नई दिल्ली: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने एक भावुक लेख के माध्यम से अपनी जिंदगी के अनुभव और दिल्लीवासियों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को साझा किया। अपने कॉलेज के दिनों की एक कार दुर्घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे उनके पिता ने उन्हें डर पर काबू पाने और आगे बढ़ने की सीख दी। इस सीख को याद करते हुए रेखा ने हाल ही में हुई एक और दुर्घटना का उल्लेख किया, लेकिन दृढ़ता के साथ कहा कि वह दिल्ली के हितों के लिए लड़ना कभी नहीं छोड़ेंगी।मुख्यमंत्री ने अपने लेख में लिखा, “मेरे जीवन का हर क्षण और शरीर का हर कण दिल्ली के नाम है। मैं इन सभी अप्रत्याशित प्रहारों के बावजूद दिल्ली का साथ कभी नहीं छोड़ूँगी।”
उन्होंने महिलाओं की सहनशक्ति और संघर्ष की भावना को रेखांकित करते हुए कहा कि महिलाओं में तकलीफों से लड़ने की दोहरी ताकत होती है। “मैं भी हर परीक्षा के लिए तैयार हूँ,” उन्होंने जोड़ा।रेखा गुप्ता ने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि अब जनसुनवाई केवल उनके आवास तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि दिल्ली की हर विधानसभा में होगी। “आपकी मुख्यमंत्री, आपके द्वार,” उन्होंने लिखा।
अपने लेख को उन्होंने कवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियों के साथ समाप्त किया, जो उनकी दृढ़ता और साहस को दर्शाती हैं: “कदम मिलाकर चलना होगा।” उनके लिखे पर सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा शुरू हो गई है।
दिल्लीवासियों ने उनकी संवेदनशीलता और जनता के प्रति समर्पण की सराहना की। यह कदम दिल्ली की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत माना जा रहा है।
“बाधाएं आती हैं आएं,
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पांवों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों से हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा,
कदम मिलाकर चलना होगा”