राहुल फाइल्स कब बनेगा?

667ec406d1f8c-rahul-gandhi-leader-of-opposition-280909564-16x9.jpg.webp

राहुल गांधी बहुत चतुर हैं, और वह वैसे नहीं हैं जैसे वह दिखते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान वह पूरे भारत में जाति सर्वेक्षण कराने पर मुखर थे और जाति आधारित आरक्षण की वकालत की थी। वह बता रहे थे कि मौजूदा मोदी सरकार आरक्षण खत्म करना चाहती है और उन्होंने जाहिर तौर पर संविधान खतरे में होने का अनुमान जताया है। अब राहुल गांधी आरक्षण को खत्म करने की जरूरत बता कर खबरों में आ गए हैं। अब समय आ गया है कि सिनेमा निर्माताओं और निर्देशकों को पप्पू फ़ाइल का सिनेमा बनाना चाहिए। राहुल गाँधी पप्पू बनकर सभी को पप्पू बना रहे हैं।

पप्पू फाइल्स पर कोई भी फिल्म व्यावसायिक और सामाजिक दृष्टिकोण से बड़ी हिट होगी क्योंकि यह पूरे परिवार की विरासत और गहरे राज्यों के साथ इसके जुड़ाव के विवादास्पद आख्यानों से भरी होगी।पप्पू और मल्लिकार्जुन खड़गे की कथा का संयोजन किसी भी फिल्म निर्माण के लिए सबसे अच्छी कहानी में से एक है कि कैसे वे राष्ट्र-विरोध के छिपे एजेंडे को प्रचारित करने के लिए झूठ पर झूठ जमा कर रहे हैं। भारत की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष आबादी की बदौलत इस पार्टी ने 99 सीटें भी हासिल कीं और यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया का मजाक प्रतीत होता है।

ब्लिट्ज़ के बांग्लादेशी संपादक द्वारा उठाए गए मुद्दों पर पप्पू गांधी शांत हैं लेकिन जनता का ध्यान भटकाने के लिए वह बेतुके मुद्दों पर मुखर हैं। कोई कैसे दोयम दर्जे का जीवन जी सकता है, पप्पू विश्लेषण के लिए उपयुक्त मामला है। पप्पू के दोहरे पासपोर्ट धारक मुद्दे से जुड़े रहस्य को भुला दिया गया है क्योंकि पप्पू इतना चतुर है कि वह एक झूठी कहानी रख सकता है जो वास्तविक मुद्दे पर भारी पड़ सकती है। आश्चर्य की बात है कि भारत अभी भी पप्पू और पप्पू जैसे नेताओं को ढो रहा है और इससे यह बात साबित होती है कि भारत एक महान देश है।

छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता का पोपटलाल

3-12.jpeg

अनिल पुसदकर

दुनिया पर तो सब हंस लेते हैं,पर खुद पर हंसने का जिगर रखता है रायपुर का पत्रकार पोपटलाल सुधीर तम्बोली आज़ाद टीवी सीरियल के पोपटलाल से उन्नीस नही बीस ही है

दुबला पतला आंखो पर नजर का चश्मा,बस हाथ में छत्री की कमी,नही तो रायपुर के सुधीर तांबोली किसी भी सूरत में तारक मेहता के पोपटलाल से कम नही।इत्तेफाक देखिए शादी भी नही हुई,और पोपटलाल से कम सपने भी नही देखते।

सबसे बड़ी बात उस पोपटलाल की तरह हर समय दुनिया को हिला कर रख देने को तैयार,भले ही बाद में खुद हिल जाए,लेकिन जोश उस पोपटलाल से कही कम नही और उस पोपटलाल की तरह हर मामले में टांग अड़ाने को तैयार।खासकर पत्रकारों के मामले में।
आज विज्ञापन के भरपूर दबाव के दौर में भी बिना किसी बात की परवाह किए सुधीर राज्य ही नही देश में कही भी जाने के लिए एक टांग पर तैयार रहता है।जब बड़े बड़े संगठन के पदाधिकारी शुतुरमुर्गी स्टाइल में पतली गली से निकल जाते है,तो फिर सामने आता प्रेस क्लब का पोपटलाल,सुधीर।बिना अंजाम की परवाह किए,बिना किसी की नाराजगी की चिंता किए,हमेशा ओखली में सर देने को तैयार।

