भारतीय लोक कला की परम्परा एंव उसका समाजिक महत्व” विषय पर हुई संगोष्ठी

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बृजेश

दिनांक 27 अगस्त 2024: संस्कार भारती, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, स्थित दिल्ली के स्थापित्य कला केंद्र “कला संकुल” में प्रत्येक माह के अंतिम रविवार हो होने वाले मासिक संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया, अगस्त माह में “भारतीय लोक कला की परम्परा एंव उसका समाजिक महत्व” विषय पर आयोजित संगोष्ठी एवं कथक प्रस्तुति प्रमुख आकर्षण रहे।

संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बतौर वरिष्ठ रंगकर्मी श्रीमान राज उपाध्याय ने उपस्थित दर्शको लोककला के महत्व पर अपने विचार रखते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि “भारत की लोक परम्पराओं में एक सहज अपनापन और सामूहिकता का संस्कार होता है और यही हमें समाजिक सद्भाव एवं पारिवारिक रूप से जोड़े रखता है। उन्होंने लोककलाओं की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए भावी पीढ़ी को लोककलाओं की परम्पराओं को आगे बढ़ाने की दिशा में जागरूक करने हेतु प्रोत्साहन की आवश्यकताओं पर बल दिया। विशेष रूप से शैक्षिक माध्यम द्वारा भारतीय लोककलाओं के संयोजन एवं संवर्धन पर जोर दिया। ”

इसके साथ ही नृत्य विधा से सुश्री तरुषी राजोरा ने कथक नृत्य को कजरी शैली की कुशलता से प्रस्तुत किया एवं द्वितीय प्रस्तुति के रूप में युगल जोड़ी डॉ. अमित कुमार राय के गायन पर श्रीमती अंशनू ने कथक नृत्य में कजरी के भाव से सबका परिचय कराया। दोनों कलाकारों की प्रस्तुति सराहनीय हेतु उन्हें मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया।

उल्लेखनीय है भारतीय लोककलाओं पर आधारित विषयों पर प्रत्येक माह के अंतिम रविवार पर होने वाले इस कार्यक्रम में कला साधको के साथ साथ कला प्रेमियों की विशेष उपस्थिति रहती है।

कार्यक्रम में कला संकुल व्यवस्था प्रभारी दिग्विजय पाण्डेय संगोष्ठी संयोजिका श्रुति सिन्हा, कार्यक्रम संचालिका गरिमा रानी सहित आँचल कुमारी, बृजेश, सुश्री नंदिनी, कुमारी, निधि तिवारी,सुश्री , शिवम सहित समस्त कला संकुल परिवार के सदस्यों की प्रयास सराहनीय रहा।

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