प्रकाश सिंह
दिल्ली के कुछ कांग्रेस समर्थक कथित बुद्धिजीवी आजकल राजद नेता पप्पू यादव की आलोचना में जुटे हैं। कारण? उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को “ईमानदार” कहा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की। पप्पू यादव, जो बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद रह चुके हैं, एक जमीनी नेता के तौर पर जाने जाते हैं। उनकी राजनीति चाटुकारिता या नेतृत्व की चरणवंदना पर नहीं, बल्कि कार्यकर्ताओं के बीच विश्वास और मजबूत छवि बनाने पर टिकी है। वे अपने समर्थकों को यह संदेश देना चाहते हैं कि उनका नेता कमजोर नहीं है, जो साहसिक और स्पष्टवक्ता है।
हालांकि, कांग्रेस के कुछ नेताओं और राहुल गांधी की टीम ने उनकी इस शैली को नजरअंदाज किया। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पप्पू यादव के साथ कई बार अपमानजनक व्यवहार किया गया। बताया जाता है कि लालू प्रसाद यादव के प्रभाव के चलते कांग्रेस ने पप्पू यादव के साथ बेसिक शिष्टाचार तक नहीं निभाया। इस स्थिति का फायदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीतिक टीम ने बखूबी उठाया। हाल ही में एक सार्वजनिक मंच पर पीएम मोदी ने हाथ जोड़कर पप्पू यादव के अभिवादन का जवाब दिया, जो बॉडी लैंग्वेज पॉलिटिक्स का बेहतरीन उदाहरण है। यह छोटा-सा इशारा यादव समुदाय के बीच गहरा प्रभाव छोड़ सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना से पप्पू यादव के प्रभाव क्षेत्र में करीब 40 प्रतिशत युवा यादव मतदाता, जो पारंपरिक रूप से राजद या कांग्रेस के साथ रहे हैं, अब बीजेपी की ओर झुक सकते हैं। यह दर्शाता है कि जमीनी राजनीति और रणनीतिक संदेश कितने प्रभावी हो सकते हैं, जो केवल एसी कमरों में बैठकर या प्रेजेंटेशन बनाकर नहीं हासिल किया जा सकता। पप्पू यादव का यह कदम और बीजेपी की चतुराई बिहार की राजनीति में नए समीकरण बना सकती है।