बिहार चुनाव परिणाम के अन्तर्निहित सन्देश

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मृत्युंजय दीक्षित

दिल्ली । राजनैतिक विश्लेषकों द्वारा बिहार विधानसभा 2025 चुनाव में यद्यपि राजग की जीत सुनिश्चित मानी जा रही थी तथापि महागठबंधन की इतनी शर्मनाक हार की आशंका किसी को नहीं थी, संभवतः राजग और महागठबंधन के नेताओं को भी नहीं। इन परिणामों ने सभी को चौंकाया है। राजग की अप्रत्याशित जीत, भाजपा नीत मोदी सरकार तथा बिहार में नीतीश सरकार पर जनता के भरोसे की जीत है। बीस वर्ष बाद भी लालू के शासनकाल का जंगलराज जनता भूल नहीं पाई है । बिहार की जनता ने जातिवाद, परिवारवाद, मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीतिक को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है। गरीब, महिला, किसान और युवा मतदाता का नया समीकरण स्पष्ट दिखाई दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार लाल किले की प्राचीर से परिवारवाद और जातिवाद की राजनीति को समाप्त करने का आह्वान किया था, बिहार की धरती उस राह पर चल पड़ी है।

बिहार विधानसभा चुनावों में महागठबंधन के झूठ पर आधारित नैरेटिव पूरी तरह से ध्वस्त हुए हैं; फिर वह वोट चोरी का मुद्दा हो या तेजस्वी यादव द्वारा हर परिवार को सरकारी नौकरी देने का वादा। बिहार की धरती में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी ने गर्दा उड़ा दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार की चुनाव रैली में गमछा लहरा कर बिहारी सम्मान की भावना का उद्घोष किया था जिसके बदले बिहारियों ने गर्दा उड़ा दिया। बिहार की जनता ने जो ऐतिहासिक जनादेश दिया है वह डबल इंजन की ओर से किए विकास के लिए समर्थन तो दिखा ही रहा है साथ ही यह भी बता रहा है कि अब बिहार में जंगलराज की वापसी कभी नहीं होगी।

बिहार में राजग गठबंधन की सत्ता में वापसी का सबसे प्रमुख कारण नए “एमवाई“ जिसे महिला और युवा कहा गया का पूरी तरह से मोदी जी और नीतीश का साथ देना है। बिहार के चुनावो में महिलाओं ने राजनीति की नई पटकथा लिखी है। उन्होंने जातीयता से ऊपर उठकर, अपनी सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए मतदान किया। बिहार की कुछ लड़कियों ने चुनाव प्रचार के दौरान कहा भी था कि अब हम लोग देर रात तक अपने कार्यालय आदि से बिना किसी भय या चिंता के वापस आ जाते हैं। जिन महिलाओं ने जंगलराज देखा है उन्हें उस लालटेन युग की याद ही कंपा देती है। बिहार की लड़कियों को पता है कि राजद की सरकार आ जाती तो उनके साथ छेड़छाड़ तथा अभद्रता की घटनाएं बढ़ जातीं। नीतीश जी के कारण ही आज बिहार की बेटियां अपने आपको सुरक्षित मान रही हैं। बिहार की महिलाओं के सशक्तीकरण व उन्हें आत्मनिर्भर तथा शिक्षित बनाने के लिए नीतीश राज में अनेकानेक योजनाएं धरातल पर उतरीं, महिलाओं को उनका सीधा लाभ मिला।

जब महिला मतदाताओं को लगा कि नीतीश सरकार संकट में है तब वह उनके लिए चट्टान की तरह खड़ी हो गई। इसका सबसे बड़ा करण यह भी था कि महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव अपनी जनसभाओं में बार बार बिहार में शराबबंदी को खोलने और ताड़ी की खेती फिर से प्रारंभ करवाने की बात कह रहे थे। बिहार महिलाओं ने नीतीश जी को रिटर्न गिफ्ट ही दिया क्योंकि विधानसभा चुनावों से पूर्व ही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 1.20 करोड़ महिलाओं को मिली 10 हजार रुपए की सहायता और जीविका दीदी व सहायिकाओ के मानदेय में वृद्धि के बाद पुरुषों कि तुलना में नौ प्रतिशत अधिक मतदान कर सत्तारूढ़ एनडीए के खिलाफ चल ही कुछ हल्की लहर को पूरी तरह से समाप्त कर दिया। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिव्यांगजनों, वृद्वावस्था पेंशन आदि में भी पर्याप्त वृद्धि कर एक बहुत बड़े वोटबैंक को साधने का काम किया। नीतीश कुमार ने अपने विगत 15 वर्ष के कार्यकाल में महिलाओं के हित में बहुत काम किया है जिसकी स्मृति भी महिला मानस में बनी रही।

