मिथिला में होगा लोजपा का विस्तार : डॉ विभय कुमार झा

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मिथिला क्षेत्र में नए जोश और उर्जा के साथ लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास अपना सांगठनिक विस्तार करने जा रही है। केंद्रीय मंत्री सह लोजपा रामविलास के राष्ट्ीय अध्यक्ष श्री चिराग पासवान के निर्देश पर पूरी कार्ययोजना को मूर्त रूप दिया जा रहा है।

युवा लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्ीय उपाध्यक्ष डॉ विभय कुमार झा ने बिहार प्रदेश लोजपा रामविलास के अध्यक्ष श्री राजू तिवारी से पटना में मुलाकात की। इस अवसर पर प्रदेश स्तर और संगठन के कई अन्य नेताओं से भी विचार विमर्श हुआ है। युवा लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्ीय उपाध्यक्ष डॉ विभय कुमार झा ने कहा कि दिल्ली हो या पटना, हम लगातार अपने नेताअें और मार्गदर्शक से मिलते रहते हैं। दिल्ली में हमारे अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री श्री चिराग पासवान जी ने मिथिला पर अधिक फोकस करने के लिए मुझे कहा है। उस सिलसिले में ही हमने पटना आकर अपने प्रदेश अध्यक्ष श्री तिवारी जी से मुलाकात की है। डॉ झा ने बताया कि कई संस्थाओं से जुड़कर बीते दो दशक से मिथिला के गांवों में हमने काम किया है। अब हम लोजपा के संगठन विस्तार और अपनी पार्टी की नीतियों को जन जन तक पहुंचा रहे हैं।

एक सवाल के जवाब में डॉ विभय कुमार झा ने बताया कि जब हमारे नेता श्री चिराग जी बिहारी फर्स्ट का मंत्र देते हैं, तो उसमें ही हमारी पूरी संकल्पना निहित है। हम ऐसा मिथिला चाहते हैं, जहां से लोग मजबूरी में पलायन न करें। हमारे गांव जब समृद्ध होंगे, तो हमारा विकास अपने आप होगा। हम इस पर काम कर रहे हैं। हाल के दिनों में जिस प्रकार से प्रतिदिन सैकड़ों युवाओं का झुकाव श्री चिराग पासवान जी और लोजपा के प्रति हो रहा है, वह सुखद संकेत है।

झारखंड: जनता के प्रतिनिधियों को विधान सभा से फिकवा कर हो रही संविधान की रक्षा

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समीर कौशिक

रांची। खबर है कि झारखंड में कांग्रेस समर्थित सोरेन हेमन्त सोरेन सरकार ने 18 भाजपा विधायकों को सस्पेंड कर विधानसभा से बाहर फिकवाया है फोटो से भी प्रतित हो रहा है । ये ही इनका लोकतंत्र है संविधान बच गया इस से अब लोकतंत्र खतरे में भी नही दिख रहा है शायद ये आपातकाल इमरजेंसी से भी बुरा हो रहा है कि जनप्रतिनिधियों को फिंकवाया जा रहा है

अरविंद केजरीवाल ने इस राजनीति की शुरुआत की थी जनप्रतिनिधियों को सदन से बाहर फिंकवाने की अब ये वायरस फैल रहा है जो कि लोकतंत्र के डीएनए के लिए उचित नही है ये जनप्रतिनिधियों को नही अपितु उन मतों को और मतदाताओं को उनकी भावनाओँ को सदन के बाहर फेंका जा रहा है जिन्होंने इन्हें जिताया है जिनकी वोटों से ये सदन में आये हैं सन्देश साफ है कि जो इन्हें वोट नही करेगा उसे ये कैसे बाहर फेंक देंगे सोचना होगा कि क्या वास्तव में दिन रात लोकतंत्र बचाओ के अनारा दने वाले लोग लोकतन्त्र बचारहे हैं या अपना ख़ौफ़तन्त्र फैला रहे हैं ऐसा ही कुछ बाबू जगजीवन राम जी के साथ कांग्रेस द्वारा किया गया था उन्हें बैठक से बाहर फिंकवाया गया था क्या अब इंडी ठगबंधन के नेता इन सदन से बाहर फिंकवाये गए जनप्रतिनिधियों की जाती पूछेंगे क्या अब वो इनके वोटरों की जाती पूछेंगे यदि एक भी दलित आदिवासी पिछड़े अतिपिछड़े ने इनको वोट दिया है तो इसका अर्थ स्पष्ट है कि उनकी भावनाओँ को भी सदन के बाहर कर दिया गया है

