मामले का एक आरोपी खुद को ‘इंडिया टुडे’ का पत्रकार बताता है
बेतिया। बिहार के नेपाल सीमा से सटे संवेदनशील गौनाहा थाने पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट आचार्य नितिन कुमार रवि ने जमीन कब्जा, फसल लूट और पुलिस की मिलीभगत के मामले में मुजम्मिल शेख व उसके साथियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। पूर्व थानाध्यक्ष राजीव नंदन सिन्हा के कार्यकाल में थाने को भ्रष्टाचार का अड्डा बताया जा रहा है, जबकि हाल ही में रक्सौल थानाध्यक्ष रहते हुए सिन्हा को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित किया गया है। अब मांग उठ रही है कि सिन्हा के समय लिए गए निर्णयों की पुन: जांच हो, क्योंकि थाने की रिपोर्ट से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को भी गुमराह किया गया।
पूर्व थानाध्यक्ष राजीव नंदन सिन्हा का निलंबन: भ्रष्टाचार का खुलासा
मई 2025 में चंपारण रेंज के डीआईजी हरिकिशोर राय ने रक्सौल थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर राजीव नंदन सिन्हा को निलंबित कर दिया। आरोप था कि सिन्हा ने स्थानीय व्यवसायी टुन्ना प्रसाद से लाखों रुपये का सामान उधार लिया, लेकिन भुगतान नहीं किया। जब व्यवसायी ने पैसे मांगे तो उसे झूठे अपहरण मामले में फंसा दिया। व्यवसायी की शिकायत पर डीआईजी ने खुद जांच की और आरोप सही पाए जाने पर सिन्हा को तत्काल निलंबित कर विभागीय कार्रवाई शुरू की।

Caption: Rajeev Nandan
यह निलंबन सिन्हा के गौनाहा थानाध्यक्ष रहते हुए के कार्यकाल पर भी सवाल उठाता है। नितिन कुमार रवि का कहना है कि सिन्हा के समय थाना पूरी तरह भ्रष्टाचार का केंद्र था। गौनाहा में कई शिकायतें की गईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब जब सिन्हा का भ्रष्ट चरित्र उजागर हो चुका है, तो उनके कार्यकाल के पुराने मामलों, खासकर मुजम्मिल शेख से जुड़े जमीन विवाद की पुन: जांच जरूरी है।
जमीन कब्जा का मामला: कोविड काल से शुरू हुआ विवाद
विवाद की जड़ अप्रैल 2021 में है, जब नितिन कुमार रवि का पूरा परिवार कोविड-19 से संक्रमित था और घर माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित कर सील कर दिया गया था। इसी दौरान मुजम्मिल शेख (पिता सलीम शेख, गांव गम्हरिया, गौनाहा) ने सद्दाम शेख, सज्जाद शेख, चाचा-चचेरे भाई और अन्य असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर जमीन की देखभाल करने वाले रामशरण महतो और अनिल काजी पर हमला किया। उन्हें मारपीट कर जमीन छोड़ने की धमकी दी गई।
परिवार ने व्हाट्सएप से तत्कालीन डीएम कुंदन कुमार को सूचना दी। कोविड नियंत्रित होने के बाद जमीन पर “यह जमीन बिक्री की नहीं है, मालिकाना हक बामदेव झा के पास” लिखा बोर्ड लगाया गया। प्रभात कुमार झा ने अंचल अधिकारी गौनाहा को पैमाइश के लिए आवेदन दिया, जिसमें खाता 02, खेसरा 389, थाना 28, रखवा तीन बीघा की जमीन का जिक्र था। यह जमीन पंडित उमाकांत झा और बामदेव झा के नाम संयुक्त रूप से दर्ज है। लगान रसीद, पट्टा, दस्तावेज संलग्न किए गए। आवेदन एसपी बेतिया, डीएसपी नरकटियागंज, अंचल अधिकारी और एडीएम नरकटियागंज को भी दिए गए।
30 जून 2021 को प्रशांत झा ने गौनाहा थाने में जबरन कब्जा और धमकी की शिकायत दी, लेकिन थाने ने रिसीविंग नहीं दी। थाने में आवेदन लेने की प्रथा ही नहीं है, जैसा नितिन ने आरोप लगाया।