शुरू शुरू में आया तो उसकी अजीबोगरीब ड्रेस डिजाइनिंग ने चौंका दिया था,पूछा तो पता चला उल्टी खोपड़ी है और आजाद है।लगा शुरू शुरू में सभी उल्टी खोपड़ी वाले होते है जो समय की मार खाकर सीधे भी हो जाते है और फिर आजादी भी कही गिरवी रख कर आ जाते है।मगर सालों बीत गए,मगर सुधीर नही बदला।वो उल्टी खोपड़ी ही है और आजाद भी।

तो कैसा लगा तारक मेहता के टक्कर में अनिल पुसदकर का पोपटलाल। बताइएगा जरूर।।

Young Eco-Warriors Take the Lead in Wetland Conservation at CMS VATAVARAN Event in Modern Public School, Shalimar Bagh

3-1-2.jpeg

New Delhi : The 12th CMS VATAVARAN International Film Festival and Forum on Environment and Wildlife continued its successful journey today with an inspiring event at Modern Public School, Shalimar Bagh, Delhi. More than 360 students from classes 4 and 5 gathered to engage in thought-provoking film screenings, creative art competitions, and lively discussions on the critical importance of wetland conservation.

Inspiring Film Screenings:

Students were captivated by a selection of powerful environmental films on wetlands, wildlife, and water conservation. Aligned with the festival’s theme “Wetlands for LiFE,” these films emphasized the vital role wetlands play in maintaining ecological balance and underscored the urgent need for their protection. The films left a lasting impression on the young audience, fostering a sense of responsibility towards the environment.

Creative Expression Through Art:

The painting competition saw enthusiastic participation, as students expressed their interpretation of “Wetlands for LiFE” through vibrant artwork. The top ten paintings from today’s event will be showcased during the festival’s grand finale at the Ganga Auditorium, Indira Paryavaran Bhawan, from October 3-5, 2024.

 

Engaging Discussions:

Expert-led discussions on key environmental topics, including Wetlands, Water Conservation, and Climate Change, engaged the young students in thoughtful dialogue. The students actively participated, answering questions and sharing their stories and poems on water and wetlands. These conversations inspired the children to take meaningful steps towards environmental stewardship and highlighted the power of youth in driving positive change.

Commitment to Change:

The event concluded with students pledging to adopt eco-friendly practices and spread awareness about wetland conservation within their communities. The day at Modern Public School was a resounding success, furthering the mission of the CMS VATAVARAN Festival to inspire collective action for a sustainable future.

“It is heartening to see the passion and commitment these young students have towards protecting our planet,” said Ms. P N Vasanti, Director General of CMS. “Through initiatives like CMS VATAVARAN, we aim to empower the next generation to take charge of our environment and create a future where nature and humans can thrive together.”

आखिर पाकिस्तान के प्रति सद्भाव और आरएसएस के विरुद्ध नफरत फैलाने का कुचक्र कब तक ?

Path_Sanchalan_Bhopal-1-scaled.jpg

प्रयागराज के मदरसे में फिर एक पुस्तक मिली है जिसमें भारत की कुछ बड़ी आतंकवादी घटनाओं के लिये पाकिस्तान को क्लीनचिट देकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को कट्टर आतंकवादी संगठन बताकर आरोपी बताया गया है । आर एस एस को आतंकवादी बताने वाली यह पुस्तक पहली नहीं है । इससे पहले भी पुस्तकें आ चुकीं हैं और कुछ नेताओं के ब्यान भी ।

