मोदी सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को उनकी कुशल छवि के कारण हमेशा लोकप्रिय माना गया, लेकिन 2025 में एथनॉल ब्लेंडिंग नीति ने उनके लिए विवाद खड़ा कर दिया। भारत ने जुलाई 2025 में 20% एथनॉल-पेट्रोल मिश्रण (E20) का लक्ष्य 5 साल पहले हासिल कर लिया, जो तेल आयात घटाने, किसानों की आय बढ़ाने और प्रदूषण कम करने का दावा करता है। लेकिन जनता में असंतोष बढ़ा, क्योंकि वाहनों की माइलेज 5-6% घटी, पुराने इंजनों में जंग लगने की शिकायतें आईं, और रख-रखाव खर्च बढ़ा। सोशल मीडिया पर दावा हुआ कि E20 से ईंधन दक्षता घटकर उपभोक्ता बोझ झेल रहे हैं, जबकि पेट्रोल की कीमतें 2014 के ₹71 से 2025 में ₹97 तक पहुंच गईं।
विवाद तब भड़का जब कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आरोप लगाया कि गडकरी के बेटे निखिल (CIAN Agro Industries) और सरंग (Manas Agro Industries) एथनॉल उत्पादन कंपनियों से जुड़े हैं। CIAN की आय जून 2024 में ₹18 करोड़ से जून 2025 में ₹523 करोड़ हो गई, शेयर मूल्य 2,184% उछला। कांग्रेस ने इसे ‘हितों का टकराव’ बताते हुए लोकपाल जांच की मांग की, सवाल उठाया कि क्या E20 नीति गडकरी परिवार को फायदा पहुंचाने के लिए है? खेड़ा ने कहा, “नीति जनहित की नहीं, बल्कि परिवारिक लाभ की लगती है।”
गडकरी ने खारिज किया, कहा पेट्रोल लॉबी अफवाहें फैला रही है। ARAI के परीक्षणों से पुराने वाहनों में कोई क्षति सिद्ध न हुई। उन्होंने कहा, “मेरा दिमाग ₹200 करोड़ का है, ईमानदारी से कमाता हूं।” नीति कैबिनेट की है, पेट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी। उनके परिवार का एथनॉल बाजार में हिस्सा मात्र 0.5% है, टॉप-20 में नहीं। फिर भी, सोशल मीडिया पर #EnemyOfEconomy जैसे कैंपेन चले, जहां गडकरी पर टोल वसूली और EV नीतियों से भी जोड़ा गया।
यह विवाद गडकरी की ‘निर्विवादित’ छवि को धक्का दे रहा है, क्योंकि जनता माइलेज हानि और पारदर्शिता पर सवाल उठा रही है। मंत्रालय को उपभोक्ता शिकायतों का स्पष्ट जवाब देना होगा— E20 से छूट या पुराने वाहनों के लिए विकल्प?