देश के पहले ‘गोदी चैनल’ की कहानी: एनडीटीवी का उदय और पतन

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दिल्ली। भारतीय मीडिया के इतिहास में एनडीटीवी को अक्सर ‘पहले गोदी चैनल’ के रूप में चित्रित किया जाता है, जो कांग्रेस पार्टी के प्रचार तंत्र की तरह कार्य करता था। 1988 में प्रणय रॉय और राधिका रॉय द्वारा स्थापित यह चैनल शुरू में दूरदर्शन के लिए सामग्री उत्पादन करता था, लेकिन 2003 में स्वतंत्र ब्रॉडकास्टर बनने के बाद यह कांग्रेस के एजेंडे को बढ़ावा देने का माध्यम बन गया। आलोचकों का मानना है कि एनडीटीवी ने कांग्रेस की नीतियों को ग्लैमराइज किया, विपक्षी दलों को निशाना बनाया और ‘सेक्युलर’ छवि के नाम पर पार्टी लाइन को मजबूत किया। उदाहरणस्वरूप, 2004 के लोकसभा चुनावों में एनडीटीवी की कवरेज ने यूपीए की जीत को ‘लोकतंत्र की विजय’ के रूप में पेश किया, जबकि भाजपा की हार को ‘सांप्रदायिकता की असफलता’ बताया। इसी तरह, 2जी घोटाले (2010) में कांग्रेस को बचाने के लिए चैनल ने जांच एजेंसियों पर हमला बोला, जबकि यूपीए-2 के भ्रष्टाचार कांडों को न्यूनतम कवरेज दिया।

प्रणय रॉय (जिन्हें कभी-कभी ‘जेम्स प्रणय रॉय’ कहा जाता है) पर ईसाई होने का आरोप लगता रहा है, जो सोनिया गांधी की कथित ईसाई पृष्ठभूमि से मेल खाता था। पत्रकारों ने खुलासा किया कि सोनिया इस वजह से रॉय पर अधिक विश्वास करती थीं। पूर्व पीएमओ मीडिया सलाहकार संजय बरू की किताब ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ (2014) में उल्लेख है कि सोनिया-मनमोहन सिंह युग में एनडीटीवी को विशेष पहुंच मिली, क्योंकि रॉय को ‘विश्वसनीय’ माना जाता था। पत्रकार स्वपन दासगुप्ता ने एक इंटरव्यू में कहा, “सोनिया की वेलफेयर योजनाओं के लिए बजट सुनिश्चित करने में एनडीटीवी जैसी मीडिया ने भूमिका निभाई।” मार्गरेट अल्वा की आत्मकथा ‘कौरेज एंड कमिटमेंट’ (2022) में भी सोनिया के मीडिया पर नियंत्रण का जिक्र है, जहां रॉय को ‘अंदरूनी सर्कल’ का सदस्य बताया गया।

एनडीटीवी ने देश को कई ‘गोदी एंकर’ दिए, जो कांग्रेस की गोद में बैठे चिल्लाते थे। रविश कुमार ने ‘प्राइम टाइम’ में यूपीए की तारीफों के पुल बांधे, जबकि बरखा दत्त ने ‘वी द पीपल’ में विपक्ष को ‘अराजक’ ठहराया। विपल मेहता और सोनाली भंसजी जैसे एंकरों ने 26/11 कवरेज (2008) में पाकिस्तान को फोकस कर कांग्रेस की ‘सॉफ्ट’ इमेज बचाई। ये एंकर आज सक्रिय हैं, लेकिन तब वे ‘सेक्युलर वारियर’ बने घूमते थे।

कांग्रेस के सत्ता हटने के बाद एनडीटीवी पर सीबीआई छापे (2017) पड़े, जो ‘विच हंट’ बताए गए। लेकिन आलोचक कहते हैं, यह ‘गोदी’ का अंतिम अध्याय था। आज अडानी समूह के अधिग्रहण (2022) के बाद चैनल बदल गया, लेकिन पुरानी ‘गोदी’ की यादें बाकी हैं।

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आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु एक पत्रकार, लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आम आदमी के सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों तथा भारत के दूरदराज में बसे नागरिकों की समस्याओं पर अंशु ने लम्बे समय तक लेखन व पत्रकारिता की है। अंशु मीडिया स्कैन ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और दस वर्षों से मानवीय विकास से जुड़े विषयों की पत्रिका सोपान स्टेप से जुड़े हुए हैं

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