दो वर्ष में ‘मोहन मॉडल’ : मध्यप्रदेश में सुशासन, सादगी और संकल्प का नया अध्याय

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सुभाष चन्द्र

भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। यह केवल समय की गणना नहीं, बल्कि ऐसे बदलावों का दस्तावेज़ है जिसने प्रदेश की राजनीति, प्रशासन और विकास की दिशा को नई गति दी है। जिस दिन भाजपा विधायक दल की बैठक में उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित हुआ था, वह क्षण स्वयं उनके लिए भी अकल्पनीय था। पर दो वर्षों के बाद वही मोहन यादव आज भाजपा के सबसे भरोसेमंद मुख्यमंत्रियों में गिने जाते हैं—एक ऐसा नेतृत्व, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय नेतृत्व दोनों भरोसा करते हैं।

डॉ. यादव की कार्यशैली की सबसे बड़ी विशेषता है—निर्णय क्षमता। जनहित से जुड़े विषयों पर वे देर नहीं लगाते। हर स्तर पर प्रशासनिक कसावट, अधिकारियों की जवाबदेही और समयबद्ध कार्रवाई उनके शासन की पहचान बन चुकी है। पिछले दो वर्षों में लापरवाही बरतने वाले बड़े अधिकारियों पर सख्त कदम उठाना इसका स्पष्ट उदाहरण है। उनके लिए शासन का आधार मंत्र है—सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास।

मोहन यादव की लोकप्रियता का असली कारण उनकी सहजता और सादगी है। चाय की दुकान पर अचानक पहुंचकर चाय बनाना, सड़क किनारे होटल में समोसा तल देना, छोटे से छोटे कार्यकर्ता से आत्मीयता से मिलना—इन घटनाओं ने आमजन के मन में यह भरोसा भरा कि मुख्यमंत्री उनसे जुड़ा है, उनके साथ खड़ा है।

हाल ही में महाकाल की नगरी उज्जैन में सामूहिक विवाह सम्मेलन में अपने पुत्र का विवाह करवाना उनके सादगीभरे और सामाजिक संदेश देने वाले स्वभाव का अद्वितीय उदाहरण बना। दो वर्षों में जिस तेजी से मध्यप्रदेश में विकास के पहिए घूमे हैं, वह अभूतपूर्व है— लाखों करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव, औद्योगिक परिषदों के माध्यम से दो लाख रोजगार के अवसर। 327 नई औद्योगिक इकाइयां शुरू, 40 हजार से अधिक रोजगार सृजित। इंदौर और भोपाल मेट्रो शीघ्र प्रारंभ होने की राह पर। सिंहस्थ 2028 की तैयारियों में योजनाबद्ध कार्य और भारी बजट प्रावधान। डिजिटल प्रशासन—साइबर तहसीलें, तेज नामांतरण प्रणाली। जीएसटी संग्रह में 26% वृद्धि, राज्य का कर्ज भार 2% घटा। कृषि क्षेत्र में मजबूती—भावांतर योजना, प्राकृतिक आपदा राहत में 1800 करोड़ की राशि। महिला सशक्तिकरण—950 महिला ऊर्जा डेस्क, प्रत्येक जिले में महिला थाना, 47 लाख महिलाओं को स्व-सहायता समूहों से जोड़ना। जल संरक्षण—मनरेगा के तहत खेत तालाब, अमृत सरोवर, वॉटरशेड कार्यों में तेज़ी। नक्सल उन्मूलन—बालाघाट, मंडला, डिंडोरी में निर्णायक सफलता; दस प्रमुख नक्सलियों का आत्मसमर्पण। सार्वजनिक परिवहन—2026 तक नया पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम लागू करने का लक्ष्य। ऊर्जा व सिंचाई—दुगना दुग्ध उत्पादन लक्ष्य की ओर महत्वपूर्ण कदम, सिंचाई क्षमता में वृद्धि। यह सूची केवल संकेत है; असली फेहरिस्त कहीं लंबी है।

मोहन यादव की सबसे बड़ी शक्ति यह है कि वे संगठन, सरकार और संघ तीनों के बीच अद्भुत सामंजस्य रखते हैं। उनका कोई व्यक्तिगत गुट नहीं—वे सभी विधायकों, नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए समान रूप से सहज और उपलब्ध रहते हैं। यही कारण है कि संगठनात्मक निर्णयों में भी उनकी राय निर्णायक महत्व रखती है। मोहन यादव बार-बार कहते हैं कि उनकी एकमात्र आकांक्षा है—प्रधानमंत्री मोदी द्वारा जताए गए विश्वास पर खरा उतरना। मध्यप्रदेश को देश के विकसित राज्यों की कतार में अग्रणी स्थान दिलाने का उनका संकल्प ही उनका मील का पत्थर है—वे रुकते नहीं, बस आगे बढ़ते हैं।

मोहन सरकार के 730 दिन इस बात के साक्षी हैं कि प्रदेश में विकास की गति और बढ़ेगी, सुशासन नए मानक स्थापित करेगा। निवेश, रोजगार और आधारभूत संरचना में तेज़ उछाल आएगा। सामाजिक सौहार्द, भाईचारा और गंगा–जमुनी तहज़ीब और मजबूत होगी। यदि यह रफ्तार बरकरार रही तो अगले तीन वर्षों में मध्यप्रदेश देश के सफलतम राज्यों में अपनी जगह सुनिश्चित कर लेगा। मोहन यादव के दो वर्ष केवल उपलब्धियों का लेखा-जोखा नहीं, बल्कि उस परिवर्तनशील नेतृत्व का प्रमाण हैं जिसने मध्यप्रदेश की नई कहानी लिखनी शुरू कर दी है।

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