भारत की मिट्टी में खेती सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि लाखों परिवारों की आर्थिक और सामाजिक धड़कन है। वर्षों से जटिल कर संरचना ने किसानों की राह में बाधाएं खड़ी कीं, लेकिन जीएसटी 2.0 के साथ एक नया युग शुरू होने जा रहा है। 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में मंजूर ये क्रांतिकारी सुधार 22 सितंबर 2025 से लागू होंगे, जो टैक्स स्लैब को सरल कर 5% और 18% की दो प्रमुख दरों तक लाएंगे, जबकि सिन गुड्स पर 40% की विशेष दर बरकरार रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘आर्थिक परिवर्तन की आधारशिला’ करार दिया, जो किसानों, छोटे उद्यमियों और महिलाओं को सशक्त बनाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जोर देकर कहा कि ये बदलाव कृषि, स्वास्थ्य और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति देंगे।
किसानों को सबसे बड़ा लाभ कृषि इनपुट्स पर टैक्स घटने से होगा। खाद, बीज, बायो-पेस्टीसाइड्स और जैविक खाद पर टैक्स 12-18% से घटकर 5% होगा, जिससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। इससे मिट्टी की सेहत और पर्यावरण सुरक्षित होगा। ट्रैक्टर और कृषि मशीनरी पर भी 5% टैक्स लागू होगा, जिससे 9 लाख रुपये के ट्रैक्टर पर 65 हजार रुपये की बचत होगी। कटाई और पराली प्रबंधन उपकरण जैसे सुपर सीडर, हैप्पी सीडर और मल्चर सस्ते होंगे, जिससे छोटे किसान आधुनिक खेती अपना सकेंगे।
फसल बिक्री और स्टोरेज में भी राहत मिलेगी। कोल्ड स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट पर कम टैक्स से फल-सब्जियों की बर्बादी 30-40% से घटकर 10-15% होगी। डेयरी क्षेत्र में क्रांति आएगी, क्योंकि यूएचटी दूध, पनीर, छेना और रोटी जैसे उत्पादों पर 0% टैक्स होगा। मक्खन, घी और दूध के डिब्बों पर भी राहत मिलेगी, जिससे दूध उत्पादकों की आय बढ़ेगी। पशुपालन, मछली पालन और मधुमक्खी पालन को भी लाभ होगा।
ये सुधार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को साकार करेंगे। 15-20% लागत बचत, आधुनिक मशीनों से बढ़ी पैदावार और आसान बाजार पहुंच से मुनाफा बढ़ेगा। सहकारी समितियां और एफपीओ मजबूत होंगे, जबकि महिला स्वयं सहायता समूहों को हस्तशिल्प और दूध उत्पादों से लाभ मिलेगा। जीएसटी 2.0 ग्रामीण भारत में रोजगार और आत्मनिर्भरता लाएगा, जो अर्थव्यवस्था को नई गति देगा। यह सुधार किसानों के लिए दीवाली का सबसे बड़ा उपहार है।