नई दिल्ली – भारत के राजनीतिक परिदृश्य में एक बार फिर हलचल मची हुई है। मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से अचानक इस्तीफे के बाद कल, 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव ने सभी दलों को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने पर मजबूर कर दिया है। यह चुनाव न केवल राजनीतिक गठबंधनों की मजबूती की परीक्षा है, बल्कि विपक्षी इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) की कथित साजिशों को भी उजागर करने का मौका दे रहा है। चुनाव आयोग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, यह चुनाव अप्रत्याशित रूप से जल्दी हो रहा है, और इसमें संसद सदस्यों (लोकसभा और राज्यसभा) के वोट निर्णायक होंगे। एनडीए (NDA) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार बनाया है, जबकि इंडिया ब्लॉक ने पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुधर्शन रेड्डी को मैदान में उतारा है। लेकिन इस चुनाव के पीछे की कहानी सिर्फ उम्मीदवारों तक सीमित नहीं है; सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबरें इंडिया गठबंधन की गुप्त योजनाओं की ओर इशारा कर रही हैं, जो चुनाव जीतने के लिए हर संभव हथकंडा अपनाने को तैयार दिखती हैं।
चुनाव की पृष्ठभूमि में देखें तो जगदीप धनखड़ का इस्तीफा 21 जुलाई 2025 को आया, जो राजनीतिक हलकों में आश्चर्य का विषय बना। विकिपीडिया और अन्य स्रोतों के अनुसार, यह इस्तीफा स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से जुड़ा है, लेकिन कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह मोदी सरकार की आंतरिक कलह का नतीजा हो सकता है। चुनाव आयोग ने 7 अगस्त को सार्वजनिक नोटिस जारी किया, जिसमें चुनाव की तारीख 9 सितंबर तय की गई। एनडीए की ओर से राधाकृष्णन का नामांकन एक रणनीतिक कदम है, क्योंकि वे दक्षिण भारत से जुड़े हैं और भाजपा की दक्षिणी विस्तार योजना का हिस्सा माने जा रहे हैं। न्यूज ऑन एयर और हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनडीए को लोकसभा और राज्यसभा में कुल 438 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जो बहुमत के लिए पर्याप्त है। वहीं, इंडिया ब्लॉक के पास 321 सदस्यों का समर्थन है, लेकिन बीजद (BJD) के सात सांसदों ने मतदान से दूर रहने का फैसला किया है, जो एनडीए के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। बीजद नेता सस्मित पात्रा ने कहा कि उनकी पार्टी दोनों गठबंधनों से समान दूरी बनाए रखेगी।
अब बात इंडिया गठबंधन की रणनीति की। गठबंधन ने सुधर्शन रेड्डी को चुनकर न्यायिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार पर दांव लगाया है, जो संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का प्रतीक माना जा रहा है। लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर वायरल हो रही पोस्ट्स से पता चलता है कि गठबंधन की असली योजना चुनाव जीतने के लिए साजिशों पर आधारित है। उदाहरण के लिए, एक पोस्ट में दावा किया गया है कि इंडिया गठबंधन फर्जी न्यूज फैक्ट्री चला रहा है, जिसमें फेक सर्वे और फेक अखबारों के जरिए जनता को गुमराह किया जा रहा है। विजय पटेल नामक यूजर ने एक थ्रेड में लिखा कि अप्रैल 2024 में गठबंधन के आधिकारिक हैंडल्स ने फेक सर्वे फैलाए, जिससे उन्हें लोकसभा चुनाव में फायदा हुआ। यह साजिश उपराष्ट्रपति चुनाव में भी दोहराई जा रही है, जहां ईवीएम (EVM) मैनिपुलेशन और वोटर लिस्ट में हेरफेर के आरोप लगाए जा रहे हैं।
