नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े साजिश के मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम सहित नौ आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं। जस्टिस नवीन चावला और शालिंदर कौर की खंडपीठ ने 9 जुलाई को सुनवाई पूरी करने के बाद मंगलवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष के आरोप गंभीर हैं, जो एक सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करते हैं। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे।
दिल्ली पुलिस ने दावा किया कि उमर खालिद और शरजील इमाम ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के विरोध की आड़ में हिंसा भड़काने की साजिश रची। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह अचानक हुई हिंसा नहीं, बल्कि देश को धार्मिक आधार पर बांटने और वैश्विक स्तर पर भारत की छवि खराब करने की सुनियोजित साजिश थी। उन्होंने कहा, “ऐसे लोग जो देश के खिलाफ साजिश रचते हैं, उन्हें बरी होने तक जेल में रहना चाहिए।”
आरोपियों के वकीलों ने दलील दी कि लंबी हिरासत और सबूतों का अभाव जमानत का आधार है। शरजील के वकील तालिब मुस्तफा ने कहा कि उनके मुवक्किल का दंगों से कोई सीधा संबंध नहीं था। हालांकि, कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया। इस फैसले से कुछ वर्गों में निराशा है, जो इसे नौजवानों के साथ अन्याय मानते हैं। दूसरी ओर, कई लोग मानते हैं कि देश विरोधी गतिविधियों के लिए सख्त कार्रवाई जरूरी है। उमर खालिद के वकील ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है।