मुंबई की सियासी गलियों में सत्ता, पैसा और रिश्तों की कहानियाँ अक्सर एक-दूसरे से उलझी हुई मिलती हैं। लेकिन जब बात शिवसेना के कद्दावर नेता संजय राउत और स्वप्ना पाटेकर की हो, तो यह कहानी न सिर्फ सियासत की, बल्कि विश्वास, धोखे और लालच की भी बन जाती है। यह कहानी है पात्रा चॉल घोटाले की, जिसमें सैकड़ों करोड़ की प्रॉपर्टी, ऑडियो क्लिप्स, धमकियाँ और एक पुराना रिश्ता उलझा हुआ है। आइए, इस कहानी को शुरू से समझते हैं।
शुरुआत: संजय राउत और स्वप्ना का परिचय
संजय राउत, शिवसेना के तेज-तर्रार नेता, ‘सामना’ अखबार के संपादक और उद्धव ठाकरे के करीबी सिपहसालार। उनकी छवि एक ऐसे नेता की थी, जो अपनी बेबाकी और सियासी चालों के लिए जाना जाता था। दूसरी ओर, स्वप्ना पाटेकर, एक मराठी फिल्म प्रोड्यूसर, जिन्होंने 2015 में शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की बायोपिक ‘बालकडू’ बनाई थी। स्वप्ना, सुजीत पाटेकर की पत्नी थीं, जो संजय राउत के करीबी सहयोगी माने जाते थे। लेकिन सुजीत से अलग होने के बाद स्वप्ना की जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया।
2007 में स्वप्ना और संजय राउत की मुलाकात ‘सामना’ के दफ्तर में हुई। यह मुलाकात धीरे-धीरे एक करीबी रिश्ते में बदल गई। स्वप्ना, जो एक मनोवैज्ञानिक भी थीं और सांताक्रूज में अपनी क्लिनिक चलाती थीं, ने राउत के साथ पारिवारिक और पेशेवर रिश्ते को और मजबूत किया। लेकिन यह रिश्ता जल्द ही सियासत और संपत्ति के खेल में उलझ गया।
पात्रा चॉल घोटाला: कहानी का केंद्र
पात्रा चॉल, मुंबई के गोरेगांव में सिद्धार्थ नगर के नाम से मशहूर एक इलाका है, जहाँ 47 एकड़ में फैली 672 झुग्गी-झोपड़ियाँ थीं। 2008 में महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) ने इस इलाके के पुनर्विकास का ठेका गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (GACPL) को दिया। यह कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) की सहयोगी थी। समझौते के मुताबिक, GACPL को 672 किरायेदारों के लिए फ्लैट्स बनाने थे, MHADA के लिए 3,000 फ्लैट्स देने थे, और बाकी जमीन को निजी डेवलपर्स को बेचने की अनुमति थी।
लेकिन GACPL ने न तो किरायेदारों के लिए फ्लैट्स बनाए और न ही MHADA को कोई हिस्सा दिया। इसके बजाय, कंपनी ने 47 एकड़ की जमीन और फ्लोर स्पेस इंडेक्स (FSI) को नौ निजी डेवलपर्स को 901.79 करोड़ रुपये में बेच दिया। इस घोटाले की राशि कुल 1,039.79 करोड़ रुपये बताई गई। इस मामले में संजय राउत के करीबी प्रवीण राउत, जो GACPL के डायरेक्टर थे, को 2022 में गिरफ्तार किया गया। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दावा किया कि प्रवीण ने 100 करोड़ रुपये की राशि को अपने करीबी लोगों और परिवार वालों के खातों में ट्रांसफर किया, जिसमें संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत और स्वप्ना पाटेकर के नाम भी शामिल थे।
प्रॉपर्टी का खेल: विश्वास और लालच
ED की जाँच में पता चला कि संजय राउत की पत्नी वर्षा और स्वप्ना पाटेकर के नाम पर अलीबाग के किहिम बीच में आठ भूखंड और मुंबई के दादर में एक फ्लैट खरीदा गया था। इन प्रॉपर्टी की कीमत 11.15 करोड़ रुपये से अधिक थी। आरोप है कि ये संपत्तियाँ पात्रा चॉल घोटाले से मिले पैसे से खरीदी गई थीं। संजय राउत का दावा था कि ये संपत्तियाँ उनके बच्चों और उनके नाम पर बाद में ट्रांसफर की जाएँगी। लेकिन यहाँ कहानी में ट्विस्ट आता है।