इंडिया गठबंधन की साजिशों को एक्सपोज करने के लिए सोशल मीडिया एक प्रमुख स्रोत साबित हो रहा है। कई यूजर्स ने दावा किया है कि गठबंधन ईवीएम को ब्लेम करके देश में अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहा है। एमआर सिन्हा नामक यूजर ने जून 2024 में पोस्ट किया कि चुनाव नतीजों के बाद इंडिया गठबंधन ईवीएम पर आरोप लगाकर सिविल वॉर जैसी स्थिति पैदा करने की योजना बना रहा है, और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के जरिए मोदी सरकार को बदनाम करेगा। उनका उद्देश्य सरकार बनाना नहीं, बल्कि भारत को अस्थिर करना है। इसी तरह, एक अन्य पोस्ट में हरदीप सिंह किंगरा ने आरोप लगाया कि भाजपा और आम आदमी पार्टी (AAP) मिलकर वोटर लिस्ट मैनिपुलेट कर रही हैं, लेकिन यह इंडिया गठबंधन की बड़ी साजिश का हिस्सा है। मिसाभ नामक यूजर ने सितंबर 2025 में पोस्ट किया कि चुनाव आयोग और भाजपा की मिलीभगत से एपिक (EPIC) स्कैम चल रहा है, जिसमें वोट चोरी हो रही है, और यह ममता बनर्जी द्वारा पकड़ा गया।
ये साजिशें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फैली हुई लगती हैं। स्टार बॉय तरुण नामक यूजर ने अक्टूबर 2024 में दावा किया कि इंडिया गठबंधन की चुनावी रणनीति अमेरिकी विश्वविद्यालयों में तैयार की गई, और डीप स्टेट से जुड़ी एनजीओ ने 2021-2023 में फंडिंग की। फ्लाइट लेफ्टिनेंट अनूप वर्मा (रिटायर्ड) ने दिसंबर 2024 में पोस्ट किया कि वर्ल्ड फार्मा, आर्म्स और ऑयल लॉबी, पाकिस्तान की आईएसआई, चीन, यूएस डीप स्टेट और खालिस्तान लॉबी सब मिलकर मोदी को हटाने की कोशिश कर रहे हैं, और इंडिया गठबंधन इसका माध्यम है। उनका उद्देश्य हिंदू वोटों को बांटना है, जो चुनाव में निर्णायक साबित हो सकता है। रवींद्र कपूर नामक यूजर ने अगस्त 2025 में पोस्ट किया कि राहुल गांधी की बिहार में वोटर अधिकार यात्रा ईवीएम मैनिपुलेशन को एक्सपोज करने का बहाना है, और इंडिया गठबंधन सुधर्शन रेड्डी को भारी बहुमत से जिताने की योजना बना रहा है। टाइम्स नाउ की पोस्ट के अनुसार, इंडिया ब्लॉक ने 8 सितंबर को मॉक पोल आयोजित किया ताकि उनके सांसद वोटिंग की ट्रेनिंग ले सकें, और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने उनका समर्थन किया।
इन साजिशों में फर्जी आईडी और वोटर मैनिपुलेशन का भी जिक्र है। सक्थिवेल नामक यूजर ने सितंबर 2025 में दावा किया कि भाजपा 2014 से लाखों फेक वोटर आईडी बना रही है, और ईवीएम में वोट भाजपा को ट्रांसफर हो जाते हैं। प्रोफेसर विक्टर विजय ने पोस्ट किया कि मोदी सरकार ने कानून बदलकर अमित शाह को नामित किया, और सीजेआई को हटाकर ईसीआई को अपराध से मुक्त कर दिया, जो लोकतंत्र की हाईजैकिंग है। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने जनवरी 2024 में कहा कि कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन की लीडरशिप चुराने की साजिश रची, और मल्लिकार्जुन खड़गे को पीएम फेस बनाने का प्रस्ताव ममता बनर्जी से करवाया।
एनडीटीवी और इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट्स से साफ है कि संख्याओं के लिहाज से एनडीए आगे है, लेकिन इंडिया गठबंधन की साजिशें चुनाव को प्रभावित कर सकती हैं। रवींद्र कपूर ने सितंबर 2025 में पोस्ट किया कि 9 सितंबर स्क्रिप्ट बदल सकता है, क्योंकि कोई पार्टी व्हिप नहीं है, और सांसद अपनी अंतरात्मा से वोट देंगे। चिक्कू नामक यूजर ने जून 2024 में कहा कि गठबंधन नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर फोकस कर रहा है, लेकिन नितिन गडकरी पर भी नजर रखें।
कुल मिलाकर, यह चुनाव भारत के लोकतंत्र की परीक्षा है। इंडिया गठबंधन की साजिशें – फेक न्यूज, ईवीएम मैनिपुलेशन, वोटर लिस्ट हेरफेर और अंतरराष्ट्रीय लॉबिंग – सोशल मीडिया पर खुलकर चर्चा में हैं। भाजपा महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम ने कहा कि एनडीए पूर्ण बहुमत से जीतेगा। लेकिन अगर ये साजिशें कामयाब हुईं, तो देश की स्थिरता खतरे में पड़ सकती है। चुनाव के नतीजे कल आएंगे, लेकिन सोशल मीडिया की ये खबरें पहले ही अलार्म बजा रही हैं।