आज और ये असम्भव ही है कि ये जनप्रतिधि झारखंड में रहकर बिना दलित आदिवासी पिछड़ा अतिपिछड़ा आदि आदि के मत पाए बिना सदन में आ गए हों प्रतिशत कुछ भी चाहे इनके प्रति इन मतों का और ये भी सम्भव है कि इनमें से स्वयं भी कुछ आदिवासी पिछड़े दलित अतिपिछड़े आदि आदि होंगे तो क्या इंडी ठगबंधन वाले लोग अब इन भावनाओँ को इन लोगों को सदन में नही बैठने देंगे बस इसलिए कि ये इनकी राजनैतिक पार्टी या विचारधारा से नही हैं अपने सांसदो की बर्खास्तगी पर संसद में छाती कूटने वाले गांधी की प्रतिमा पर घड़ियाली आंसू बहाने वाली राजनैतिक मगरों को अब ये नही दिखा क्या क्या अब जो लोग संविधान संविधान चिल्लाते हैं संविधान को पोटली बना कर फोटो खिंचाने के लिए संग लिए घूमते हैं उन्हें उसी संविधान की धज्जियाँ उड़ती नही दिख रही या जो वो करें वो सब प्राकृतिक रूप से संवैधानिक बन जाता है और कमाल की बातये कि देश मे इतनी बड़ी घटना घटी और इसके लिए कंही कोई आवाज उठा नही रहा क्या ये तानाशाही सरकारें इतनी हावी हो गई हैं लोकतंत्र पर या इनका ख़ौफ़तन्त्र इतना मजबूत है झराखंड से दिल्ली तक सन्नाटा पसरा हुआ है ।

जो लोग अधिकारियों की जाती पूछ रहे है पत्रकारोँ की जाती पूछ रहे हैं कर्मचारियों की जाती पूछ रहे हैं , बजट में जाति देख रहे है गजट में जाति देख रहे हैं क्या अपनी सरकारोँ द्वारा अब वो इन बाहर फ़िकवाएँ गाये जनप्रतिनिधियों की जाती बताएंगे , क्या वो बताएंगे कि उनके यंहा जंहा चाहे झारखंड हो या हिमाचल या कर्नाटक मुख्य सचिव किस जाति से हैं मुख्यमंत्री किस जाति से हैं विधानसभा अध्य्क्ष किस जाति से हैं । क्या उन्होंने अपने यंहा किस जाति के सलाहकारों को नियुक्ति दी हुई है । ये क्या जिस तरह की बाते वो करते हैं वैसा कोई प्रतिमान उन्होंने स्वयं बनाया है अभी तक क्योंकी उन्होंने तो सबसे परहले एक पिछड़े का हक मारा सरदार पटेल के रूप में जब उन्हें कंग्रेस के अद्यक्ष के पद त्यागपत्र दिलवाकर प्रधानमंत्री नही बनने दिया गया , बाबा साहेब के साथ किस प्रकार का व्यवहार इन्होंनो किया आप सब जानते हैं उन्हें जीतने तक नही दिया जाता तथाकथित देश के चाचा के द्वारा आज ये दलित हितैषी बनते हैं राजेन्द्र बाबू जैसे लोग उस समय ना होते तो शायद डॉ आंबेडकर सँविधान समिति के सदस्य और मसौदा समिति के अध्य्क्ष भी ना बन पाते और ये लोग आज दलित हितैषी होने का प्रपंच देश मे रच रहे हैं । यदि ये दलित पिछड़ा आदिवासी हितैषी हैं तो देश आजादी के 75 वर्षों के बाद भी आज इन्हें मूलभूत सुविधाएं क्यों नही दी पाया ये प्रश्न इन्हीं से होना चहिये ।

परन्तु आज पक्ष भी इनसे प्रश्न नहींकर रहा असमंजस की बात तो यह है कि क्या पक्ष भी इनके इस छलावे में फंसता नजर आ रहा है क्या ये लोग इन पर भी हावी हो गए हैं । देश को चिंतन करना होगा कि यदि ये लोग पिछले 65 वर्षों में कुछ नहींदी पाए तो 10 वर्ष वाले से हिसाब मांगने की इनकी क्या नैतिकता है । तथाकथित स्वतंत्रता के 75 वर्षों बाद भी यदि इन्हें अपनी सरकारोँ में सदनों से विपक्षियों को फिंकवाने तक के दिन ला दिए हैं तो इन्होंने देश को क्या दिशा दशा दी है ये चिंत्तन करना हो किस ओर देश को मोड़ा जा रहा आ जब ये लोग सत्ता में जंहा पर भी है वँहा पर खुली अराजकता है पर कोई बोलने वाला नही है बंगाल हो चाहे केरला चाहे झारखण्ड परन्तु मैं एक बात की सराहना करूँगा की बात सही यदि एकता है तो सङ्ख्या बल कोई महत्व नही रखता शक्ति कोई महत्व नही रखती ।

