एक अपराधी को सम्मानित क्यों कर रहा है मुसलमान संगठन

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एक महिला को पिस्तौल निकाल कर पेट्रोल पंप पर रंगदारी करते हुए सभी ने देखा। सीसीटीवी फूटेज ना आई होती तो वह महिला पिस्तौल की बात से इंकार कर देती। उसके पिस्तौल पकड़ने के अंदाज से पता चलता है कि उसने पहली बार पिस्तौल नहीं निकाली है।

भारतीय कानून में इस तरह सार्वजनिक जगहों पर पिस्तौल समाज में खौफ पैदा करने के लिए निकालना अपराध है। दूसरी बात उस पिस्तौल का लायसेंस उस लड़की के नाम पर भी नहीं था। जिनके नाम पर था, वह अपने पिस्तौल की हिफाजत नहीं कर पाए, इसलिए स्थानीय पुलिस को उनसे वह पिस्तौल वापस ले लेनी चाहिए।

इतना सबकुछ होने के बावजूद कुछ यू ट्यूबर लड़की का महिमा मंडन कर रहे हैं। उसने पिता की रक्षा के लिए ऐसा किया। जबकि फूटेज को देखकर कहीं से भी नहीं लगता कि उसके अब्बू की जान खतरे में थी।

लेकिन पिस्तौल छाती पर जिस व्यक्ति के लगाई गई, उसकी जान तो कुछ समय के लिए खतरे में आ गई थी। गलती से ट्रीगर दब जाता तो उस आदमी के लिए बहुत मुश्किल होने वाली थी।

ऐसे में क्या पेट्रोल पंप पर काम करने वाले उस पीड़ित व्यक्ति की बहन या बेटी को यह लायसेंस मिल जाएगा कि किसी की पिस्तौल लेकर वह पिस्तौल वाली महिला के घर आ जाए।

यदि कोई व्यक्ति गरीब है। पिस्तौल का लायसेंस नहीं ले सकता है। पेट्रोल पंप पर काम करके गुजारा चलाने को मजबूर है तो किसी अमीर बाप की बेटी को यह लायसेंस नहीं मिल जाता कि अपने बाप का लायसेंस वाला पिस्तौल लेकर उसकी छाती पर रख दे, सिर्फ इसलिए कि वह गरीब है।

दुर्भाग्य की बात है कि मुसलमानों का कोई संगठन आगे आकर इस अपराधी युवति को सम्मानित कर रहा है। जो कैमरे पर अपना अपराध कुबूल कर चुकी है। इस तरह युवति को सम्मानित करने वाला संगठन मुसलमानों के बीच क्या संदेश दे रहा है?

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