घटना 1: अमित शाह की गिरफ्तारी और राजनीतिक बदले की कार्रवाई
आज सदन में कांग्रेस के एक नेता ने अमित शाह पर निजी टिप्पणी की, जिसमें दावा किया गया कि जब कांग्रेस ने उन्हें फर्जी मामले में फंसाकर गिरफ्तार कराया, तब उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया। इस पर गृह मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा, “मैं कांग्रेस को याद दिलाना चाहता हूँ कि मैंने अरेस्ट होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था और बेल पर बाहर आने के बाद भी, जब तक मैं अदालत से पूरी तरह निर्दोष साबित नहीं हुआ, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं लिया था। मेरे ऊपर लगाए गए फर्जी केस को अदालत ने यह कहते हुए खारिज किया कि केस राजनीतिक बदले (political vendetta) से प्रेरित था।”
यह घटना 2010 की है, जब अमित शाह, जो उस समय गुजरात के राज्य गृह मंत्री थे, को सीबीआई ने सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में जुलाई 2010 में गिरफ्तार किया था। कांग्रेस पर आरोप लगाया गया कि यह कार्रवाई राजनीतिक द्वेष के तहत की गई थी। शाह ने गिरफ्तारी से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और 2014 तक किसी संवैधानिक पद पर नहीं लौटे। दिसंबर 2014 में मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने उन्हें बरी कर दिया, जिसमें अदालत ने पाया कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था और मामला राजनीतिक रूप से प्रेरित था। शाह ने आज इस घटना को याद करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और एनडीए हमेशा नैतिक मूल्यों के पक्षधर रहे हैं, और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने भी आरोप लगते ही इस्तीफा दे दिया था, जबकि कांग्रेस ने श्रीमती इंदिरा गांधी के समय से शुरू हुई अनैतिक परंपराओं को आगे बढ़ाया है।
घटना 2: लालू प्रसाद यादव के लिए अध्यादेश और कांग्रेस का दोहरा चरित्र
शाह ने अपनी दूसरी टिप्पणी में कांग्रेस पर लालू प्रसाद यादव को बचाने के लिए अध्यादेश लाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “जिस श्री लालू प्रसाद यादव जी को बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी अध्यादेश लाई थी, जिसका श्री राहुल गांधी ने विरोध किया था, आज वही राहुल गांधी पटना के गांधी मैदान में लालू जी को गले लगा रहे हैं। विपक्ष का यह दोहरा चरित्र जनता भली-भांति समझ चुकी है।”
यह घटना 2013 की है, जब लालू प्रसाद यादव, जो उस समय बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता थे, को चारा घोटाले में दोषी पाया गया था। उन्हें ₹37 करोड़ के घोटाले में पांच साल की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोषी सांसदों और विधायकों को अयोग्य ठहराने का फैसला दिया था। कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने इस फैसले को पलटने के लिए एक अध्यादेश लाने का प्रयास किया, ताकि यादव जैसे दोषी नेताओं को बचाया जा सके। हालांकि, राहुल गांधी ने इस अध्यादेश का सार्वजनिक रूप से विरोध किया था, जिसके बाद इसे वापस ले लिया गया था। लेकिन हाल ही में, जनवरी 2025 में, राहुल गांधी ने पटना में लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की और उन्हें गले लगाया, जिसे शाह ने विपक्ष के दोहरे चरित्र का प्रमाण बताया। इस मुलाकात के दौरान गांधी ने यादव के घर पर गायों और बकरियों के साथ समय बिताया और मंदिर में प्रार्थना की, जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी।
शाह का समग्र बयान और विपक्ष पर हमला
शाह ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि आज संसद में पेश किए गए एक बिल पर चर्चा के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सामने रखा जाना था, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व में पूरा इंडी गठबंधन भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए “शर्म और हया” छोड़कर इसका भद्दे तरीके से विरोध कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि आज विपक्ष जनता के सामने पूरी तरह से उजागर हो गया है।
अमित शाह की आज की टिप्पणियां न केवल उनकी व्यक्तिगत राजनीतिक यात्रा को रेखांकित करती हैं, बल्कि कांग्रेस और विपक्ष पर गंभीर आरोप भी लगाती हैं। उनकी गिरफ्तारी और लालू प्रसाद यादव के लिए अध्यादेश जैसे मुद्दों को उठाकर उन्होंने नैतिकता और राजनीतिक जवाबदेही का मुद्दा केंद्र में लाने की कोशिश की है। दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने शाह के बयानों को खारिज करते हुए उनके अतीत के आरोपों को फिर से उठाया है, जिससे राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है। यह बहस आने वाले दिनों में संसद और जनता के बीच चर्चा का केंद्र बिंदु बनी रहेगी।
(स्रोत: अमित शाह का ट्वीट, https://x.com/AmitShah/status/1958141355735007577,)