कांग्रेस का ‘गोदी’ गठजोड़: एक व्यंग्यात्मक तमाशा

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भारतीय राजनीति का रंगमंच हमेशा से ही नाटकों और तमाशों का गवाह रहा है, लेकिन इन दिनों कांग्रेस पार्टी का ‘गोदी’ गठजोड़ एक नया रंग लिए हुए है। प्रो. रतन लाल, प्रो. रविकांत और सरदार इंद्रजीत सिंह, जो अब तक परोक्ष रूप से कांग्रेस के गीत गाते थे, अब खुलकर इस मंच पर कूद पड़े हैं। यह तो वही बात हुई कि जो लोग सालों से मंच के पीछे तालियां बजा रहे थे, अब वे स्टेज पर स्पॉटलाइट में नाचने को तैयार हैं। स्वागत है, स्वागत है! आखिरकार, कांग्रेस का बिगुल बजाने वालों की फौज में कुछ नए सिपाही तो चाहिए।

अब बात उन सितारों की, जो अभी भी मंच के बाहर खड़े हैं, शायद ‘शुभ मुहूर्त’ का इंतज़ार कर रहे हैं। सुमित चौहान, आरफा खानम, अजीत अंजुम, रवीश पांडेय, मुकेश कुमार और साक्षी जोशी—ये वो नाम हैं, जिनके लिए कांग्रेस का दरवाजा खुला है, या यूं कहें कि दरवाजा तो खुला ही रहता है, बस मुहूर्त की देरी है। इन सितारों को सुप्रिया श्रीनेत से प्रेरणा लेनी चाहिए, जिन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स में ‘गोदी’ पत्रकारिता का तमगा पहनने के बाद न केवल उस तमगे को उतारा, बल्कि उसे रवीश पांडेय को सौंपकर ‘गोदी मीडिया’ शब्द को जन-जन तक पहुंचा दिया। गुप्त सूत्र बताते हैं कि यह शब्द सुप्रिया की ही देन है, और रवीश ने तो बस इसे माइक पर चिल्लाकर मशहूर कर दिया। वाह, क्या गजब का पासिंग-द-बैल गेम है!

लेकिन इस तमाशे में एक और किरदार है, जिसका नाम है अशोक कुमार पांडेय। ये सज्जन कांग्रेस के ‘अनौपचारिक प्रवक्ता’ के रूप में सोशल मीडिया पर धूम मचाते हैं। मगर इनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ लोग कहते हैं कि पांडेय जी पैसे लेकर ट्वीट करते हैं, और उनकी कांग्रेस नेताओं के साथ सेल्फी इस आग में घी डालने का काम करती है। अब यह तो वही बात हुई कि आप मंच पर गाना गाएं, और लोग कहें, “अरे, ये तो पैसे लेकर नाच रहा है!” पांडेय जी, अगर आपको कांग्रेस के आईटी सेल में ही काम करना है, तो पवन खेड़ा और सुप्रिया श्रीनेत से सीखिए। वे भी तो यही काम करते हैं, मगर कितने सम्मानजनक तरीके से! कम से कम उनके ट्वीट्स में तो पैसे की बू नहीं आती।वैसे, पांडेय जी की राह में एक और रोड़ा है—आरक्षण। कांग्रेस अगर आरक्षण को ‘सही तरीके’ से लागू कर दे, तो पांडेय जैसे ब्राह्मणों का ‘नंबर’ लगना मुश्किल हो जाएगा। और फिर उनका गोत्र दत्तात्रेय भी तो नहीं है, जो शायद कांग्रेस के गुप्त नियमों में कोई बोनस पॉइंट्स देता हो। मगर चिंता न करें, पांडेय जी! अगर आपकी ‘तय राशि’ समय पर मिलती रही, तो आप पार्टी में सर्वाइव कर ही जाएंगे। आखिर, अनौपचारिक प्रवक्ता का तमगा भी कोई छोटा-मोटा नहीं है।

यह सब देखकर लगता है कि कांग्रेस का यह रंगमंच अब और बड़ा होने वाला है। ‘गोदी’ से ‘गोदी’ तक का यह सफर, जिसमें पत्रकार, प्रोफेसर और सोशल मीडिया सितारे एक साथ मंच पर थिरक रहे हैं, निश्चित रूप से देखने लायक है। बस एक सवाल बाकी है—क्या यह तमाशा वोटों में बदलेगा, या फिर यह सिर्फ सोशल मीडिया की सुर्खियों तक सीमित रहेगा? खैर, यह तो वक्त ही बताएगा। तब तक, पॉपकॉर्न तैयार रखिए, क्योंकि यह ‘गोदी’ गठजोड़ अभी और रंग दिखाएगा!

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आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु एक पत्रकार, लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आम आदमी के सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों तथा भारत के दूरदराज में बसे नागरिकों की समस्याओं पर अंशु ने लम्बे समय तक लेखन व पत्रकारिता की है। अंशु मीडिया स्कैन ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और दस वर्षों से मानवीय विकास से जुड़े विषयों की पत्रिका सोपान स्टेप से जुड़े हुए हैं

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