एनडीए गठबंधन की जीत का एक अन्य कारण यह भी रहा कि उसने अतिपिछडा वर्ग (ईबीसी) और महादलित समुदाय को साधा। भाजपा ने सवर्ण जातियों तथा अपने परंपरागत वोटबैंक को एकजुट रखा, लोक जनशक्ति पार्टी (रामबिलास,) राष्ट्रीय लोक मोर्चा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने एनडीए की दलित और पिछड़ी जातियों के बीच पहुंच बढ़ाई। व्यापक गठबंधन बना तथा सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में सीटों का बंटवारा किया गया, बागियों तथा नाराज लोगो को साधा गया । छठपूजा के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, चिराग पासवान के घर गए । चिराग ने मुख्यमंत्री का सम्मान करते हुए उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया। इससे जनता ने गठबंधन की मजबूती देखी जिसका प्रतिफल सामने है।

तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला महागठबंधन प्रचार के दौरान भी अपनी जंगलाज वाली छवि पर मोहर लगाता रहा। तेजस्वी यादव स्वयं अपनी हर रैली और पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बीमार और बंधक बताकर उनका अपमान करते रहे। कांग्रेस की रैली में मंच से ही एक मुस्लिम नेता ने प्रधानमंत्री मोदी की मां को गाली देकर उनका अपमान किया और इसके बाद से बिहार के चुनावी परिदृश्य मे तैर रहे महागठबंधन के सभी नैरेटिव एक के बाद एक ध्वस्त होते चले गए। कांग्रेस ने रही सही कसर उस कांग्रेसी नेता को टिकट देकर पूरी कर ली जो गाली कांड का अपराधी था। राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा का नकारात्मक प्रभाव छोड़ना स्वाभाविक था।जनता ने एसआईआर के मुद्दे का सिरे से खारिज कर दिया और मतदान मे बढ़ चढकर भाग लिया। राहुल गांधी ने दूसरे चरण में छठ मैया का भी अपमान कर दिया जिसे एनडीए ने लपक लिया।

राजग गठबंधन की ऐतिहासिक विजय में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में स्टार प्रचारकों का कठिन परिश्रम भी रहा। जनसभाओं और रोड शो में भारी भीड़ उमड़ी तो प्रचारकों ने भी अपने सटीक बयानों से उसे अपने पक्ष में मतदान करने को बाध्य कर दिया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयानों से तो तूफान ही आ गया। योगी ने बिहार की जनसभाओे में राम मदिर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि, “यह वही लोग हैं जिन्होंने कभी राम मंदिर का रास्ता रोका था किंतु अब अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है और बिहार की धरती पर मां जानकी का भव्य मंदिर भी बनने जा रहा है। योगी जी वहां बाबा बुलडोजर के नाम से प्रसिद्ध हैं और जगह- जगह उनका स्वागत भी बुलडोजर के प्रतीकों से हुआ। उन्होंने कई जनसभाओं में बटेंगे तो कटेंगे का नारा भी एक बार लगाया और हिंदू मतदाता में एकता की अलख जगाई। उनके तीन नए बंदरों अप्पू, पप्पू और टप्पू की परिभाषा वाले भाषण ने चुनावी परिदृश्य को एक नया मनोरंजक पुट दे दिया। बिहार विधानसभा चुनावो में भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व उसके सहयोगी संगठनों की महती भूमिका रही।

कुल मिलाकर बिहार की जनता ने जो भारी मतदान किया वह जंगलराज, परिवारवाद तथा भ्रष्टाचार के खिलाफ है। सुशासन, स्त्री सुरक्षा और पलायन रोकने के पक्ष में है। मुस्लिम तुष्टिकरण, जातिवाद तथा परिवारवाद के विरोध में है । विपक्ष ने बिहार के जेन- जी को भड़काने का प्रयास किया लेकिन उसने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा जताया। बिहार के चुनाव परिणाम साधारण परिणाम नहीं है इनका परिणाम भारत के भविष्य के निर्माण की दिशा तय करने वाला है।

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