काठमांडू : भारत और नेपाल के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भावनात्मक रिश्ते सदियों पुराने हैं। दोनों देशों के लोग एक-दूसरे को परिवार की तरह मानते हैं, लेकिन कुछ बाहरी ताकतें इस भाईचारे को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं। हाल के दिनों में नेपाल में सत्ता परिवर्तन को लेकर कुछ नकली सोशल मीडिया अकाउंट्स और प्रचार तंत्र सक्रिय हो गए हैं, जो झूठ फैलाकर भारत को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। ये ताकतें, जिनके पीछे पूरब और पश्चिम के कुछ देशों का हाथ बताया जाता है, मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़कर दोनों देशों के बीच अविश्वास पैदा करना चाहती हैं।
ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि नेपाल में सत्ता परिवर्तन के पीछे भारत का हाथ है या भारत ने पिछली सरकार का समर्थन किया, जो कथित तौर पर भारत के खिलाफ थी। ये सरासर झूठ है। भारत ने हमेशा नेपाल की संप्रभुता और आत्मनिर्णय के अधिकार का सम्मान किया है। भारत-नेपाल संबंध आपसी विश्वास और सहयोग पर टिके हैं, न कि हस्तक्षेप पर। दोनों देशों ने हमेशा एक-दूसरे के विकास और समृद्धि के लिए साथ दिया है, चाहे वह व्यापार, बुनियादी ढांचा, या आपदा राहत हो।
इन साजिशकर्ताओं का मकसद मंदिरों, संस्थाओं और सार्वजनिक स्थानों पर अशांति फैलाकर नेपाली जनता की भावनाओं को भड़काना है, ताकि इसका दोष भारत पर डाला जाए। सोशल मीडिया पर हजारों नकली अकाउंट्स भारतीय या नेपाली बनकर भड़काऊ पोस्ट कर रहे हैं, ताकि दोनों देशों के लोग आपस में उलझ जाएं। लेकिन भारत और नेपाल की जनता को इन झूठे प्रचारों के जाल में नहीं फंसना चाहिए।
हमें याद रखना होगा कि भारत और नेपाल के बीच का रिश्ता सिर्फ सीमाओं का नहीं, बल्कि दिलों का है। अगर कोई नेपाली भाई-बहन गलतफहमी में भारत के खिलाफ कुछ कह भी दे, तो हमें धैर्य और समझदारी से जवाब देना होगा। गुस्से में बहस करने से दुश्मनों को ही फायदा होगा। आइए, हम एकजुट होकर इन साजिशों को नाकाम करें और अपने भाईचारे को और मजबूत करें। भारत-नेपाल की दोस्ती अमर रहे!