उत्तरप्रदेश पुलिस ने एक सूचना के आधार पर 28 अगस्त को प्रयागराज के जामिया मदरसे पर छापा मारा था। इस मदरसे में नकली नोट छापे जा रहे थे । पुलिस ने मदरसे के एक कमरे से लैपटॉप, स्कैनर, प्रिंटर, अर्ध निर्मित नोट और नकली नोट छापने की अन्य सामग्री जब्त की थी । पुलिस ने मौलवी मोहम्मद तफ्सीरुल, उसके सहयोगी अब्दुल जाहिर, अफजल और शाहिद को बंदी बनाया था । पुलिस के अनुसार ये लोग 45 हजार के नकली नोटों को 15 हजार असली रुपये लेकर बाजार में बेचा करते थे। अफजल और शाहिद प्रयागराज जनपद के एवं मोहम्मद जाहिर और मौलाना तफ़्सीरुल उड़ीसा के रहने वाले हैं। पुलिस ने वहाँ एक लाख तीस हजार रुपये के नकली नोट भी जब्त किये। लेकिन मामला यहीं समाप्त नहीं हुआ । इनसे पूछताछ के बाद पुलिस अगले दिन फिर मदरसा पहुँची। इस बार आपत्तिजनक सामग्री मिली । यह सामग्री भारत में कट्टरपंथ फैलाने वाली थीं। इनमें एक पुस्तक ऐसी भी मिली जिसमें भारत में घटी कुछ बड़ी आतंकी घटनाओं के लिये पाकिस्तान को क्लीनचिट दी गई और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आतंकवादी संगठन बताकर इनका जिम्मेदार बताया गया । इसमें कुछ बड़ी घटनाएँ भी हैं जो न केवल पाकिस्तान प्रायोजित थी बल्कि कसाब जैसे पाकिस्तानी नागरिक पकड़े भी गये थे । इस पुस्तक में ऐसी घटनाओं के लिये भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दोषी बताया गया है । पुस्तक में मुम्बई हमला, मालेगांव ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस में बिस्फोट जैसी बड़ी आतंकवादी घटनाओं सहित तेरह बड़ी आतंकी घटनाओं का उल्लेख है और इन सभी में पाकिस्तान को क्लीन चिट दी गई और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर आरोप मढ़े गये हैं। पुस्तक पर लेखक के रूप में महाराष्ट्र के सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी एस एम मुशरिक का नाम अंकित है । पुस्तक अंग्रेजी में है और उसका उर्दू सहित कई अन्य भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है । पुस्तक की भाषा और प्रस्तुतिकरण कुछ ऐसा है जिससे पाठक के मन में पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति उपजे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छवि एक कट्टर आतंकवादी संगठन की बने । लेखक एस.एम. मुशरिफ की राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ को देश का नंबर 1 आतंकी संगठन बताने वाली यह पहली पुस्तक नहीं है । उन्होंने ऐसी और भी पुस्तकें लिखीं हैं । उनकी एक पुस्तक ‘हू किल्‍ड कररके’ है । जिसमें दावा किया गया है कि हेमंत करकरे की हत्‍या आतंकवादियों ने नहीं की अपितु करकरे की हत्या में खुफिया ब्‍यूरो (आईबी) का हाथ है। इस पुस्तक का मराठी और बंगला में भी अनुवाद हुआ है । मुशरिक ने केवल पुस्तक में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को आतंकवादी संगठन नहीं लिखा अपितु इन पुस्तकों के लोकार्पण समारोहों में भी अपनी बात दोहराई ।

पहले भी पुस्तकें आईं और लेखक ने अदालत में माफी माँगी

भारत में घटने वाली आतंकवादी घटनाओं केलिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को दोषी बताने और पाकिस्तान को क्लीनचिट देने वाली यह पहली पुस्तक नहीं है । इससे पहले भी पुस्तकें आईं हैं और कुछ नेताओं ने उसके समर्थन में वक्तव्य भी दियेनेताओं के ब्यान भी आये । ऐसी एक पुस्तक उर्दू पत्रकार अजीज बर्नी की भी आ चुकी है । यह पुस्तक अजीज बर्नी के कुछ लेखों का संकलन था । अजीज बर्नी दिल्ली के एक उर्दू समाचार पत्र के संपादक रहे हैं। उन्होंने अपने समाचार पत्र में एक लेख माला चलाई थी। जिसमें गोधरा कांड, मालेबार ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस विस्फोट, मुम्बई हमले सहित आदि कुछ बड़ी आतंकवादी घटनाओं के लिये राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को ही आरोपी बताया था । यह पुस्तक उनके इन्हीं आलेखों का संग्रह था । इस पुस्तक नाम “26/11 आरएसएस की साजिश” था इस पुस्तक के विमोचन के लिये दिल्ली और मुम्बई दो स्थानों पर समारोह हुये थे । इसमें काँग्रेस नेता श्री दिग्विजय सिंह सहित कुछ अन्य राजनेता भी उपस्थित थे । अजीज बर्नी और उनकी पुस्तक के विरुद्ध मुंबई के एक सामाजिक कार्यकर्ता श्री विनय जोशी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ झूठी साजिश फैलाने के आरोप में खिलाफ मामला दर्ज कराया था। याचिका कर्ता ने अजीज बर्नी पर आरोप लगाया था, कि उन्हें इस तथ्य की जानकारी थी कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई की सड़कों पर हुए आतंकी हमलों में पाकिस्तान और उसके जैश-ए-मोहम्मद आतंकवादियों का हाथ था, फिर भी झूठ फैलाया गया । अपने लेखन पर अजीज बर्नी ने अदालत में माफी भी माँग ली थी । हालाँकि अजीज बर्नी की माॅफी से विनय जोशी संतुष्ट नहीं थे लेकिन बात आगे नहीं बढ़ सकी । पुस्तक को जितना भ्रम फैलाना था उतना फैला चुकी थी । मुम्बई का यह 26/11 काँड वर्ष 2008 में हुआ था । जिस पर अपने आलेखों के माध्यम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को जिम्मेदार बताने वाले उर्दू पत्रकार श्री अजीज बर्नी को तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने वर्ष 2007 में उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिये सम्मानित किया था । और वर्ष 2009 में श्री अजीज बर्नी ने प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह के साथ फ्रांस और मिस्र की विदेश यात्रा भी की थी ।

