, ऐसी कहानियों की ओर आकर्षित होते हैं। एक सर्वे के अनुसार, भारत में 70% से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता 18-35 वर्ष की आयु के हैं, और इनमें से एक बड़ा हिस्सा ऑनलाइन सामग्री, जिसमें कामुक कहानियाँ शामिल हैं, का उपभोग करता है। लेकिन सवाल यह है कि ऐसा क्यों?
निषिद्धता का आकर्षण
भारत में सेक्स को अक्सर एक वर्जित विषय माना जाता है। परिवारों में इस पर खुलकर बात नहीं होती, और स्कूलों में यौन शिक्षा या तो सीमित है या पूरी तरह अनुपस्थित। 2018 में यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में केवल 36% किशोरों को ही स्कूलों में यौन शिक्षा से संबंधित कोई औपचारिक जानकारी मिलती है। इस कमी के कारण, लोग अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की ओर रुख करते हैं। सेक्स से जुड़ी कहानियाँ इस जिज्ञासा को न केवल संतुष्ट करती हैं, बल्कि निषिद्धता का रोमांच भी प्रदान करती हैं। मनोवैज्ञानिक रूप से, जब कोई चीज निषिद्ध होती है, तो उसका आकर्षण बढ़ जाता है। राहुल जैसे युवा, जो सामाजिक दबावों में बंधे हैं, इन कहानियों में एक तरह की आजादी महसूस करते हैं।
सांस्कृतिक दमन और फंतासी
भारत का सामाजिक ढांचा ऐसा है कि सेक्स को अक्सर शादी के दायरे में ही स्वीकार्य माना जाता है। खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में, यौन इच्छाओं को व्यक्त करना सामाजिक रूप से अस्वीकार्य है। इस दमन के कारण, लोग अपनी फंतासियों को कहानियों के माध्यम से जीते हैं। ये कहानियाँ एक सुरक्षित स्थान प्रदान करती हैं, जहाँ कोई सामाजिक निर्णय नहीं होता। उदाहरण के लिए, एक लोकप्रिय हिंदी वेबसाइट, जो कामुक कहानियाँ प्रकाशित करती है, हर महीने लाखों विजिटर प्राप्त करती है। यह दर्शाता है कि लोग गुमनाम रूप से अपनी इच्छाओं को तलाशना चाहते हैं।
इंटरनेट: एक नया द्वार
राहुल की कहानी में इंटरनेट एक बड़ा किरदार निभाता है। 2025 तक भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 900 मिलियन से अधिक हो चुकी है, जैसा कि स्टेटिस्टा की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। सस्ते स्मार्टफोन्स और डेटा प्लान्स ने ऑनलाइन सामग्री को हर किसी की पहुँच में ला दिया है। यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म भी ऐसी सामग्री को परोक्ष रूप से बढ़ावा देते हैं। इस वीडियो में, भले ही कहानी सीधे तौर पर कामुक न हो, लेकिन रोमांस और इमोशनल ड्रामा जैसे तत्व लोगों को आकर्षित करते हैं। इंटरनेट ने ऐसी कहानियों को गुमनाम और सुलभ बनाया है, जिससे लोग बिना किसी डर के इन्हें पढ़ सकते हैं।
प्राचीन परंपरा और आधुनिक रूप
भारत में कामुक साहित्य कोई नई बात नहीं है। कई प्राचीन ग्रंथ इस बात का प्रमाण हैं कि यौन विषयों को कभी खुलकर स्वीकार किया जाता था। मध्यकालीन भक्ति कविताओं में भी प्रेम और कामुकता को आध्यात्मिक रूप में प्रस्तुत किया गया। आधुनिक समय में इसका ऐसी कहानियों का स्तर गिर गया। उसकी तुलना खजुराहों की शास्त्रीय परंपरा से करना आज कल फैशन बन गया है। समझना होगा कि सिमोन द बोउआर की द सेकेंड सेक्स और मस्तराम की पीली पन्नी में लपेट कर बस स्टैंड पर बिकने वाली किताबों के बीच तुलना नहीं की जा सकती।
आज सेक्स से जुड़ी कहानियां आम तौर पर कुंठा जनित है। उसमें कोई कल्पना नहीं है और ना कलात्मकता दिखाई देती है। अब सिर्फ कहने के लिए यह परंपरा ऑनलाइन कहानियों, उपन्यासों और वेबसीरीज के रूप में जीवित है। उदाहरण के लिए, ऑल्ट बालाजी और उल्लू जैसे प्लेटफॉर्म्स पर क्या आ रहा है?
तनाव मुक्ति और मनोरंजन
राहुल जैसे कई लोग इन कहानियों को तनाव मुक्ति के साधन के रूप में देखते हैं। एक लंबे, थकाऊ दिन के बाद, ऐसी कहानियाँ एक पलायन का रास्ता देती हैं। मनोवैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, फंतासी और काल्पनिक कहानियाँ दिमाग को रिलैक्स करने में मदद करती हैं। भारत जैसे देश में, जहाँ काम का दबाव और सामाजिक अपेक्षाएँ बहुत अधिक हैं, ये कहानियाँ एक तरह का मानसिक सुकून प्रदान करती हैं।
सामाजिक बदलाव और युवा सोच
आज का युवा भारत पहले से कहीं अधिक खुला है। शहरीकरण और वैश्वीकरण ने उनकी सोच को बदला है। नेटफ्लिक्स, यूट्यूब और अन्य वैश्विक प्लेटफॉर्म्स ने यौन संबंधों को सामान्य बनाने में मदद की है। 2023 के एक सर्वे में पाया गया कि 60% शहरी युवा सेक्स को एक स्वाभाविक और स्वस्थ गतिविधि मानते हैं। इस बदलाव के साथ, सेक्स से जुड़ी कहानियाँ अब केवल फंतासी नहीं, बल्कि एक तरह की सामाजिक जिज्ञासा को भी पूरा करती हैं।
नकारात्मक पहलू
हालांकि, इन कहानियों की लोकप्रियता के कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। कई बार ये कहानियाँ अवास्तविक उम्मीदें पैदा करती हैं, खासकर युवाओं में। गलत जानकारी या अतिशयोक्तिपूर्ण चित्रण यौन संबंधों को लेकर भ्रांतियाँ बढ़ा सकता है। साथ ही, कुछ लोग इसे नैतिक दृष्टि से गलत भी मानते हैं। समाज में खुली और वैज्ञानिक यौन शिक्षा की कमी इन समस्याओं को और बढ़ाती है।
राहुल की कहानी भारत के लाखों लोगों की कहानी है। सेक्स से जुड़ी कहानियाँ न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि समाज की जटिलताओं, दमन और जिज्ञासा का प्रतिबिंब भी हैं। इंटरनेट ने इस आकर्षण को और बढ़ाया है, लेकिन मूल कारण हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना में छिपा है। यदि समाज में यौन शिक्षा और खुली बातचीत को बढ़ावा दिया जाए, तो शायद इन कहानियों पर निर्भरता कम हो सकती है। तब तक, ये कहानियाँ भारत के डिजिटल परिदृश्य का एक अभिन्न हिस्सा बनी रहेंगी।