भारत में यू—ट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध और नए चैनलों के निर्माण से जुड़ा मुद्दा तकनीकी, कानूनी, और सामाजिक-राजनीतिक दृष्टिकोण से जटिल है। संजय शर्मा, रवीश कुमार और अजीत अंजुम जैसे पत्रकारों द्वारा नए चैनल शुरू करने की रणनीति ने सरकारी नीतियों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बहस छेड़ दी है। इस मुद्दे का तथ्यों के आधार पर यदि विश्लेषण किया जाए तो सरकार के लिए कुछ संभावित समाधान हो सकते हैं। सुलझाने से पहले मामले की जटिलता को समझते हैं।
वर्तमान कानूनी ढांचा
भारत में यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 की धारा 69A और सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना तक पहुंच को अवरुद्ध करने की प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) नियमावली, 2009 के तहत लगाया जा सकता है। ये प्रावधान राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, या नैतिकता के आधार पर सामग्री को ब्लॉक करने की शक्ति देते हैं। उदाहरण के लिए, फोर पीएम चैनल को कथित तौर पर इन्हीं मानकों पर ब्लॉक किया गया था। फोर पीएम के लिए कपिल सिब्बल और कांग्रेस एक साथ मैदान में उतरी।
सभी संबंधित चैनलों पर प्रतिबंध
अफवाह और झूठी खबर चलाने वाले यू ट्यूब चैनलों की संख्या बढ़ती जा रही है। हिट्स और लाइक पाने के लिए तो यू ट्यूबर अब पाकिस्तान के लिए जासूसी और अपने चैनल पर उनका नैरेटिव चलाने तक को तैयार हैं। इन सभी पर एक साथ प्रतिबंध लगाना तकनीकी और कानूनी रूप से जटिल है। अब ऐसे कन्टेट क्रिएटर एक साथ तीन—तीन, चार चार चैनल बनाकर चल रहे हैं। फोरपीएम, रवीश कुमार, अजीत अंजुम सभी ने बैकअप चैनल तैयार रखा है। यदि एक को प्रतिबंधित किया जाता है तो उनका दूसरा चैनल फौरन एक्टिवेट हो जाएगा और इनका पूरा इको सिस्टम सक्रिय होकर, 48 से 72 घंटों में फॉलोअर्स की संख्या लाखों में पहुंचा देगा। पिछले दिनों संजय शर्मा के चैनल यूपी फोरपीएम के साथ ऐसा ही हुआ। 72 घंटों में उनके चैनल के सब्सक्राइबर्स 10 लाख की संख्या को पार कर गए।
नए चैनल की पहचान करना और यह साबित करना कि यह मूल चैनल से जुड़ा है, आसान नहीं है। इसके अलावा, यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रभाव डाल सकता है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत सुनिश्चित है।
नए चैनल के लिए पंजीकरण
ऐसे में नए चैनल के लिए पंजीकरण अनिवार्य करना एक व्यावहारिक कदम हो सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के तहत डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स को पंजीकरण की आवश्यकता है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और सरल प्रक्रिया की आवश्यकता होगी ताकि छोटे क्रिएटर्स प्रभावित न हों।
यूट्यूब पर प्रतिबंध और स्वदेशी प्लेटफॉर्म
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि केन्द्र सरकार को भारत में यूट्यूब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए। यह कदम अव्यवहारिक होगा। यू-ट्यूब पर दुनिया भर में 2.1 अरब से अधिक लोग सक्रिय हैं। यह भारत की कुल आबादी से अधिक उपयोगकर्ताओं वाला प्लेटफॉर्म है और भारत में यह लाखों क्रिएटर्स के लिए आय का स्रोत है। 2020 में यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम में नए चैनलों की संख्या दोगुनी हो गई, और भारत में राजस्व अर्जित करने वाले चैनलों की संख्या 60% की दर से बढ़ रही है। ऐसा नहीं है कि सरकार चाह ले तो यू ट्यूब को खत्म करके ऐसा एक स्वदेशी प्लेटफॉर्म खड़ा नहीं कर सकती। वैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म विकसित करना सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य हो सकता है, यह भी है कि इसमें समय और संसाधन लगेगा लेकिन सरकार इस दिशा में कदम बढ़ाती है तो यह स्वदेशी के गौरव को बढ़ाने वाला और देश के आत्मसम्मान को दृढ़ करने वाला कदम होगा।
सरकार के लिए सुझाव
1. स्पष्ट नीतियां: यूट्यूब और इसके क्रिएटर्स के लिए पारदर्शी दिशानिर्देश स्थापित करें।
2. पंजीकरण और निगरानी: यू टृयूब पर समाचार और राजनीति श्रेणी के चैनलों के लिए सरल पंजीकरण प्रक्रिया लागू करें।
3. जागरूकता: क्रिएटर्स को नीतियों और कानूनी दायित्वों के बारे में शिक्षित करें।
4. कानूनी सुधार: डिजिटल सामग्री को रेगुलेट करने के लिए कानूनों को मजबूत करें।
यूट्यूब चैनलों पर प्रतिबंध और नए चैनलों के निर्माण का मुद्दा संतुलित दृष्टिकोण की मांग करता है। सभी चैनलों पर व्यापक प्रतिबंध या यूट्यूब को ब्लॉक करना अव्यवहारिक है। इसके बजाय, पारदर्शी नीतियां, पंजीकरण, और सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सार्वजनिक हित को संतुलित करना इस चुनौती का प्रभावी समाधान होगा।