कुचक्र को प्रोत्साहन या संरक्षण ?

आतंकवादी घटनाओं के प्रति पाकिस्तान की ओर से ध्यान हटाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर करने का अभियान केवल एस एम मुशर्रिक और अजीज बर्नी का लेखन तक सीमित नहीं है । भारत में अनेक प्रशासनिक कुचक्र भी रचे गये और कुछ चर्चित व्यक्तियों के वक्तव्यों ने भी समर्थन दिया । प्रयागराज मदरसे की घटना के बाद उत्तर प्रदेश के एक राजनेता और धर्मगुरु तौकीर रजा का ब्यान आया जिसमें उन्होंने कहा कि- “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक आतंकवादी संगठन है और इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए” । अजीज बर्नी की पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में श्री दिग्विजय सिंह ने कहा था कि महाराष्ट्र एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे ने मुंबई में 26/11 हमले से दो घंटे पहले उन्हें फोन करके कहा था कि 2008 के मालेगांव विस्फोट में एटीएस जांच का विरोध करने वालों की लगातार धमकियों मिल रही हैं। तत्कालीन गृहमंत्री और काँग्रेस नेता श्री चिदम्बरम ने 25 अगस्त 2010 को डीजीपी और आईजी के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुये कहा था “हाल में ‘भगवा आतंकवाद’ सामने आया है । जो अतीत में कई बम विस्फोटों में पाया गया है..।’’ जिस समय तत्कालीन गृह मंत्री का यह ब्यान आया था, यह वही समय पर जब आतंकवाद के आरोप में फंसाये गये असीमानंद जी और साध्वी प्रज्ञा भारती” सहित अन्य निर्दोष पुलिस प्रताड़नाओं से तड़प रहे थे तो दूसरी ओर मुख्य आरोपियों को बच निकलने का मार्ग मिल रहा था । इन घटनाओं में 2006 में मालेगांव विस्फोट, समझौता एक्सप्रेस में विस्फोट, हैदराबाद में मक्का मस्जिद विस्फोट और 2007 में अजमेर शरीफ दरगाह बम विस्फोट जैसी दिल दहला देने वाली घटनाएँ हैं। थे। 20 जनवरी 2013 को जयपुर काँग्रेस सम्मेलन में काँग्रेस नेता सुशील कुमार शिन्दे ने भाजपा और आरएसएस पर ‘‘भगवा आतंकवाद फैलाने’’ के लिए ‘‘आतंकी प्रशिक्षण’’ शिविर चलाने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा था कि- ‘‘जांच के दौरान रिपोर्ट आयी है कि भाजपा और आरएसएस आतंकवाद फैलाने के लिए आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाते हैं…समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद में बम लगाए गए थे और मालेगांव में भी एक विस्फोट किया गया था।” हालांकि एक माह बाद श्री शिन्दे ने अपने वक्तव्य पर खेद भी व्यक्त कर दिया था ।
कुछ राजनेताओं के वक्तव्य और इन दोनों पुस्तकों के लेखकों के चेहरों से एक सीधा सीधा त्रिकोण उभरता है । इसमें एस एम मुशरिफ जैसे अधिकारी हैं, अजीज बर्नी जैसे पत्रकार हैं और तौकीर रजा जैसे धर्म गुरू हैं जो चिदंबरम, सुशील कुमार शिन्दे एवं दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं की राजनैतिक शैली से उड़ान भरते हैं और पूरे देश का दिल दहला देने वाली आतंकवादी घटनाओं की ओर से पाकिस्तान को क्लीन चिट देकर राष्ट्र और साँस्कृतिक मूल्यों की रक्षा के लिये समर्पित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को फँसाने का कुचक्र करते हैं।

scroll to top