रामगोपाल
आपने यूनान के राजा अलेक्जेंडर सिकंदर के बारे में जरूर सुना होगा। सिकंदर ने दुनिया जीतने के इरादे से जब भारत में कदम लिया तो एक राजा ने उसके होश उड़ा दिए। इस युद्ध में सिकंदर यह समझ गया कि भारत के राजाओं को हराना इतना आसान नहीं है।
राजा पोरस पंजाब-सिंध क्षेत्र के राजा थे। उनके राज्य का नाम पुरुवास था, जो पंजाब में झेलम नदी से चेनाब नदी तक फैला था।इतिहासकारों के अनुसार, राजा पोरस पोरवा वंश के राजा था। उनका साम्राज्य 340 ईसा पूर्व से 315 ईसा पूर्व तक बताया जाता है।
जब सिकंदर दुनिया में तबाही मचाते हुए भारत पहुंचा तो उसका सामना राजा पोरस से हुआ। दरअसल, हिंदुस्तान में घुसने के लिए झेलम और चिनाब नदियों को पार करना जरूरी था। लेकिन यहां राजा पोरस का साम्राज्य था।
उस समय जो राज्य सिकंदर के सामने घुटने नहीं टेकता था उस पर सिकंदर आक्रमण कर देता था। सिकंदर की विशाल सेना को देखकर गांधार-तक्षशिला के राजा आम्भी ने उसका स्वागत किया और उसकी मदद भी की। लेकिन राजा पोरस ने अलेक्जेंडर सिकंदर की अधीनता स्वीकार नहीं की।
सिकंदर ने राजा आम्भी की मदद से जैसे ही झेलम नदी को पार किया, वैसे ही राजा पोरस की सेना से उसका मुकाबला हुआ। इतिहासकार बताते हैं कि राजा पोरस के पास गजसेना थी। पोरस की सेना ने यवन सेना के छक्के छुड़ा दिए। इतिहास के आंकड़ों के अनुसार, सिंकदर की सेना में 50 हजार से ज्यादा सैनिक थे, वहीं राजा पोरस के पास करीब 20 हजार की सेना थी।
कुछ इतिहासकार कहते हैं कि राजा पोरस के सेनापति हाथियों पर सवार थे। ऐसे में सिकंदर की सेना तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें नहीं हरा पा रही थी। युद्ध के पहले दिन ही सिकंदर के कई सैनिक जख्मी हो गए। बताया जाता है कि राजा पोरस के भाई अमर ने भाले से सिकंदर के घोड़े बुकिफाइलस को मार गिराया। सिकंदर ने पूरे जीवन में ऐसा दृश्य कभी नहीं देखा था।
अमर के वार ने सिंकदर को जमीन पर गिरा दिया। राजा पोरस चाहते तो पलभर में सिकंदर का खेल खत्म हो सकता था। लेकिन उन्होंने उसे क्षमा कर दिया। इसके बाद सिकंदर के अंगरक्षक उसे वहां से ले गए।
भारत के इतिहासकारों ने भले ही कुछ भी लिखा हो लेकिन यूनानी इतिहासकार प्लूटार्क ने कुछ और ही लिखा है। इस युद्ध के बारे में उन्होंने लिखा, ‘इस युद्ध में यूनानी आठ घंटे तक लड़ते रहे लेकिन इस बार किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया।’ प्लूटार्क के इस वाक्य से समझ में आता है कि इस युद्ध में सिकंदर की हार हुई।
इसलिए जो जीता वह सिकन्दर नही… पोरस कहिए !!