थाने की लापरवाही: फसल लूट से सीसीटीवी फुटेज तक छिपाई
सितंबर 2021 में जनता दरबार में अंचल अधिकारी अमित कुमार ने मूल दस्तावेज मंगाए। 4 सितंबर को 18 दस्तावेज जमा किए गए, जिसमें 1978 की पुरानी शिकायत की कॉपी भी शामिल थी। फिर भी कोई कार्रवाई नहीं।
15 अक्टूबर 2021 को मुजम्मिल के लोगों ने फसल लूट ली। वीडियो सहित शिकायत दी गई, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबिततत्कालीन थानाध्यक्ष राजीव नंदन सिन्हा ने इसे जनता दरबार का मामला बता दिया। 16 अक्टूबर को जनता दरबार में मुजम्मिल थानाध्यक्ष के चैंबर में आया और बहस में कबूल किया कि नकली पट्टा बनवाने की कोशिश कर रहा है। यह पूरा प्रसंग सीसीटीवी में कैद हुआ (11 बजे से 3 बजे तक), जिसमें मुजम्मिल ने फसल लौटाने और माफी मांगने की बात की। आरटीआई से फुटेज मांगी गई, लेकिनथानाध्यक्ष द्वारा नहीं दी गई।

Caption: Mujammil Shekh
फिर मामूली चोरी का एफआईआर दर्ज हुआ, लेकिन नाम बदलकर नितिन कुमार रवि को निश्चित कुमार सिंह और पिता को जयशंकर सिंह कर दिया गया। कोर्ट से कागज निकलवाने पर यह साबित हुआ। आरटीआई का जवाब नहीं दिया गया।
विरोधाभासी रिपोर्टें: पीएमओ को गुमराह करने का आरोप
जनता दरबार 2021 से 2024 तक चला। मुजम्मिल बटाईदार होने का कोई प्रमाण नहीं ला सका। एक पत्र में सूर्यकांत झा को मालिक बताया गया, दूसरे में दावा करने वाला। अंचल अधिकारी अमित कुमार ने 2022 में पत्र जारी कर मुजम्मिल को जोताबाद बताया, लेकिन आरटीआई से पता चला कि जांच में कोई नाम नहीं दिया गया था।
थाने ने बिना जांच के मुजम्मिल के पक्ष में रिपोर्ट बनाकर पीएमओ को भेजी। नितिन का आरोप है कि थाना आरोपी को बचाने के लिए अलग-अलग पत्रों में गलतियां सुधार रहा है। पेड़ काटे गए, फसलें लूटी गईं, लेकिन कोई एफआईआर नहीं। पैमाइश के आवेदन पर फीस जमा होने के बावजूद कोई तिथि नहीं तय हुई।
नितिन ने बिहार डीजीपी को पत्र लिखकर मुजम्मिल, सलीम, सद्दाम और सज्जाद पर एफआईआर की मांग की। पूर्व एसआई विवेक कुमार बालेंदू (अब थानाध्यक्ष) ने मीडिया से बातचीत में मामले की जानकारी न होने की बात कही, जबकि पहले रिपोर्ट लिख चुके थे। मामले से जुड़ा एक आरोपी खुद को ‘इंडिया टुडे’ का दिल्ली में कथित पत्रकार बताता है।
मुजम्मिल का प्रभाव: कनेक्शन और धमकियां
मुजम्मिल नारायणी कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड का पेटी कांट्रेक्टर है। वह कंपनी मालिक के आईएएस दामाद का नाम लेकर थाना-अंचल पर दबाव बनाता है। स्थानीय नेताओं के नाम से दलाली और असामाजिक तत्वों से मिलकर जमीन कब्जा करने का आरोप है। धमकी दी गई कि परिवार फसल काटने आए तो महिलाओं से कटवाकर झूठा केस में फंसाया जाएगा।
संवेदनशील क्षेत्र में न्याय की पुकार
गौनाहा नेपाल बॉर्डर पर जनजाति बहुल संवेदनशील क्षेत्र है। यहां भ्रष्ट अधिकारी गरीबों के न्याय में बाधा बन रहे हैं। नितिन ने कहा कि कोरोना से ज्यादा पीड़ा थाने-अंचल से मिली। सैकड़ों आवेदन-आरटीआई दिए, लेकिन न्याय नहीं। नए थानाध्यक्ष और अंचल अधिकारी से पुन: जांच की मांग है।
यह मामला सिर्फ एक जमीन विवाद नहीं, बल्कि पुलिस प्रशासन की विश्वसनीयता का सवाल है। यदि पीएमओ को भी गुमराह किया जा रहा है, तो चिंता गंभीर है। विभागीय स्तर पर उच्च जांच की जरूरत है ताकि सच सामने आए और दोषियों को सजा मिले।
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