दिल्ली की गुप्ता सरकार: कमजोर मोर्चों पर सतर्कता की घंटी

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दिल्ली की सड़कों पर आज भी जलभराव की यादें ताजा हैं। यमुना का काला पानी, सांसों को झुलसाती हवा और टूटी-फूटी सड़कें – ये वो निशान हैं जो अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने छोड़े थे। लेकिन अब, फरवरी 2025 के विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत से सत्ता संभालने वाली भाजपा की रेखा गुप्ता सरकार पर भी उसी तरह की आलोचनाओं का बोझ लदा है। सात महीने बीत चुके हैं, लेकिन कई मोर्चों पर गुप्ता सरकार की लापरवाही साफ नजर आ रही है। ये कमजोरियां न सिर्फ दिल्लीवासियों का भरोसा तोड़ रही हैं, बल्कि विपक्षी दलों – खासकर कांग्रेस और AAP – को अगले चुनावों (2029) से पहले ही मजबूत हथियार दे रही हैं। क्या गुप्ता सरकार इन मोर्चों पर सावधानी नहीं बरतेगी, तो विपक्ष इस लापरवाही का फायदा उठाकर सत्ता की कमान फिर हथिया लेगा?

दिल्ली की राजनीति हमेशा से ही केंद्र-राज्य टकराव की भेंट चढ़ती रही है। 1993 से दिल्ली यूनियन टेरिटरी का दर्जा पाने के बाद से यहां की सरकारें केंद्र की छत्रछाया में काम करती हैं। लेकिन 2025 के चुनावों में भाजपा ने AAP की 10 साल की ‘फ्रीबी’ वाली राजनीति को नकारते हुए ‘विकास और स्वच्छ शासन’ का नारा दिया था। रेखा गुप्ता, जो दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं, ने शपथ लेते ही वादा किया था: “AAP का ‘आपदा’ मॉडल खत्म, अब दिल्ली बनेगी विश्व स्तरीय शहर।” लेकिन सात महीनों में कई मोर्चों पर वही पुरानी कहानी दोहराई जा रही है। CAG रिपोर्ट्स, सुप्रीम कोर्ट की फटकारें और सोशल मीडिया पर उठते सवाल – सब इशारा कर रहे हैं कि गुप्ता सरकार भी उसी दलदल में फंस रही है, जहां AAP फंसी थी।

जल संकट – यमुना साफ करने का वादा अधर में लटका

दिल्ली का सबसे पुराना घाव है पानी का संकट। AAP सरकार ने 2015 में वादा किया था कि 2025 तक यमुना को साफ कर दिया जाएगा। लेकिन 2024 तक नदी में जहरीला झाग तैरता रहा। गुप्ता सरकार ने सत्ता संभालते ही ‘यमुना सफाई मिशन 2.0’ की घोषणा की, लेकिन जुलाई 2025 की बारिश में फिर वही जलभराव। दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के 696 स्थायी पंपों में से 300 अभी भी खराब हैं – ये आंकड़े CAG की जुलाई 2025 रिपोर्ट से लिए गए हैं। पूर्व CM अरविंद केजरीवाल ने जून 2024 में अनशन का हवाला देकर केंद्र पर दोष मढ़ा था, लेकिन अब गुप्ता सरकार पर वही आरोप लग रहे हैं।

दक्षिण दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके में AAP के समय हर गर्मी में टैंकरों की होड़ लगी रहती थी। अब BJP का समय है, लेकिन पानी की किल्लत वैसी ही है। जुर्माना लगाकर गरीबों को क्यों सताते हैं? बड़े उद्योगपतियों पर कार्रवाई क्यों नहीं?” सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2024 में AAP को फटकार लगाई थी कि “मजदूर भूखे मर जाएं, क्या?” अब गुप्ता सरकार को भी वही सुनना पड़ रहा है। हरियाणा से पानी की सप्लाई पर विवाद जारी है, लेकिन गुप्ता सरकार ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। विशेषज्ञों का कहना है कि DJB को 4,000 करोड़ का बजट मिला था, लेकिन रखरखाव पर खर्च शून्य रहा। अगर ये लापरवाही जारी रही, तो कांग्रेस और AAP मिलकर ‘पानी सत्याग्रह 2.0’ चला सकते हैं – और अगले चुनाव में ये मुद्दा वोटों का ध्रुवीकरण करेगा।

वायु प्रदूषण – स्मॉग टावर बेकार, AQI 400 पार

दिल्ली की हवा दुनिया की सबसे जहरीली है। AAP ने 2021 में स्मॉग टावर लगाए, लेकिन 2025 तक वे जंग खा रहे थे। गुप्ता सरकार ने वादा किया था कि ‘हरित दिल्ली मिशन’ से AQI को 100 के नीचे लाया जाएगा। लेकिन नवंबर 2024 में AQI 450 पार हो गया, और सितंबर 2025 में फिर वही हाल। WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के बच्चे रोज 20 सिगरेट के बराबर धुआं सांस ले रहे हैं। BJP सांसद अनुराग ठाकुर ने दिसंबर 2024 में कहा था, “केजरीवाल ने प्रदूषण पर ब्लेम गेम खेला, अब गुप्ता जी क्या करेंगी?”

