देश के पहले लेखक ग्राम में हुआ लेखकों का जुटान

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देहरादून। तीन नवम्बर से पाँच नवंबर, 2025 को हिमालय की पावन अधित्यका में देहरादून के थानों ग्राम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दृष्टा, भारत के सर्वप्रिय पूर्व शिक्षा मंत्री, उत्तराखण्ड के यशस्वी पूर्व मुख्यमंत्री एवं अविभाजित उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक जी द्वारा परिकल्पित और स्थापित देश के पहले लेखक गाँव में स्पर्श हिमालय महोत्सव 2025 में विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मानित होने तथा कथेतर साहित्य पर अपने विचार रखने का पुनीत अवसर प्राप्त हुआ। इस कार्यक्रम में साठ से अधिक देशों की हिंदी प्रेमी विभूतियों ने सहभागिता की।

इस अवसर पर मित्रकुल के अनेक वरेण्य मित्रजन से दर्शन सुख तथा मिलन सुख प्राप्त हुआ, जिनमें स्वयं आदरणीय रमेश पोखरियाल निशंक जी, उत्तराखण्ड के लोकप्रिय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी, पद्मश्री डॉ हरमोहिंदर सिंह बेदी जी, परमार्थ निकेतन के आदरणीय चिदानंद मुनि जी महाराज, केंद्रीय मंत्री किरण रिजीजू जी, ब्रिटेन के आदरणीय अग्रज श्री तेजेन्द्र शर्मा जी, जापान की मित्र डॉ रमा पूर्णिमा अजय शर्मा, अमेरिका के अनूप भार्गव, अमेरिका से दीदी डॉ कविता वाचकक्नवी जी, नीदरलैंड की ऋतु शर्मा नन्नन पाण्डेय, नॉर्वे के मित्र शरद आलोक जी, जर्मनी से ऑनलाइन माध्यम से डॉ शिप्रा शिल्पी सक्सेना, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी के कुलपति मेरे अग्रज नवीन चंद्र लोहनी जी, राजभाषा विभाग गृह मंत्रालय के उपनिदेशक मित्र रघुबीर शर्मा, बम्बई विश्वविद्यालय, मुंबई के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो करुणाशंकर उपाध्याय जी, उत्तराखण्ड के राज्यपाल के पूर्व सचिव डॉ अरुण ढौंढियाल जी, दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ साधना अग्रवाल जी, डॉ ऋषि कुमार शर्मा जी, डॉ रवि कुमार गोंड जी, डॉ वेदप्रकाश वत्स, अनंग प्रकाशन के मित्र सत्यभान जी, अनिल जोशी जी, जयपुर के मित्र डॉ बाबूलाल मीणा जी, डॉ दीपक शर्मा, डॉ नीलू शर्मा, अमृतसर से डॉ किरण खन्ना जी Kiran Khanna, मिजोरम के मित्र प्रो सुशील कुमार शर्मा Sushil Sharma, खालसा कॉलेज, दिल्ली की पूर्व प्राचार्य डॉ हरविंदर कौर बिंद्रा जी, वाराणसी के मित्र प्रो राजमुनि शर्मा जी तथा अनेक इष्ट मित्र मिले। विस्तार भय के कारण सबके नाम नहीं लिख पा रहा हूँ किन्तु इतना अवश्य कहना चाहूंगा कि अद्भुत,अप्रतिम, दिव्य, पुनीत और मनोरम स्मृतियों के साथ वापस लौट रहा हूँ। पूज्य डॉ रमेश पोखरियाल निशंक जी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना स्वयं को लघु करना होगा। अतः इस अवसर पर उनके प्रति विनयावनत हूँ।

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