चुनौतियों से लड़ने को तैयार, अगले पांच साल बिहार सरकार

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कुमारी अन्नपूर्णादरभंगा: बिहार में नवगठित एनडीए सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं, जिन्होंने 20 नवंबर 2025 को दसवीं बार शपथ ली। यह कैबिनेट 27 सदस्यों वाली है, जिसमें भाजपा को 14, जदयू को 8, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 2, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) को 1 और राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 1 स्थान मिला है। नीचे सभी मंत्रियों का संक्षिप्त परिचय दिया गया है, जो उनके राजनीतिक सफर, जाति/समुदाय और प्रमुख उपलब्धियों पर आधारित है। परिचय को संक्षिप्त रखते हुए, मैंने मुख्य तथ्यों पर फोकस किया है।

क्रमांक
नाम
पार्टी
संक्षिप्त परिचय
नीतीश कुमार (मुख्यमंत्री)
जदयू
बिहार के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले मुख्यमंत्री (2005 से अधिकांश समय), इंजीनियर पृष्ठभूमि, ‘सुशासन बाबू’ के नाम से प्रसिद्ध। कानून-व्यवस्था सुधार, सड़कें, बिजली और महिलाओं के सशक्तिकरण (जैसे जीविका योजना) के लिए जाने जाते हैं। 10वीं बार शपथ, उम्र 74 वर्ष।
1
सम्राट चौधरी(उपमुख्यमंत्री)
भाजपा
कुशवाहा समुदाय से, 1968 जन्म, भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष रह चुके। 2024 से उपमुख्यमंत्री, विधान परिषद सदस्य। जातिगत समीकरण संतुलन के लिए महत्वपूर्ण, बेगूसराय से प्रभावशाली नेता।
2
विजय कुमार सिन्हा(उपमुख्यमंत्री)
भाजपा
भूमिहार समुदाय से, वर्तमान लोकसभा स्पीकर के रूप में जाना जाता है (केंद्रीय स्तर पर), बिहार विधानसभा के पूर्व स्पीकर। ग्लोबल इंजीनियरिंग कॉलेज के संस्थापक, 2024 से उपमुख्यमंत्री। युवा और शहरी मुद्दों पर फोकस।
3
विजय कुमार चौधरी
जदयू
कुरमी समुदाय से, नौ बार विधायक (लगातार), नीतीश के करीबी सहयोगी। पूर्व में गृह, वित्त मंत्री रहे। विधानसभा में अनुभवी, सुशासन पर जोर।
4
बिजेंद्र प्रसाद यादव
जदयू
यादव समुदाय से, नौ बार विधायक (सुपौल से), नीतीश के पुराने सहयोगी। ग्रामीण विकास और पिछड़े वर्गों के मुद्दों पर सक्रिय।
5
श्रवण कुमार
जदयू
कुरमी समुदाय से, पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री, विधायक। पंचायती राज और ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर विशेषज्ञता।
6
मंगल पांडेय
भाजपा
ब्राह्मण समुदाय से, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री (कोविड प्रबंधन के लिए चर्चित), चिकित्सक पृष्ठभूमि। भाजपा के वरिष्ठ नेता, विधान परिषद सदस्य।
7
डॉ. दिलीप जायसवाल
भाजपा
वैश्य समुदाय से, बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष, विधान परिषद सदस्य। संगठन मजबूत करने में भूमिका, व्यापारिक पृष्ठभूमि।
8
अशोक चौधरी
जदयू
पासी (दलित) समुदाय से, विधान परिषद सदस्य, नीतीश के करीबी। पूर्व वित्त मंत्री, दलित कल्याण योजनाओं पर फोकस।
9
लेशी सिंह
जदयू
राजपूत समुदाय से, विधायक (वजीरगंज से), पूर्व शिक्षा मंत्री। महिलाओं के सशक्तिकरण और शिक्षा सुधारों में सक्रिय।
10
मदन सहनी
जदयू
निषाद समुदाय से, पूर्व मछली पालन मंत्री, विधायक। निषाद समुदाय के प्रतिनिधि, जल संसाधन मुद्दों पर जोर।
11
नितिन नवीन
भाजपा
ब्राह्मण समुदाय से, पूर्व आईटी और आपदा प्रबंधन मंत्री, विधायक। युवा नेता, डिजिटल गवर्नेंस पर विशेषज्ञ।
12
राम कृपाल यादव
भाजपा
यादव समुदाय से, पूर्व केंद्रीय मंत्री (ग्रामीण विकास), पटना साहिब से सांसद। ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन पर अनुभव।
13
संतोष कुमार सुमन
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा
मुशहर (महादलित) समुदाय से, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के पुत्र। महादलित कल्याण योजनाओं के लिए प्रतिनिधित्व।
14
सुनील कुमार
जदयू
पासवान (दलित) समुदाय से, पूर्व मंत्री, विधायक। दलित और पिछड़े वर्गों के मुद्दों पर सक्रिय।
15
मो. जमा खान
जदयू
मुस्लिम समुदाय से, कैबिनेट में एकमात्र मुस्लिम चेहरा, विधायक। अल्पसंख्यक कल्याण पर फोकस।
16
संजय सिंह ‘टाइगर’
भाजपा
राजपूत समुदाय से, पूर्व मंत्री, अमरपुर से विधायक। ऊर्जा विभाग में अनुभव, आक्रामक राजनीतिक शैली।
17
अरुण शंकर प्रसाद
भाजपा
वैश्य समुदाय से, पूर्व मंत्री, विधायक। वाणिज्य और उद्योग पर जोर।
18
सुरेंद्र मेहता
भाजपा
धनुक (अति पिछड़ा) समुदाय से, पूर्व मंत्री। पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधि।
19
नारायण प्रसाद
भाजपा
वैश्य समुदाय से, पूर्व शिक्षा मंत्री, विधायक। शिक्षा सुधारों में योगदान।
20
रमा निषाद
भाजपा
निषाद समुदाय से, महिला विधायक, नई प्रवेशकर्ता। नदारी समुदायों के कल्याण पर फोकस।
21
लखेंद्र कुमार रोशन (लखन देव राय)
भाजपा
पासवान समुदाल से, विधायक। दलित प्रतिनिधित्व।
22
श्रेयसी सिंह
भाजपा
राजपूत समुदाय से, शूटिंग चैंपियन (एशियाई खेल स्वर्ण पदक विजेता), जमुई से दूसरी बार विधायक। पहली बार कैबिनेट में, युवा और महिला प्रतिनिधित्व।
23
डॉ. प्रमोद कुमार
भाजपा
चंद्रवंशी (अति पिछड़ा) समुदाय से, चिकित्सक पृष्ठभूमि, विधायक। स्वास्थ्य और पिछड़े वर्गों पर फोकस।
24
संजय कुमार
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)
पासवान समुदाय से, बखरी से विधायक। रामविलास पासवान के उत्तराधिकारी चिराग पासवान के करीबी।
25
संजय कुमार सिंह
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)
पासवान समुदाय से, महुआ से विधायक, तेज प्रताप यादव को हराया। नया चेहरा, दलित प्रतिनिधित्व।
26
दीपक प्रकाश
राष्ट्रीय लोक मोर्चा
कुशवाहा समुदाय से, उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र, विधान परिषद नामांकित। युवा नेता।