CAG की अगस्त 2025 रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि दिल्ली सरकार ने एंटी-स्मॉग गन्स पर 500 करोड़ खर्च किए, लेकिन वे 70% समय बंद पड़े रहते हैं। पड़ोसी राज्यों – पंजाब और हरियाणा – से पराली जलाने का बहाना तो AAP का था, लेकिन गुप्ता सरकार ने भी कोई अंतरराज्यीय समझौता नहीं किया।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अगस्त 2025 में ट्वीट किया: “दिल्ली की हवा BJP की लापरवाही का शिकार है। 2029 में हम इसे साफ करेंगे।” अगर गुप्ता सरकार ने GRAP (Graded Response Action Plan) को सख्ती से लागू नहीं किया, तो विपक्ष ‘स्वास्थ्य संकट’ का नारा देकर युवाओं को लामबंद करेगा।

इंफ्रास्ट्रक्चर – सड़कें टूटी, MCD का कचरा संकट

AAP की सबसे बड़ी कमजोरी थी MCD का कुप्रबंधन। 2022 में AAP ने MCD जीता, लेकिन 2025 तक कचरा पहाड़ बने रहे। गुप्ता सरकार ने ‘स्मार्ट सिटी मिशन’ की शुरुआत की, लेकिन सितंबर 2025 की बारिश में सड़कें फिर डूब गईं। CAG रिपोर्ट (मार्च 2025) में कहा गया कि AAP के समय 4,000 करोड़ का फंड DJB को नहीं मिला, जिससे सीवर सिस्टम चरमरा गया। अब BJP पर वही आरोप लग रहे हैं।

AAP के 10 साल में सड़कें कभी न बनीं, अब BJP के सात महीने में भी वही हाल। कचरा उठाने वाले मजदूर हड़ताल पर हैं, क्योंकि वेतन नहीं मिला। MCD काउंसलरों का कहना है कि AAP ने 2022-2025 में MCD को ‘राजनीतिक हथियार’ बनाया, लेकिन गुप्ता सरकार ने अब तक 1,000 करोड़ का बजट आवंटित नहीं किया। X (पूर्व ट्विटर) पर #DelhiRoadsFail ट्रेंड कर रहा है, जहां यूजर्स वीडियो शेयर कर रहे हैं।

विपक्ष की नजर इसी पर है। AAP सांसद संजय सिंह ने जुलाई 2025 में कहा, “BJP ने MCD को फिर से बर्बाद कर दिया।” कांग्रेस ने ‘इंफ्रा क्रांति’ का वादा किया है। अगर ये जारी रहा, तो 2029 में ये मुद्दा ‘विकास विफलता’ का प्रतीक बनेगा।

स्वास्थ्य और शिक्षा – मोहल्ला क्लिनिक बंद, स्कूलों में टीचरों की कमी

AAP का ‘मोहल्ला क्लिनिक’ मॉडल 2015 का हिट था, लेकिन 2025 तक 70% क्लिनिक बंद हो चुके थे। CAG रिपोर्ट (फरवरी 2025) में खुलासा हुआ कि 1,500 करोड़ का फंड गबन हुआ। गुप्ता सरकार ने ‘स्वास्थ्य क्रांति’ का ऐलान किया, लेकिन सितंबर 2025 में डेंगू के 500 केस आए – अस्पतालों में बेड की कमी।

शिक्षा में भी हाल बेहाल। AAP ने स्कूल सुधार का दावा किया, लेकिन RTE एक्ट का पालन शून्य। BJP सरकार ने ‘स्मार्ट क्लासरूम’ प्रोजेक्ट शुरू किया, लेकिन टीचरों की 30% वैकेंसी भरी नहीं। AAP के समय बिल्डिंग बनीं, लेकिन टीचर नहीं। अब BJP कहती है सुधार होगा, लेकिन किताबें तक नहीं पहुंचीं।”

कांग्रेस ने जून 2025 में ‘शिक्षा गारंटी’ अभियान शुरू किया, जबकि AAP ‘मोहल्ला क्लिनिक रिवाइवल’ की बात कर रहा है।

भ्रष्टाचार और आंतरिक कलह – शीश महल विवाद की छाया

AAP की सबसे बड़ी चूक थी ‘शीश महल’ घोटाला – केजरीवाल के बंगले पर 25 करोड़ का खर्च। BJP ने इसे भुनाया, लेकिन अब गुप्ता सरकार पर भी ‘विशेषाधिकार’ के आरोप लग रहे हैं। ED और CBI की जांचें जारी हैं, और CAG ने DTC पर 500 करोड़ के घोटाले का जिक्र किया।

विपक्ष का मौका: कांग्रेस-AAP का गठबंधन?

अगर गुप्ता सरकार ने सुधार नहीं किए, तो विपक्ष ‘AAP-BJP एक ही सिक्के के दो पहलू’ का नैरेटिव चला सकता है। विशेषज्ञ कहते हैं, “दिल्ली की जनता फ्रीबी नहीं, समाधान चाहती है।”

गुप्ता सरकार को सतर्क रहना होगा। सरकार को तुरंत DJB का ऑडिट कराना चाहिए और हरियाणा के साथ द्विपक्षीय समझौता करना चाहिए। अन्यथा, विपक्ष इस मुद्दे को ‘भाजपा की साजिश’ बता कर जनता को भड़काएगा।

तत्काल अंतरराज्यीय टास्क फोर्स बनाएं और स्मॉग टावरों का अपग्रेडेशन शुरू करें। अन्यथा, AAP-कांग्रेस गठबंधन इस मुद्दे पर ‘जन स्वास्थ्य आंदोलन’ चला सकता है।

MCD को स्वायत्तता दें और PWD के साथ समन्वय बढ़ाएं। CAG ऑडिट पर अमल करें, वरना विपक्ष ‘भ्रष्टाचार की वापसी’ का नैरेटिव चला देगा।

बजट में स्वास्थ्य-शिक्षा को 25% आवंटित करें। विपक्ष इन मुद्दों को ‘जन-विरोधी नीतियां’ बता सकता है।

ये मोर्चे मजबूत करें, वरना 2029 में कांग्रेस-AAP का स्वागत होगा। दिल्ली की सांसें थम सी गई हैं – क्या गुप्ता जी सुधारेंगी, या इतिहास दोहराएगा?

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