इलेट्रिक वाहनों के लिए ‘स्टेपनी’ बैटरी की व्यवस्था से रोजगार बढ़ेगा

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Caption: BATTERY BUSINESS

आज के युग में जब पर्यावरणीय चिंताएँ बढ़ रही हैं, इलेट्रिक वाहनों (EVs) का विकल्प तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। लेकिन, इलेट्रिक वाहनों में स्थापित बैटरी की सीमाएँ अभी भी एक बड़ी चुनौती हैं। क्या हम ‘स्टेपनी’ की भावना से एक नई व्यवस्था नहीं बना सकते, जिससे इलेट्रिक वाहन सभी के लिए आकर्षक और प्राथमिकता बन सकें? तात्पर्य है कि हम इलेट्रिक वाहनों के लिए एक अतिरिक्त बैटरी व्यवस्था विकसित करें।
2025 तक भारत में पांच लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक फोर व्हीलर्स हो जाएंगे।

कल्पना कीजिए, जब इलेट्रिक वाहन की बैटरी खत्म हो जाए, तो चालक आसानी से एक ताजा, पूर्ण चार्ज बैटरी लगा सके। यह व्यवस्था न केवल यात्रा के अनुभव को सुगम बनाएगी, बल्कि इसे ज्यादा सुविधाजनक और आकर्षक भी बनाएगी।

सरकार की भूमिका

यदि हमारे विश्वगुरु चाहें, तो वह और भी तेजी से पेट्रोल, डीजल, और सीएनजी के उपयोग को किनारे कर सकते हैं। उन्हें केवल एक प्रभावी योजना बनानी होगी। सरकार यदि स्टार्ट-अप की तर्ज पर किराये की बैटरी देने और बैटरी चार्जिंग के अड्डे बनाने में मदद कर सकती है, तो न केवल युवाओं को रोजगार मिलेगा, बल्कि यह प्रदूषण में कमी लाने और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में भी मददगार होगा।

इन बैटरी चार्जिंग स्टेशनों का नेटवर्क बनाकर, चालक बिना किसी चिंता के यात्रा कर सकेंगे, क्योंकि जहां कहीं भी रोकने की आवश्यकता होगी, वहां उन्हें एक नया चार्ज बैटरी उपलब्ध होगा। इससे न केवल इलेट्रिक कारों, मोटरसाइकिलों, और ट्रैक्टरों का उपयोग बढ़ेगा, बल्कि इस प्रक्रिया में नई नौकरियों का सृजन भी होगा।

युवा और नवाचार

युवाओं के लिए यह एक सुनहरा अवसर हो सकता है, जहाँ वे अपने स्टार्ट-अप्स के माध्यम से इस क्षेत्र में कार्य कर सकेंगे। प्रतिष्ठान स्थापित करने से लेकर बैटरी चार्जिंग सेवाएँ प्रदान करने तक, उनकी रचनात्मकता को सामने लाने का एक प्लेटफॉर्म मिलेगा।

इस तरह की व्यवस्थाएँ न केवल आसान यात्रा की सुविधा प्रदान करेंगी, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था में एक नई जान भी डालेंगी।

इसलिए, हम केवल कल्पना नहीं कर रहे हैं; हमें वास्तव में यह योजना बनानी होगी। इलेट्रिक वाहनों को स्टेपनी बैटरी के तर्ज पर बनाने से वे अधिक किफायती और व्यावहारिक बन सकते हैं। अगर सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए, तो यह न केवल एक सफल व्यवसाय हो सकता है, बल्कि यह भारत को एक स्वच्छ और स्मार्ट राष्ट्र की ओर भी ले जा सकता है।

हमें एक नई सोच, नई योजना और नई ऊर्जा की आवश्यकता है। अगर हम सामूहिक रूप से इस दिशा में काम करें, तो इलेट्रिक वाहन निश्चित रूप से सभी की पसंद बन सकते हैं।

फॉसिल फ्यूल कंजम्पशन कम और सीमित किया जा सकता है। ग्रीन एनर्जी स्रोतों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

दुनिया जीवाश्म ईंधन से होने वाले अत्यधिक मुनाफे के प्रभावों और नतीजों को देख रही है, साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रही है। सौर, पवन, मीथेन/गोबर गैस और तरंग ऊर्जा का समय आ गया है। एकाधिकार को खत्म किया जाना चाहिए।

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Brij Khandelwal

Brij Khandelwal

Brij Khandelwal of Agra is a well known journalist and environmentalist. Khandelwal became a journalist after his course from the Indian Institute of Mass Communication in New Delhi in 1972. He has worked for various newspapers and agencies including the Times of India. He has also worked with UNI, NPA, Gemini News London, India Abroad, Everyman's Weekly (Indian Express), and India Today. Khandelwal edited Jan Saptahik of Lohia Trust, reporter of George Fernandes's Pratipaksh, correspondent in Agra for Swatantra Bharat, Pioneer, Hindustan Times, and Dainik Bhaskar until 2004). He wrote mostly on developmental subjects and environment and edited Samiksha Bharti, and Newspress Weekly. He has worked in many parts of India.

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