ज्ञान महाकुंभ 2081: भारतीय शिक्षा और संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में ऐतिहासिक पहल

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Caption: ensemble ias academy

प्रयागराज : शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा ज्ञान महाकुंभ 2081 का आयोजन प्रयागराज में किया गया। इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्देश्य भारतीय शिक्षा और ज्ञान परंपरा को पुनः स्थापित करना और देश के चारों कोनों में ज्ञान के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना था। इस महाकुंभ में चार सत्रों के माध्यम से शिक्षा, अनुसंधान, संगठनात्मक प्रबंधन और मीडिया प्रबंधन पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

सत्र 1: उद्घाटन सत्र

उद्घाटन सत्र की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इस सत्र के मुख्य अतिथि श्री अतुल कोठारी (राष्ट्रीय सचिव) और विशिष्ट अतिथि श्री सुरेश गुप्ता (राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष) थे। सत्र की प्रस्तावना डॉ. आयुष गुप्ता ने की, जिसमें उन्होंने भारतीय शिक्षा के महत्व और ज्ञान महाकुंभ के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। इसके बाद श्री संजय स्वामी ने आयोजन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भारतीय शिक्षा व संस्कृति में इसके योगदान का विवरण दिया।

सत्र के दौरान डॉ. सरिता सचदेवा ने मानव रचना विश्वविद्यालय की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए भारतीय शिक्षा प्रणाली में अनुसंधान की आवश्यकता पर जोर दिया। सत्र का संचालन और प्रतिवेदन डॉ. पार्थ रश्मिकांत भट्ट द्वारा किया गया।

सत्र 2: संगठनात्मक चर्चा

द्वितीय सत्र संगठनात्मक प्रबंधन पर केंद्रित था। श्री अतुल कोठारी के मार्गदर्शन में इस सत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा के आधार पर संगठनात्मक प्रबंधन पर चर्चा हुई। इस सत्र में भारतीय शिक्षा को नई दिशा देने और भारतीय संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

इस सत्र का संचालन और प्रतिवेदन डॉ. पार्थ रश्मिकांत भट्ट द्वारा किया गया।

सत्र 3: गुट चर्चा

तीसरे सत्र में प्रतिभागियों को तीन समूहों में विभाजित किया गया, जो निम्नलिखित विषयों पर चर्चा करने के लिए संगठित किए गए:

1. प्रेस विज्ञप्ति – डॉ. आयुष गुप्ता के नेतृत्व में प्रतिभागियों ने इस आयोजन की प्रेस विज्ञप्ति तैयार की।

2. मीडिया प्रबंधन – श्री इंद्रजीत ने मीडिया प्रबंधन की चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श किया और आयोजन को अधिक प्रभावी बनाने के उपाय सुझाए।

3. सोशल मीडिया प्रबंधन – डॉ. पार्थ रश्मिकांत भट्ट ने सोशल मीडिया के महत्व और आयोजन को ऑनलाइन माध्यमों के जरिए अधिक प्रभावी बनाने के तरीकों पर चर्चा की।

सत्र 4: समापन सत्र

चतुर्थ और समापन सत्र में दिनभर के चर्चाओं का सारांश प्रस्तुत किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता श्री अतुल कोठारी ने की। उन्होंने सभी प्रतिभागियों के विचारों और सुझावों को संकलित करते हुए भविष्य में होने वाले आयोजनों को और प्रभावी बनाने के सुझाव दिए।

इस सत्र के अंत में डॉ. आयुष गुप्ता ने सभी प्रतिभागियों, अतिथियों और आयोजन समिति के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने ज्ञान महाकुंभ 2081 को सफल बनाने के लिए सभी का धन्यवाद किया और भारतीय शिक्षा और संस्कृति के उत्थान के लिए भविष्य में ऐसे आयोजनों की निरंतरता का आह्वान किया।

आयोजक: शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास
स्थान: प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
उद्देश्य: भारतीय शिक्षा और संस्कृति का उत्थान, ज्ञान परंपरा की पुनःस्थापना, और विश्व मंच पर भारतीय संस्कृति का पुनर्जागरण।

इस महाकुंभ के माध्यम से शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने भारतीय शिक्षा और संस्कृति के पुनर्जागरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। इस आयोजन में प्राप्त सुझाव और विचार भविष्य के शैक्षिक सुधारों और सांस्कृतिक पुनर्जीवन के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।

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