आज विपक्षियों में हर जगह एकता है इसीलिए भाजपा सरकारे या भाजपा कार्यकर्ता इसीलिए इन इंडी ठगबन्धन वालों के सामने ठगे ठगे से दिख रहे हैं ये चित्र देख कर भावआवेश तो बहुत कुछ है क्योंकि ये सिर्फ कोई विधायक नही फेके गए ये बाबा साहब डॉ भीम राव रामजी अम्बेडकर की आत्मा को सदन के बाहर आज इन्होंने फिंकवा दिया है उनके लोकतंत्र को बाहर फिकवा दिया उनके संविधान को फिकवा दिया क्योंकि वँहा जाने का अधिकार उन्ही के द्वारा बनाये गए नियमों से इन्हें मिला है उन्ही की व्यवस्था से मिला है किसए बात पर नाराजगी सदस्यता की नीरसत्ता सब समझ आता है परन्तु सदन से फिकवना तो उनके संविधान में नही है अथार्त ये में इसीलिए कह रहा हु की आज बाबा साहेब की आत्मा को इन्होंने लोकतंत्र के मंदिरो से बहार फेकना शुरु कर दिया है कल बाबा साहेब के विचारों को करेंगे और फिर उनके अनुयायियों को मैं दावे से ये बात कह रहा हु प्रमाण के साथ आप इनका इतिहास देख सकते हैं आज मजबूरी में इन्होंने दलित पिछड़ा आदिवासी का राग अलापना पड़ रहा है परन्तु खेद और दुख का विषय तो ये है कि स्वयं को बाबा साहेब के उत्तराधिकारी समाजवाद का उत्तराधिकारी काशीराम लोहिया जेपी का उत्तराधिकारी कहने वाले भी इन्हीं की गोदी में हैं और इनका रिमोर्ट चीन और इटली जैसे देशे में है ।

यदि देश इन्हें नही समझा तो फिर समझ भी नही पायेगा । इस दिन को लोकतंत्र में कलादिवस घोषित किया जाना चहिये जिस दिन बाबा साहेब की आत्मा को इन्होंने लोकतंत्र के मंदिर से बाहर फैंकना आरंभ किया है । ये कुछ नही कर रहे हैं देश मे लेनिन और मार्क्स की परिपाठी खड़ा करने के कुथिस्त प्रयास कर रहे हैं जो कि होने नही दिया जाएगा । धन्यवाद

उच्च अध्ययन संस्थान में पूर्व निदेशक प्रो. नागेश्वर राव को विदाई और नए निदेशक प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी का स्वागत

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शिमला, 5 अगस्त 2024 – भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस) ने नेतृत्व में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का उत्सव मनाया, जिसमें पूर्व निदेशक प्रो. नागेश्वर राव को विदाई और नए निदेशक प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया, जो पंजाब के केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा के कुलपति भी हैं। यह कार्यक्रम आईआईएएस पूल थिएटर में आयोजित किया गया और इसमें संस्थान के सभी अध्येताओं और कर्मचारियों ने भाग लिया।

प्रो. नागेश्वर राव, जिन्होंने आईआईएएस के निदेशक के रूप में विशिष्टता के साथ सेवा की। उन्हें संस्थान में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। उनके कार्यकाल को महत्वपूर्ण शैक्षणिक उपलब्धियों और आईआईएएस की स्थिति को एक प्रमुख अनुसंधान संस्थान के रूप में मजबूत करने के लिए जाना गया। अपनी विदाई भाषण में, प्रो. राव ने संस्थान के कर्मचारियों और अध्येताओं को उनके अटूट समर्थन और समर्पण के लिए धन्यवाद दिया।

कार्यक्रम में आईआईएएस की अध्यक्ष प्रो. शशि प्रभाकुमार और उपाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र राज मेहता की वर्चुअल उपस्थिति ने शोभा बढ़ाई, जिन्होंने सभा को संबोधित किया और प्रो. राव के योगदान और उनके नेतृत्व में संस्थान की प्रगति पर प्रकाश डाला। प्रो. प्रभाकुमार ने प्रो. राव के दूरदर्शी नेतृत्व और अकादमिक उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा देने के उनके अथक प्रयासों की सराहना की। प्रो. मेहता ने भी इन भावनाओं को प्रतिध्वनित किया और नए नेतृत्व के तहत संस्थान की निरंतर वृद्धि के प्रति विश्वास व्यक्त किया।

