दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा: नीरज की कहानी

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कुमारी अन्नपूर्णा

दिल्ली। The Economist की सहयोगी पत्रिका 1843 अपनी गहन, कथात्मक और विचारोत्तेजक लॉन्ग रीड्स (लंबे आलेखों) के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। ये आलेख केवल सूचना देने तक सीमित नहीं रहते, बल्कि पाठकों को एक कहानी के माध्यम से गहरे सामाजिक, सांस्कृतिक और मानवीय मुद्दों से जोड़ते हैं। 24 जुलाई 2025 के अंक में प्रकाशित लेख, “Would You Pass the World’s Toughest Exam?”, ऐसी ही एक कहानी है, जो 23 वर्षीय नीरज कुमार के संघर्ष और भारत की सिविल सेवा परीक्षा (UPSC) की जटिलताओं को उजागर करती है।

नीरज की कहानी: एक सपने की शुरुआत

2019 की गर्मियों में, नीरज कुमार, एक 23 वर्षीय छात्र, दिल्ली से पटना की ओर एक स्लीपर ट्रेन में सवार हुए। उनकी यह यात्रा केवल एक भौतिक यात्रा नहीं थी, बल्कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में प्रवेश के सपने की ओर एक कदम थी। लेख के अनुसार, नीरज एक साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं, और उनकी कहानी उन लाखों भारतीय युवाओं की आकांक्षाओं को दर्शाती है, जो UPSC की सिविल सेवा परीक्षा के माध्यम से अपने जीवन और समाज को बदलना चाहते हैं।

नीरज ने दिल्ली के मुखर्जी नगर, जो UPSC की तैयारी का केंद्र है, में अपनी पढ़ाई शुरू की। वहाँ उन्होंने दिन-रात किताबों, मॉक टेस्ट्स और कोचिंग कक्षाओं में डूबकर तैयारी की। उनकी कहानी में आर्थिक तंगी, सामाजिक दबाव और आत्म-संदेह की चुनौतियाँ भी शामिल हैं। पटना में अपने गाँव लौटने पर, नीरज ने वहाँ के बच्चों की शिक्षा की कमी को देखा, जिसने उन्हें अपने लक्ष्य के प्रति और दृढ़ किया। वे चाहते थे कि IAS बनकर वे अपने क्षेत्र में शिक्षा और विकास के लिए काम करें।

UPSC: दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा

UPSC सिविल सेवा परीक्षा को 1843 ने दुनिया की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक बताया है। हर साल लगभग दस लाख उम्मीदवार इस परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन केवल 0.1% से कम ही IAS, IPS या IFS जैसे पदों तक पहुँच पाते हैं। परीक्षा तीन चरणों में होती है: प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार। प्रारंभिक परीक्षा में सामान्य अध्ययन और CSAT शामिल हैं, जबकि मुख्य परीक्षा में नौ पेपर होते हैं, जिनमें निबंध, सामान्य अध्ययन और वैकल्पिक विषय शामिल हैं। साक्षात्कार उम्मीदवार के व्यक्तित्व और नैतिक दृष्टिकोण का आकलन करता है।

नीरज की तरह, अधिकांश उम्मीदवारों को इस प्रक्रिया में कई साल लग जाते हैं। असफलता का डर, आर्थिक बोझ और सामाजिक अपेक्षाएँ इस यात्रा को और कठिन बनाती हैं। फिर भी, नीरज ने अपनी दृढ़ता और परिवार के समर्थन से इस कठिन राह पर चलना जारी रखा। लेख इस बात पर जोर देता है कि UPSC केवल एक परीक्षा नहीं, बल्कि सामाजिक गतिशीलता और बदलाव का एक माध्यम है।

लॉन्ग रीड्स की शैली

The Economist के स्थापना का वर्ष 1843 है, पत्रिका अपनी कथात्मक पत्रकारिता के लिए जानी जाती है। इसके लॉन्ग रीड्स की कुछ प्रमुख विशेषताएँ हैं:
कथात्मक शैली: लेख कहानी कहने की शैली में लिखे जाते हैं, जो पाठकों को भावनात्मक रूप से बाँध लेते हैं। नीरज की कहानी में, लेखक उनकी ट्रेन यात्रा, उनके गाँव के दृश्यों और उनकी आंतरिक भावनाओं का जीवंत वर्णन करते हैं, जिससे पाठक उनकी यात्रा का हिस्सा बन जाते हैं।
गहन शोध: नीरज की कहानी में UPSC की जटिलताओं, कोचिंग उद्योग, और सामाजिक दबावों का विस्तृत विश्लेषण है, जो इसे केवल एक व्यक्तिगत कहानी से कहीं अधिक बनाता है।
मानवीय दृष्टिकोण: लॉन्ग रीड्स वैश्विक मुद्दों को व्यक्तिगत कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। नीरज की कहानी भारत की सामाजिक संरचना, शिक्षा की असमानता और महत्वाकांक्षा के व्यापक मुद्दों को छूती है।
सुलभ भाषा और संरचना: भाषा परिष्कृत लेकिन सुलभ होती है, जो इसे व्यापक पाठक वर्ग के लिए आकर्षक बनाती है। नीरज की कहानी में, जटिल तथ्यों को सरल और कथात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जिससे गैर-भारतीय पाठक भी UPSC की चुनौतियों को समझ सकें।
सामाजिक टिप्पणी: लेख अक्सर सामाजिक और सांस्कृतिक टिप्पणी करते हैं। नीरज की कहानी में, UPSC को भारत में सामाजिक गतिशीलता के एक साधन के रूप में दर्शाया गया है, जो ग्रामीण और शहरी भारत के बीच की खाई को उजागर करता है।
सामाजिक और आर्थिक संदर्भ

नीरज की कहानी भारत की सामाजिक और आर्थिक वास्तविकताओं को भी उजागर किया है। UPSC की तैयारी के लिए कोचिंग की उच्च लागत, ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी, और अंग्रेजी भाषा का दबदबा जैसे मुद्दे नीरज जैसे उम्मीदवारों के लिए बड़ी चुनौतियाँ हैं। इसके बावजूद, यह परीक्षा सामाजिक उत्थान का एक अवसर प्रदान करती है, जिससे नीरज जैसे युवा अपने परिवार और समुदाय की स्थिति को बेहतर बनाने का सपना देखते हैं।

पत्रिका का लेख “Would You Pass the World’s Toughest Exam?” नीरज कुमार की कहानी के माध्यम से UPSC की कठिनाइयों और भारत की सामाजिक जटिलताओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करता है। यह लेख लॉन्ग रीड शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो व्यक्तिगत कहानियों को वैश्विक संदर्भों से जोड़ता है। नीरज की यात्रा-2019 में दिल्ली से पटना की ट्रेन यात्रा से शुरू होकर UPSC की तैयारी तक-न केवल उनकी दृढ़ता को दर्शाती है, बल्कि उन लाखों युवाओं की आकांक्षाओं को भी प्रतिबिंबित करती है, जो इस कठिन परीक्षा के माध्यम से अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।

1843 की कथात्मक शैली, गहन शोध और मानवीय दृष्टिकोण इस लेख को न केवल सूचनात्मक, बल्कि प्रेरणादायक भी बनाते हैं। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हम दुनिया की सबसे कठिन परीक्षा पास कर सकते हैं, और यह भी कि ऐसी चुनौतियाँ हमारे समाज और व्यक्तिगत जीवन को कैसे आकार देती हैं।

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