नई दिल्ली: फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान मस्जिद में आगजनी और तोड़फोड़ के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने तीन आरोपियों—ईशु, प्रेम, और मनीष—को बरी कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश करने में नाकाम रहा। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने संदेह का लाभ देते हुए तीनों को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।
यह मामला उत्तर-पूर्वी दिल्ली के खजूरी खास इलाके का है, जहां 25 फरवरी 2020 को दंगों के दौरान एक मस्जिद में कथित तौर पर आग लगाने और पथराव का आरोप लगा था। पुलिस ने ईशु, प्रेम, और मनीष को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, और 436 के तहत केस दर्ज किया था। हालांकि, कोर्ट ने गवाहों के बयानों में विरोधाभास और सबूतों की कमी को आधार बनाकर फैसला सुनाया।
बरी होने के बाद तीनों ने बताया कि इस केस ने उनकी जिंदगी तबाह कर दी। उन्होंने कहा, “पुलिस ने जानबूझकर हमें झूठे केस में फंसाया। हमारी नौकरियां छूट गईं, करियर बर्बाद हो गया, और परिवार को सामाजिक तिरस्कार झेलना पड़ा।” जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कानूनी टीम ने इनका केस लड़ा था। इस फैसले ने दिल्ली दंगों की जांच पर फिर सवाल उठाए हैं, क्योंकि कई मामलों में अभियुक्त बरी हो रहे हैं।