बिहार, वह धरती जहां गंगा की लहरें और नेताओं की चालें एक साथ लहराती हैं, आज एक नए युग की दहलीज पर खड़ा है। बिहार में एक राजनीतिक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जिनकी चोरी को कोर्ट ने सजदा किया, बिहार के भाग्य विधाता नना चाहते हैं। पिछली बार दस साल से अधिक समय के लिए इन्हें बिहार की जनता ने प्रदेश सौंपा था तो इन्होंने पूरे बिहार को जंगल बना दिया था। फिर इनके राज को सुप्रीम कोर्ट ने ‘जंगलराज’ की संज्ञा दे दी।
एक बार फिर पूरी मुस्तैदी से पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनकर ये बिहार की कुर्सी को हथियाना चाह रहे हैं। कहते हैं, जब चोर ही नेता हो, तो विकास की परिभाषा भी बदल जाती है। अब चोरी को अपराध नहीं, कला मान लिया गया है, और हमारे चोर महाराज इस कला के पिकासो हैं।
सोचिए, एक चोर राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में बिहार का क्या हाल होगा! जहां पहले लोग रात में ताले लगाते थे, वहां अब ताले खोलने की ट्रेनिंग स्कूलों में शुरू हो जाएगी। चोरी को विधानसभा में बहुमत से वैध करार दे दिया जाए, तो बिहार देश का पहला राज्य बन जाएगा जहां चोरों को सरकारी मान्यता मिलेगी। हर जिले में एक ‘चोर प्रशिक्षण केंद्र’ खुलेगा, जहां युवाओं को जेबकटी, सेंधमारी और डिजिटल चोरी की बारीकियां सिखाई जाएंगी। हमारे अध्यक्ष जी का विजन है—हर हाथ में हुनर, हर जेब में छुरा!
विकास का यह मॉडल अनोखा होगा। चोरी को वैध करने से बिहार की अर्थव्यवस्था उछाल मार लेगी। लूटपाट से जीडीपी बढ़ेगी, अपहरण से रोजगार सृजन होगा। थाने बंद होंगे, क्योंकि चोरी अब अपराध नहीं, बल्कि स्टेट क्राफ्ट होगा। हमारे चोर अध्यक्ष की सोच है कि अगर भ्रष्टाचार को रोका नहीं जा सकता, तो उसे संगठित कर दो! बिहार में हर गली-नुक्कड़ पर ‘चोरी लाइसेंस’ बांटे जाएंगे। लाइसेंसधारी चोर ही सरकारी टेंडर लेंगे, क्योंकि चोरी में पारदर्शिता तो बरतनी ही पड़ेगी।
लेकिन सावधान! बिहार की जनता को ऐसे नेताओं से सतर्क रहना होगा। अगर ये चोर गद्दी पर काबिज हो गए, तो बिहार का हर घर ‘चोरी संरक्षित क्षेत्र’ बन जाएगा। फिर न गंगा बचेगी, न गाय, न बजट। चोर अध्यक्ष का मंत्र है—‘सब कुछ बिकाऊ, बस मौका चाहिए!’
बिहार को चाहिए कि ऐसे नेताओं को गद्दी से दूर रखे, वरना चोरी को विधानसभा से मान्यता मिलते ही बिहार ‘चोर प्रदेश’ का तमगा पा लेगा। फिर न विकास होगा, न विश्वास बचेगा—बस चोरों का राज होगा, और बिहार की जनता ताली बजाएगी।