देश/प्रदेश का सम्मान वेंटिलेटर पर है

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संकेत ठाकुर

रायपुर: आज सुबह से आक्रोशित हूं वर्तमान अव्यवस्था को लेकर …. और दुखी भी हूं कि मैं अपने प्रिय गुरु विनोद कुमार शुक्ल के स्वास्थ्य के लिए कुछ नहीं कर पा रहा हूं ।

उस दिन बहुत राहत मिली थी जब खबर मिली कि प्रधानमंत्री जी ने 1 नवंबर को रायपुर में विमान से उतरने के तुरन्त बाद फोन करके विनोद कुमार शुक्ल सर के स्वास्थ्य का हालचाल पूछा था । दो दिन बाद जब मैं हॉस्पिटल में सर से मिलने गया था तो उनके बेटे शाश्वत जी ने फोन वाले वाकये को विस्तार से बताया था । लेकिन ये भी बताया कि पीएम के फोन आने के बाद राज्य शासन से एक अधिकारी आए थे जिन्होंने हालचाल पूछा फिर शाश्वत जी को एक आवेदन पत्र भरकर देने कहा जिसमें विनोद कुमार शुक्ल जी या उनके बेटे को राज्य शासन से इलाज हेतु आवेदन करना था ! एक स्वाभिमानी संवेदनशील साहित्यकार के पुत्र ने पिता के सम्मान की रक्षा करते हुए इलाज में सहायता हेतु राशि का आवेदन लिखने से इनकार कर दिया ! भला अब भी एप्लीकेशन देना होगा ! गुहार लगानी होगी !!

शाश्वत भाई ने बड़ी शालीनता से उस आवेदन पत्र को भरने से इनकार कर दिया ।
इस तरह शासन की ओर से कोई सहयोग नहीं मिला और लगभग रु 4 लाख निजी अस्पताल में इलाज के नाम पर खर्च करने के बाद अपने पिता को लेकर 12 नवंबर को घर लौट आए । इस दौरान शुक्ल सर का वजन लगभग 15 किलो घट गया । अस्पताल ने बहुत सारे टेस्ट करवाएं लेकिन फेफड़ों में पानी भरने का कारण स्पष्ट समझ नहीं आया । यह बताया गया कि प्रोटीन की कमी है !
सांस लेने में सर को तकलीफ हो रही थी, लेकिन बीमारी का सटीक कारण समझ नहीं आने के कारण उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई । घर लौटकर यथासंभव उचित देखभाल की जाने लगी ।
21 नवंबर को शारीरिक रूप से बेहद कमजोर हो चुके विनोद कुमार शुक्ल जी को देश के सबसे बड़े साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार उनके घर में ही साधारण कार्यक्रम में दिया गया।
3 दिसंबर को स्वास्थ्य फिर खराब होने लगा । सांस लेने में तकलीफ बढ़ी । इस बार निजी अस्पताल में हुए भारी खर्च को देखते हुए निजी की बजाय सरकारी अस्पताल एम्स रायपुर में उन्हें भर्ती किया गया । कुछ मित्रों ने उनको एम्स में भर्ती कराने में मदद की ।

आज शुक्ल सर को एम्स रायपुर में भर्ती हुए 15 दिन हो गए हैं ।
शाश्वत भाई लगातार पिता की सेवा में लगे हुए हैं । कल उन्होंने इलाज को लेकर गहन निराशा व्यक्त की ।
आज सुबह एम्स रायपुर में पत्नी शुभ्रा जी के साथ मिलने गया तो पता चला कि शुक्ल सर को कल रात को वेंटिलेटर में शिफ्ट कर दिया गया है….

शाश्वत भाई के साथ करीब 2 घंटे बैठे रहे हम लोग ।

एम्स के MICU वार्ड से लगे प्रतीक्षा वार्ड की फर्श पर दरी बिछाकर शाश्वत भाई, उनकी श्रीमती जी और बिटिया लगातार सेवारत हैं । उन्हें अपने पिता से दिन में दो बार ही मिलने दिया जाता है ।
या फिर वार्ड का सिक्योरिटी गार्ड आवाज देखकर बुलाता है …. 1 नम्बर बेड के परिजन हाजिर हो । वहां जाकर बताया जाता है कि अपने पिता की ड्रेसिंग आप ही करो, बिस्तर की चादर बदलो, पिता का डायपर चेंज करो…आदि । कभी कभी रात को 12 बजे बुलाकर कहा जाता है कि बेड नंबर 1 के पेशेंट का बिस्तर से पैर बाहर आ गया है उसे अंदर करो ! यह सब काम के लिए मना करने पर उन्हें यहां तक कह दिया गया कि आप स्वयं कोई निजी नर्सिंग स्टाफ ले आओ !!

हॉस्पिटल के अन्य स्टाफ इतना लापरवाह है कि सफाई, टॉयलेट से लेकर हर काम के लिए मरीज के परिजनों को संघर्ष करना पड़ रहा है । सारे परिजन हताशा में नजर आए ।
देश के ज्ञानपीठ पुरस्कार से लेकर अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त साहित्यकार के इलाज में घनघोर लापरवाही के दर्द से तड़पकर शाश्वत कहते हैं कि दादा को सांस लेने की तकलीफ है लेकिन डॉक्टर उन्हें दूर से देखते है या उनकी फोटो मोबाइल में देखकर दवा बताते है ना कि छाती पर स्टेथोस्कोप लगाकर फेफड़े की हालत का अनुमान लगाते हों !
मैने किसी तरह अपने संपर्कों से इलाज कर रहे डॉक्टर से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि स्थिति स्टेबल है । फेफड़ों में हॉस्पिटल जनित इन्फेक्शन है । निमोनिया हो सकता है । Lungs में 80% फाइब्रोसिस है ।
आज मेरे सामने ही एक और टेस्ट कराने कहा गया जो एम्स में नहीं होता, इसके लिए किसी निजी लेब के टेक्नीशियन आए थे, test की फीस रु 25000 मांगे !

देश के महान साहित्यकार, प्रदेश के ‘धरोहर’ वेंटीलेटर पर हैं । बेटा पिताजी देखरेख करते हुए फ्लोर की सफाई के लिए स्वीपर से संघर्ष करते हुए चटाई पर सोने को मजबूर है।

(सोशल मीडिया से साभार)

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