यह कैबिनेट जातिगत संतुलन पर आधारित है: ऊपरी जातियां (8), पिछड़े (8), दलित (5), अति पिछड़े (4), महिलाएं (3: लेशी सिंह, रमा निषाद, श्रेयसी सिंह)। नौ नए चेहरे शामिल हैं।आने वाले पांच वर्षों में बिहार सरकार के सामने मुख्य चुनौतियां: विश्लेषणनीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 2025 विधानसभा चुनाव में 202 सीटें जीतकर मजबूत बहुमत हासिल किया, लेकिन यह जीत वादों की पूर्ति पर टिकी है। एनडीए ने 1 करोड़ नौकरियां, 1 करोड़ ‘लखपति दीदियां’, 7 एक्सप्रेसवे, मेट्रो नेटवर्क, हर जिले में मेडिकल कॉलेज और मेगा स्किल सेंटर जैसे वादे किए हैं। हालांकि, बिहार की आर्थिक-सामाजिक स्थिति (प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से 1/3, 54% कृषि-निर्भरता) चुनौतियां बढ़ाती है। नीचे मुख्य चुनौतियों का विश्लेषण किया गया है, जो आंकड़ों, पिछले प्रदर्शन और विशेषज्ञ विश्लेषण पर आधारित है।1. रोजगार सृजन और प्रवासन रोकना (सबसे बड़ी चुनौती)

  • विश्लेषण: बिहार में 54% आबादी कृषि पर निर्भर है, लेकिन विनिर्माण क्षेत्र जीडीपी में केवल 5-6% योगदान देता है (राष्ट्रीय औसत 11%)। हर तीन में दो परिवारों का कम से कम एक सदस्य दूसरे राज्यों में मजदूरी करता है। एनडीए का वादा 10 लाख सरकारी नौकरियां + 1 करोड़ निजी रोजगार का है, लेकिन पिछले 5 वर्षों में बेरोजगारी दर 7-8% रही। युवा असंतोष (जैसे 10 लाख नौकरियों का वादा टूटना) विपक्ष का हथियार बनेगा। यदि 1 करोड़ नौकरियां नहीं बनीं, तो 2029 चुनाव में एंटी-इनकंबेंसी बढ़ेगी।
  • संभावित प्रभाव: सफलता पर जीडीपी वृद्धि 8-10% संभव, अन्यथा सामाजिक अशांति। समाधान: स्किल सेंटर और आईटी हब स्थापित करना।

