अब ‘विज्ञापन और दृश्य प्रचार निदेशालय’ (डीएवीपी) ने सरकारी/सार्वजनिक उपक्रमों के विज्ञापन देने के लिए बनी अखबारों की अपनी लिस्ट से ग्रुप के अखबार ’पायनियर’ (Pioneer) का नाम हटा दिया है। इससे‘द पायनियर ग्रुप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
अखबार का 80 प्रतिशत से ज्यादा रेवेन्यू ‘डीएवीपी’ से आता है। ऐसे में इस अखबार को गंभीर वित्तीय संकट का सामना करना पड़ सकता है। बता दें कि ‘डीएवीपी’ सरकारी एजेंसी है जो पब्लिकेशंस को सरकारी/सार्वजनिक उपक्रमों के विज्ञापन जारी करती है।
मीडिया खबर के मुताबिक, ‘द पायनियर’ के खिलाफ एक आरोप यह है कि उसने सरकार से ज्यादा रेवेन्यू हासिल करने के लिए ‘डीएवीपी’ और ‘रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर इंडस्ट्री’ को (आरएनआई) को अपनी बिक्री के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।
अक्टूबर 2020 में ‘द पायनियर’ के तत्कालीन सीईओ ने ‘डीएवीपी’ को सूचित किया था वह रोजाना अंग्रेजी और हिंदी में अखबार की 4,50,000 प्रतियां छापता और बेचता है, जबकि एक डायरेक्टर के अनुसार यह आंकड़ा बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया था। निलंबित किए गए इस डायरेक्टर का कहना था कि कंपनी रोजाना सिर्फ करीब 10 हजार प्रतियां छापती है।
माना जाता है कि वित्तीय और परिचालन लेनदारों को बकाया राशि का भुगतान न करने के लिए निदेशक मंडल के खिलाफ एक फैसले के बाद ‘नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल’ (एनसीएलटी) द्वारा नियुक्त आईआरपी ने भी अपनी रिपोर्ट्स में कंपनी द्वारा किए गए सर्कुलेशन के इन आंकड़ों को गलत बताया था।