एक ग़ुस्सैल बालक का राजा बनने का सपना

2.jpeg

दिलीप सी मंडल

दिल्ली। राहुल गांधी का जन्म ही 2014 में हुआ है। वे 2014 के बाद से प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण चाहते हैं। 2014 के बाद से मिस इंडिया में आरक्षण चाहते हैं। 2014 से मीडिया में आरक्षण चाहते हैं।
फ़िल्मों और खेल में भी आरक्षण 2014 के बाद से चाहते हैं। 2014 के बाद से जाति जनगणना चाहते हैं। 2014 के बाद से चाहते हैं कि सबकी संपत्ति लेकर देश में बराबर बराबर बाँट दी जाए।
10-11 साल की उम्र में ऐसा हो सकता है। वरना बच्चे, 2011 में जनगणना हुई। मम्मी से कहकर मनमोहन को आदेश देते। जोड़ देते जाति का सवाल। मनमोहन मना थोड़ी कर सकते थे। एक और सवाल ही तो जोड़ना था। अगले साल यानी 2102 में आबादी, धर्म, भाषा के साथ जाति की रिपोर्ट आ जाती।

फिर सबकी संपत्ति बराबर बराबर सबमें बाँट देते! (मार्क्सवादी मास्टर सैम और जोया ने राहुल को ये सिखाया है)

मिस इंडिया प्रतियोगिता तो पचास के दौर से चल रही है। 1964 से रेगुलर है। करवा देते आरक्षण। कांग्रेस को तब कौन रोकता। तब तो विरोधियों को सीधे जेल में डालने का रिवाज था।

वैसे कम से कम एक मिस इंडिया तो ओबीसी है ही। और होंगी। पर बालक राहुल को नहीं पता।
मनमोहन सिंह या राजीव या इंदिरा भी तो करा सकती थी प्राइवेट कंपनियों में आरक्षण। नहीं कराया तो कुछ तो सोचा होगा। 11 साल के बच्चे को समझ में नहीं आता।

राहुल की पार्टी की तो सरकार है कर्नाटक समेत चार राज्यों में। करा लें प्राइवेट में आरक्षण। कौन रोक रहा है?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारामैया और डी.के. शिव कुमार राहुल गांधी को बाहर तक न खदेड़ दें तो आप मेरा नाम बदल देना।

राहुल को बेंगलुरु और हैदराबाद में प्राइवेट में आरक्षण नहीं चाहिए। गुड़गाँव और मुंबई में चाहिए।
राहुल को मीडिया में आरक्षण चाहिए। पर अपने मालिकाने वाले अखबार नेशनल हेराल्ड में नहीं चाहिए।

पता नहीं डायवर्सिटी के दुनिया के किस सिद्धांत में इतना उग्रवाद है। ये तो बहुत क्रमिक और सर्वसम्मति से होने वाला काम माना गया है। आहिस्ता। बहुत ही आहिस्ता। आराम से। सबको साथ लेकर। अमेरिका में डायवर्सिटी क़ानून से नहीं आई है।

तो मामला क्या है?

और कुछ नहीं। बालक राहुल बेचैन हैं। उम्र बीती जा रही है। अभी तक मंत्री भी नहीं बने हैं। उनको टीचर जोया, सैम, कांचा, मुकुलिका और योगेन्द्र ने समझा दिया है कि जाति पर चढ़ जाओ। तोड़ दो समाज को। पीएम बन जाओगे। यही लोग ट्यूशन पढ़ाते हैं।

मेरा भी पुराना पाप है इस मामले में। पर मेरा साफ़ कहना था कि नेशन फर्स्ट रखो। संपत्ति का सृजन होगा तब तो बंटेगा। कंपनियों का विकास होने दो। वरना क्या गरीबी बाँटोगे? यहीं मामला सटक गया।
कुछ चीज़ें और हैं। पर बता दूँगा तो विवाद हो जाएगा।

अब बेचैन बच्चा विध्वंस और तोड़फोड़ के मूड में है। भारत का तेज आर्थिक विकास उसे डरा रहा है। स्थिरता से वह भयभीत है।

वह सोच रहा है – सब कुछ जला डालूँगा। राख कर दूँगा। फिर खंडहर और राख पर बैठकर राजा बन जाऊँगा।

दुनिया की कुछ भारत द्रोही ताक़तें उनके साथ हैं। मैं बाद में उनके नाम और प्रमाण बताऊँगा। सबके दस्तावेज हैं।

मैं बालक राहुल की इस दिमाग़ी हालत को समझ सकता हूँ। ये बहुत पर्सनल मैटर है।

(एक्स- @Profdilipmandal से साभार)

बालक की बेचैनी को आइए समझने का प्रयास करते हैं

1: आरक्षण की चाहत और 2014 का जन्म
राहुल गांधी का “जन्म” 2014 में माना जाता है, जब से उनकी माँगें शुरू हुईं। वे प्राइवेट सेक्टर, मिस इंडिया, मीडिया, फिल्मों और खेलों में आरक्षण चाहते हैं। साथ ही, जातिगत जनगणना और संपत्ति के बराबर बँटवारे की बात करते हैं। लेकिन क्या ये माँगें 11 साल के बच्चे की सोच जैसी नहीं हैं?

2: खोए हुए अवसर और सवाल
2011 की जनगणना में राहुल अपनी मम्मी के ज़रिए मनमोहन सिंह से जाति का सवाल क्यों नहीं जुड़वा पाए? मिस इंडिया में आरक्षण की माँग तब क्यों नहीं उठी, जब कांग्रेस सत्ता में थी और विरोधियों को जेल में डालने का रिवाज था? क्या इंदिरा या राजीव प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण लागू नहीं कर सकते थे?

3: कर्नाटक से गुड़गाँव तक की उलझन
राहुल की पार्टी चार राज्यों में सत्ता में है। कर्नाटक में सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण लागू क्यों नहीं करते? लेकिन राहुल को बेंगलुरु या हैदराबाद में आरक्षण नहीं चाहिए, गुड़गाँव और मुंबई में चाहिए। और अपने अखबार नेशनल हेराल्ड में आरक्षण की बात क्यों नहीं उठती?

4: डायवर्सिटी या उग्रवाद?
डायवर्सिटी दुनिया में धीरे-धीरे और सहमति से लागू होती है, न कि उग्रवाद से। अमेरिका में यह क़ानून से नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव से आई। फिर राहुल की बेचैनी का कारण क्या है? क्या यह उनकी महत्वाकांक्षा है, जो जोया, सैम, कांचा जैसे “टीचरों” की सलाह से उभरी है?

5: विध्वंस का सपना और भारत का डर
राहुल को भारत का आर्थिक विकास और स्थिरता डराती है। वे सोचते हैं कि सब कुछ जला देंगे, राख पर बैठकर राजा बन जाएँगे। कुछ भारत-विरोधी ताक़तें उनके साथ हैं, जिनके नाम और दस्तावेज़ बाद में सामने आएँगे।

6: नेशन फर्स्ट की बात
लेखक का कहना है कि संपत्ति का सृजन पहले होना चाहिए, तभी बँटवारा संभव है। गरीबी बाँटने से क्या फायदा? राहुल की बेचैनी और तोड़फोड़ की मानसिकता भारत के विकास के लिए खतरा है।

7. एक निजी बेचैनी
राहुल की दिमाग़ी हालत समझी जा सकती है, पर यह निजी मामला है। उनकी माँगें और सपने भारत के विकास और एकता के लिए चुनौती बन सकते हैं।

Share this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

scroll to top