2022 में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई, और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में नई सरकार बनी। इसके बाद स्वप्ना पाटेकर ने प्रॉपर्टी को राउत के नाम ट्रांसफर करने से इनकार कर दिया। स्वप्ना का कहना था, “यह प्रॉपर्टी मेरे नाम पर है। अब इसका मालिक या तो मैं हूँ या सरकार। तुम्हारे पास यह नहीं जाएगी।” इस बयान ने सियासी और निजी हलकों में तहलका मचा दिया।
ऑडियो क्लिप्स: धमकी और रिक्वेस्ट
इस विवाद के बीच कई ऑडियो क्लिप्स सामने आईं, जिनमें कथित तौर पर संजय राउत स्वप्ना पाटेकर से बात कर रहे थे। इन क्लिप्स में राउत कभी स्वप्ना से प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने की रिक्वेस्ट करते सुनाई दिए, तो कभी गुस्से में धमकी देते। एक क्लिप में राउत कहते सुनाई दिए, “यह कॉल रिकॉर्ड कर ले, पुलिस को दे दे, जो करना है कर। रुक, देखता हूँ। प्रॉपर्टी मेरे या सुजीत के नाम कर।” स्वप्ना ने इन धमकियों की शिकायत वकोला पुलिस स्टेशन में दर्ज की और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर सुरक्षा की माँग की।
स्वप्ना ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें पिछले 18 महीनों से धमकियाँ मिल रही थीं। एक धमकी भरे पत्र में लिखा था कि अगर उन्होंने ED के सामने कुछ बोला, तो उनके साथ बलात्कार किया जाएगा। स्वप्ना ने दावा किया कि राउत ने उनके पीछे जासूस लगाए थे, और उनकी गाड़ी पर हमला भी हुआ था। 2024 में, स्वप्ना ने विधान परिषद की उपाध्यक्ष नीलम गोरहे को पत्र लिखकर कहा, “संजय राउत मुझे और मेरे परिवार को परेशान कर रहे हैं। मुझे हर जगह फॉलो किया जाता है। मेरी जिंदगी खतरे में है।”
सियासी जंग और चुनावी मैदान
2024 में स्वप्ना पाटेकर ने एक और बड़ा कदम उठाया। उन्होंने घोषणा की कि वह वीखरोली विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में संजय राउत के भाई सुनील राउत के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी। स्वप्ना ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “मैं उन भ्रष्ट लोगों को सबक सिखाऊँगी, जो महिलाओं का शोषण करते हैं।” यह कदम न सिर्फ राउत के लिए सियासी चुनौती था, बल्कि उनकी निजी जिंदगी पर भी एक तीखा हमला था।
निष्कर्ष: बुढ़ापे का इश्क और सियासत का खेल
संजय राउत और स्वप्ना पाटेकर की कहानी सियासत, विश्वास और धोखे की एक जटिल गाथा है। राउत, जो कभी शिवसेना के सबसे ताकतवर नेताओं में से एक थे, आज इस विवाद में फँसे हैं, जहाँ उनकी निजी और सियासी छवि दाँव पर है। स्वप्ना, जो कभी उनकी करीबी थीं, अब उनकी सबसे बड़ी विरोधी बन चुकी हैं। पात्रा चॉल घोटाले की जाँच अभी चल रही है, और ED ने राउत को 2022 में गिरफ्तार भी किया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को “गैरकानूनी” और “witch-hunt” करार दिया था, लेकिन स्वप्ना के आरोप और ऑडियो क्लिप्स ने इस मामले को और उलझा दिया।
यह कहानी हमें सिखाती है कि सत्ता और पैसा कितना खतरनाक खेल खेल सकता है। राउत और स्वप्ना की यह जंग न सिर्फ प्रॉपर्टी की लड़ाई है, बल्कि विश्वास के टूटने और सियासी बदले की भी कहानी है। जैसे-जैसे यह मामला आगे बढ़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा कि इस कहानी का अंत क्या होगा—क्या स्वप्ना अपनी लड़ाई जीत पाएँगी, या राउत अपनी सियासी ताकत से इस विवाद को दबा देंगे?