दिल्ली। कंस्टीट्यूशन क्लब ऑफ़ इंडिया का चुनाव संपन्न हो गया है। सांसद श्री राजीव प्रताप रूडी एक बार फिर सचिव निर्वाचित हुए हैं, जबकि श्री संजीव बालियान को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। यह परिणाम अपेक्षित ही था। रूडी के पक्ष में चुनाव प्रबंधन की रणनीति और व्यापक अभियान इतना सशक्त था कि संजीव बालियान के लिए उन्हें प्रभावी चुनौती देना कठिन था। फिर भी, बालियान ने उल्लेखनीय मत प्राप्त किए, जो इस बात का संकेत है कि वर्तमान और पूर्व सांसदों की सदस्यता वाले इस क्लब में बदलाव की इच्छा रखने वाले लोग मौजूद हैं।
वर्तमान में कंस्टीट्यूशन क्लब जिस स्वरूप में है, उसमें रूडी को पराजित करना आसान नहीं है। पहले कभी चुनाव की स्थिति ही नहीं बनी, इसलिए रूडी को चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ा। धीरे-धीरे उन्होंने क्लब के सक्रिय सदस्यों के बीच ऐसी मजबूत स्थिति बना ली कि किसी ने चुनाव की मांग तक नहीं उठाई। इस बार भी बड़ी संख्या में सदस्यों को लिखित सहमति देकर चुनाव की मांग करनी पड़ी।
इस चुनाव परिणाम से यह स्पष्ट है कि कंस्टीट्यूशन क्लब को इसके मूल उद्देश्य-लोकतांत्रिक बहस और विमर्श के एक आकर्षक, खुले और सामान्य मंच-के रूप में पुनर्जनन की संभावना फिलहाल कमजोर हो गई है। क्लब जिस दिशा में आगे बढ़ा है और जो ढांचा वहां विकसित हुआ है, वही और सशक्त होता दिख रहा है। हालांकि, चुनौती देने वाले पक्ष में भी परिवर्तन की कोई स्पष्ट और बड़ी दृष्टि दिखाई नहीं दी। फिर भी, कुछ संभावनाएं बन सकती थीं।
जिन लोगों में कंस्टीट्यूशन क्लब को इसके मूल स्वरूप में, वर्तमान समय और परिस्थितियों के अनुरूप वापस लाने की इच्छा है, उन्हें लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखते रहना चाहिए। यदि लोकतांत्रिक बदलाव की मांग ही रुक गई, तो यह कार्य और भी कठिन हो जाएगा।