नए निदेशक, प्रो. राघवेंद्र पी. तिवारी का स्वागत करते हुए, जिन्होंने पंजाब के केंद्रीय विश्वविद्यालय, बठिंडा के कुलपति के रूप में भी सेवाएं दे रहे हैं, वक्ताओं ने उनके प्रतिष्ठित शैक्षणिक पृष्ठभूमि और उच्च शिक्षा और अनुसंधान में व्यापक अनुभव को उजागर किया। अपने उद्घाटन भाषण में, प्रो. तिवारी ने आईआईएएस के भविष्य के लिए अपनी दृष्टि साझा की, जिसमें नवाचारी अनुसंधान, अंतःविषय सहयोग और वैश्विक सहभागिता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने संस्थान के प्रतिभाशाली अध्येताओं और कर्मचारियों के साथ काम करने के लिए अपनी उत्सुकता व्यक्त की ताकि इसके मिशन को और आगे बढ़ाया जा सके।

फेलोज काउंसिल के संयोजक प्रो. जे.के. राय ने भी सभा को संबोधित किया और आईआईएएस परिवार को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।

कार्यक्रम का समापन आईआईएएस के सचिव श्री मेहर चंद नेगी द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ, जिन्होंने दोनों निदेशकों के योगदान और संस्थान के प्रति सहयोग और समर्पण की सराहना की। यह परिवर्तन आईआईएएस के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत को चिह्नित करता है, जिसमें अकादमिक उत्कृष्टता और विचार नेतृत्व के प्रति एक निरंतर प्रतिबद्धता है।

Trailblazing Indo-Polish film ‘No Means No’

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Filmed in English, Hindi, and Polish, ‘No Means No’ aims to deepen the cultural and bilateral ties between India and Poland. The music, composed by the legendary Hariharan, with contributions from Shreya Ghoshal, Javed Ali, and others, adds a profound emotional layer to the film.

Mumbai, India – August 5, 2024 – The highly awaited Indo-Polish blockbuster film ‘No Means No,’ directed by visionary filmmaker Vikash Verma, is slated for a global release on December 20, 2024. This landmark film, being the first Indo-Polish co-production,has generated considerable excitement and has been praised by industry icons such asSteven Seagal and Sanjay Dutt.

The plot revolves around a teenage love story between an Indian man and a Polish woman, set against a ski championship backdrop. Featuring Dhruv Verma, Gulshan Grover, Sylwia Czech, Natalia Bak, Sharad Kapoor, and others, the film highlights strong female characters and the theme of women empowerment. The dynamic skiing scenes, set in Bielsko-Biala near the renowned ski slopes of the Beskid and Tatra Mountains, promise to be visually spectacular.

Verma envisions ‘No Means No’ as more than just entertainment; he sees cinema as a powerful medium to bridge cultural gaps and promote mutual understanding. ‘’Our film ‘No Means No’ was predominantly shot in the relatively undiscovered, picturesque locales of Poland. As the inaugural Indo-Polish collaboration, it will showcase Poland toIndian audiences, enhancing tourism and cultural ties’’ Verma states.

The production encountered significant challenges, particularly the extreme winter conditions in Poland. ‘’We filmed in freezing temperatures, often dropping below minus 30 degrees. One major challenge was staying warm and improvising in areas without generators, such as shooting a scene using car headlights’’ Verma
recounts. Despite these obstacles, the unwavering support and hospitality of the Polish people were instrumental in completing the film.

Verma aspires for ‘No Means No’ to invigorate the skiing culture in India. ‘’Gulmarg has some of the best skiing slopes in the world, but the sport has been overlooked due to the region’s troubled history. With improving conditions, it’s time to establish Gulmarg as a major global skiing destination’’ Verma asserts.

The film’s cinematography beautifully captures Poland’s snow-covered mountains and scenic vistas, offering a glimpse into this enchanting country. Filmed in English, Hindi, and Polish, ‘No Means No’ aims to deepen the cultural and bilateral ties between India and Poland. The music, composed by the legendary Hariharan, with contributions from Shreya Ghoshal, Javed Ali, and others, adds a profound emotional layer to the film.

Delayed by the ongoing conflict in Europe, the film is finally set for its grand premiere this Christmas. Dhruv Verma’s action sequences have already been highlighted in leading European magazines and newspapers, increasing anticipation for the film. The film features an outstanding international cast, including Gulshan Grover, Sylwia Czech, Natalia Bak, Sharad Kapoor, Deep Raj Rana, Kat Kristian, Nazia Hassan, Anna Guzik, Pawel Czech, Anna Ador, and Jersey Handzlik. ‘’The cast’s performances are extraordinary, and their dedication is evident in every scene’’ Verma enthuses.

Vikash Verma’s ‘No Means No’ is poised to strengthen the bond of friendship between India and Poland, serving as a cultural bridge between the two nations. As the film approaches its release, it stands as a testament to cinema’s power to unite cultures and forge lasting connections.

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