दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय और नैम कैन थो विश्वविद्यालय के बीच नमस्ते वियतनाम महोत्सव 2024 में हुआ शैक्षणिक समझौता

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बृजेश भट्ट

नई दिल्ली : अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय और वियतनाम के नैम कैन थो विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। यह हस्ताक्षर 26 अगस्त को वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी में भारतीय वाणिज्य दूतावास में आयोजित नमस्ते वियतनाम महोत्सव के दौरान किए गए।

इस समझौते पर दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय की प्रिंसिपल प्रो. भावना पाण्डेय और नैम कैन थो विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव डॉ. ट्रान थी थू ने हस्ताक्षर किए। यह महोत्सव भारत और वियतनाम के बीच आपसी संबंधों को प्रगाढ़ करने और उन्हें और मजबूत करने की दिशा में किया गया एक प्रयास है। 2022 में शुरू किए गए इस महोत्सव की यह तीसरी कड़ी थी, जिसमें दोनों देशों के विश्वविद्यालयों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।

इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित कर सहयोग और मित्रता की भावना को बढ़ावा देना था। आयोजन में भारत के 28 विश्वविद्यालय और वियतनाम के 17 विश्वविद्यालयों ने भाग लिया। इस अवसर पर महावाणिज्य दूत महामहिम डॉ. मदन मोहन सेठी ने बताया कि हर साल वियतनाम से लगभग 2 लाख छात्र पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय का दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय, अधिक से अधिक वियतनामी छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई हेतु आकर्षित करने की पहल का नेतृत्व कर रहा है।

दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय के लिए यह गर्व का क्षण था कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय का एकमात्र कॉलेज था जिसने वियतनाम के किसी विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। भारतीय वाणिज्य दूतावास द्वारा आमंत्रित इस महोत्सव में दयाल सिंह सांध्य महाविद्यालय की प्रिंसिपल एवं उनके साथ संस्थागत सहयोग समिति के पांच सदस्य भी शामिल हुए।

समझौता ज्ञापन का उद्देश्य स्वैच्छिकता, समानता, निष्पक्षता, ईमानदारी और अखंडता के सिद्धांतों पर आधारित शैक्षिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देना और उनका समर्थन करना है।

दोनों संस्थान अर्थशास्त्र, व्यापार और सूचना तकनीक के क्षेत्र में शैक्षणिक एवं अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके अलावा, शैक्षिक संसाधनों, पाठ्यक्रम, और व्यावसायिक प्रशिक्षण के आदान-प्रदान, संयुक्त अनुसंधान पहलों, शैक्षणिक प्रकाशनों, और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

महाविद्यालय के अध्यक्ष, प्रो. बृज किशोर कुठियाला जी ने महाविद्यालय को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने और इस अवसर का लाभ उठाने के लिए प्रिंसिपल प्रो. भावना पाण्डेय की सराहना की है।

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