हरेश कुमार
अकाल मृत्यु वो मरे, जो काम करे चांडाल का।
काल उसका क्या बिगाड़े, जो भक्त हो महाकाल का।।
गुरु तेगबहादुर मेट्रो स्टेशन से ठीक पहले, ढाका गाँव में हरिमंदिर के सामने एक ठोकर (स्पीड ब्रेकर) बना है, जो बरसात में क्षतिग्रस्त हो चुका है। बारिश के मौसम में सड़कों की ऐसी स्थिति लोगों के लिए जानलेवा बन जाती है। सरकार को इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। इसी क्षतिग्रस्त ठोकर के कारण मेरी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
हादसे से कुछ सेकंड पहले मैं अपनी बेटी से बात कर रहा था। अचानक क्या हुआ, कुछ याद नहीं। दो सेकंड में सब कुछ बदल गया। मैंने गाड़ी पर नियंत्रण खो दिया, और हम दोनों सड़क पर घसीटे गए। मेरी बेटी को पहले होश आया। उसने मुझे ढूंढा, पुकारा, “पापा, कहाँ हो?” मैं कुछ दूरी पर औंधे मुंह पड़ा था। मेरी बेटी, जो ग्रेटर नोएडा यूनिवर्सिटी में फिजियोथेरेपी की सातवें सेमेस्टर की छात्रा है, ने हिम्मत दिखाई। वह देखने में भले ही दुबली-पतली हो, लेकिन साहस और हौसले में उसका कोई मुकाबला नहीं। उसने मुझे थपकी दी, फिर हिम्मत जुटाकर सीपीआर दिया।
उसने लोगों को पुकारा। मुकुंदपुर के दीपक कुमार ने आगे बढ़कर मदद की। उन्होंने गाड़ी को साइड किया और मुझे नजदीकी क्लिनिक पहुंचाया, जहां टिटनेस का इंजेक्शन दिया गया। वहां से सलाह दी गई कि मुझे ट्रॉमा सेंटर ले जाया जाए। मेरी बेटी मुझे दिल्ली सरकार के ट्रॉमा सेंटर ले गई, लेकिन वहां का अनुभव निराशाजनक था।
ट्रॉमा सेंटर में मौजूद डॉक्टरों और कर्मचारियों का व्यवहार बेहद असंवेदनशील था। एक डॉक्टर ने तो यह तक कह दिया, “मर तो नहीं गया, इंतजार करो।” न तो वे इलाज कर रहे थे, न ही रेफर कर रहे थे। मेरा माथा, नाक, कान और मुंह से खून बह रहा था, लेकिन उनकी उदासीनता देखकर दुख हुआ। कुछ लोग वहां मौजूद थे, अगर उन्होंने हाथ उठाया होता, तो शायद स्थिति और बिगड़ जाती। चिकित्सा जैसे पवित्र पेशे को कुछ लोग बदनाम कर रहे हैं।
मैं, हरेश कुमार, दिल्ली और केंद्र सरकार से मांग करता हूं कि ऐसे ट्रॉमा सेंटर्स को तत्काल बंद किया जाए और चिकित्सा के पेशे में घुस आए असंवेदनशील लोगों पर कठोर कार्रवाई हो। यह मेरी व्यक्तिगत शिकायत नहीं, बल्कि समाज की समस्या है। मेरे साथ कई लोग थे, शायद इसीलिए मुझे रेफर किया गया, वरना स्थिति और गंभीर हो सकती थी।
मैं सभी जिम्मेदार लोगों से अपील करता हूं कि जन्माष्टमी के अगले दिन दोपहर एक बजे के बाद का ट्रॉमा सेंटर का सीसीटीवी फुटेज जांचा जाए। चिकित्सा जगत को कलंकित करने वाले ऐसे लोगों पर कार्रवाई हो, ताकि किसी और की जिंदगी खतरे में न पड़े।
महाकाल की कृपा और समुदाय का समर्थन
दुर्घटना के बाद महाशक्ति कॉलोनी मंदिर, कौशिक एन्क्लेव, ब्लॉक-ए, बुराड़ी में नियमित भजन-कीर्तन बंद है। सभी लोग उदास हैं। जैसे ही हादसे की खबर फैली, लोग ट्रॉमा सेंटर से लेकर फोर्टिस हॉस्पिटल, शालीमार बाग तक दौड़े आए। महाकाल की कृपा और सभी की दुआओं से मैं तेजी से स्वस्थ हो रहा हूं।
जन्माष्टमी की पूजा के बाद भगवान का भंडारा होना था, लेकिन हादसे के कारण केवल भोग लगाया गया। सभी लोग उदास हैं। कल, 23 अगस्त को मुझे अस्पताल से छुट्टी मिलेगी। इसके बाद धूमधाम से भंडारा आयोजित किया जाएगा। कॉलोनीवासियों का कहना है, “हमारे चाचा कुर्सी पर बैठे रहेंगे, और भंडारा भव्य होगा।” जिसके साथ महाकाल हों, उसका काल क्या बिगाड़ सकता है?
मैं 24 घंटे सभी के लिए उपलब्ध रहता हूं। मुझे अपनी चिंता नहीं, दूसरों की सेवा ही मेरी कमाई है। लोग मुझे “विधायक चाचा” कहते हैं, भले ही निर्वाचित विधायक कोई और हो। यह प्यार और सम्मान समाज की सेवा से ही मिला है। मैंने खुद को समाज और देश के लिए समर्पित कर दिया है। मेरा कोई व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं, बस समाज के भले के लिए मैं हर पल तैयार रहता हूं।