2. कानून-व्यवस्था सुधार

  • विश्लेषण: नीतीश को ‘जंगलराज’ खत्म करने का श्रेय है, लेकिन एनसीआरबी डेटा के अनुसार 2015-2024 में अपराध दर 1.63% बढ़ी (2023 में)। महिलाओं पर अपराध और भूमि विवाद प्रमुख। एनडीए ने ‘शून्य सहनशीलता’ का वादा किया, लेकिन पुलिस सुधार (भर्ती, ट्रेनिंग) लंबित है। विपक्ष (आरजेडी) इसे मुद्दा बनाएगा।
  • संभावित प्रभाव: यदि नियंत्रित न हुआ, तो निवेश प्रभावित होगा। समाधान: सीसीटीवी नेटवर्क और फास्ट-ट्रैक कोर्ट बढ़ाना।

3. शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश

  • विश्लेषण: साक्षरता दर 70% (राष्ट्रीय 77%), लेकिन गुणवत्ता खराब (एएसईआर रिपोर्ट: 50% बच्चे ग्रेड-स्तर से नीचे)। स्वास्थ्य में हर जिले में मेडिकल कॉलेज का वादा है, लेकिन वर्तमान में केवल 9 कार्यरत। कोविड के बाद स्वास्थ्य बजट 6% जीएसडीपी का है, लेकिन कार्यान्वयन कमजोर। महिलाओं की साक्षरता (नीतीश की ताकत) बनाए रखने के लिए जीविका जैसी योजनाएं जारी रखनी होंगी।
  • संभावित प्रभाव: असफलता पर ‘लखपति दीदी’ वादा विफल। समाधान: 1 लाख शिक्षक भर्ती और टेलीमेडिसिन।

4. वित्तीय प्रबंधन और केंद्रीय सहायता

  • विश्लेषण: बिहार का राजस्व घाटा 3% जीडीपी का, केंद्रीय हस्तांतरण पर 70% निर्भर। ‘विशेष राज्य’ दर्जा न मिलने से बुनियादी ढांचा (सड़कें, बाढ़ नियंत्रण) प्रभावित। 7 एक्सप्रेसवे का वादा केंद्र पर निर्भर। महंगाई (2025 में 6-7%) और ग्रामीण संकट (कृषि उत्पादकता कम) चुनौती।
  • संभावित प्रभाव: यदि केंद्रीय फंड न बढ़ा, तो वादे अधूरे। समाधान: जीएसटी संग्रह बढ़ाना और पीएम किसान जैसी योजनाओं का विस्तार।

5. राजनीतिक स्थिरता और गठबंधन प्रबंधन

  • विश्लेषण: नीतीश की ‘गठबंधन-परिवर्तन’ छवि (9 बार गठबंधन बदला) कमजोरी, लेकिन भाजपा का समर्थन मजबूत। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा भाजपा हित सुरक्षित रखेंगे। स्वास्थ्य (74 वर्ष) और उम्र एंटी-इनकंबेंसी बढ़ा सकती है। विपक्ष (महागठबंधन) बेरोजगारी-महंगाई पर हमला करेगा।
  • संभावित प्रभाव: आंतरिक कलह से सरकार अस्थिर। समाधान: पोर्टफोलियो वितरण में संतुलन (जैसे वित्त जदयू को, गृह भाजपा को)।

ये चुनौतियां परस्पर जुड़ी हैं—रोजगार से कानून-व्यवस्था सुधरेगी, शिक्षा से प्रवासन रुकेगा। पिछले 20 वर्षों में नीतीश ने बुनियादी सुधार (सड़कें दोगुनी, बिजली पहुंच 99%) किए, लेकिन ‘विकास के अगले चरण’ (निवेश, उद्योग) में सफलता जरूरी। यदि वादे पूरे हुए, तो बिहार ‘अटल बिहार’ बनेगा; अन्यथा, युवा-महिला वोटर खिसक सकते हैं। केंद्र (मोदी सरकार) की सहायता महत्वपूर्ण होगी। कुल मिलाकर, स्थिरता तो है, लेकिन क्रियान्वयन पर नजर रखनी होगी।

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