हमारा अभी ब्रेनवाश नहीं हुआ है

quint-hindi-2019-01-2ad3cf4e-f9dc-4910-9527-22763cec6207-neuro_imaging.jpg.avif

स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती

जरा दिमाग पर जोर डालिये और मात्र दस साल पहले 2014 अगस्त याद कीजिये जब कांग्रेस ने प्रशांत किशोर को ठेका दिया था राहुल गांधी को राजनीति में चमकाने का! प्रशांत ने 350 करोड़ में राहुल गांधी को राजनीति का सूरज बना देने का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था। अगस्त के आखिर में प्रशांत किशोर ने बाकायदा सोशल मीडिया पर एक विज्ञप्ति निकाली थी कि जो लोग सोशल मीडिया पर लिखने में एक्सपर्ट हैं वे उससे जुड़े और करीब 60 हजार लोगों की लिस्ट बनी थी मुंबई में एक मीटिंग रखी गई दूसरी बनारस में। लगभग पांच हजार लोगों को छांट कर एक आईटी सेल बनाई गई जो दिन रात कांग्रेस को अपग्रेड करते थे!

दूसरा आपको ‘द वायर’ याद हैं! जिसने अमित शाह के बेटे पर 300% मुनाफा कमाने का आरोप लगाया था और रातों रात चर्चा में आई थी?? हालांकि ‘द वायर’ ने बाद में केजरीवाल की तरह माफी भी मांगी और कोर्ट में जुर्माना भी भरा था लेकिन द वायर को चर्चा में आना था सो वह आ गई।

अब तीसरा हाल ही का ‘कैम्ब्रिज एनालिटिका’ को भी याद कीजिए कि हजार करोड़ लेकर कांग्रेस से सरकार बनवाने का कॉन्ट्रेक्ट इसी कम्पनी ने लिया था। ये कैम्ब्रिज अमेरिकी कंपनी हैं जिसने ट्रम्प का प्रचार किया था और कांग्रेस ने इसी बेस पर इसे राहुल गांधी के लिये हजार करोड़ देकर यहां भारत मे एप्रोच किया!

अब प्रशांत किशोर ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया हैं लेकिन जाते जाते आईटी सेल दे गया। उसकी बनाई आईटी सेल के हर व्यक्ति को बीस हजार महीने से लेकर योग्यता अनुसार लाख से ऊपर तक महीने की तनख्वाह दी जाती हैं। प्रशिक्षण देकर लाइव डिबेट के लिये तैयार किया जाता हैं।

हर विषय को कैसे हैंडल करना है, इसपर बाकायदा किताबे छपी हुई हैं और ये सब लोग रात दिन अपनी तनख्वाह बढ़ाने के चक्कर मे सोशल मीडिया पर लगे हुए हैं जो आज भी जारी है और हर महीने सैकड़ों करोड़ पानी की तरह इनपर कांग्रेस बहा रही है।

अब ‘द वायर’ जैसी हजारों वेबसाइट और ब्लॉग धड़ल्ले से चल रहे हैं जिनका काम सिर्फ न्यूज लिंक क्रिएट करना हैं और वही न्यूज बनानी है जो आईटी सेल चाहती हैं।

कैम्ब्रिज ने इनसे दो कदम आगे बढ़कर वो फार्मूला आजमाया जो ये गोरे शुरू से आजमाते हैं। कैम्ब्रिज ने 2014 के वोट प्रतिशत और किस जगह से कितने आये किस जाति से कितने आए इसकी डिटेल निकाली और इन वोटों को तोड़ने की उसने बाकायदा आधिकारिक घोषणा की कि वह इस हिंदुत्व की एकता को ही तोड़ देंगे ‘न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी’।

प्रशांत किशोर से लेकर केंब्रिज के बीच और भी बहुत प्रयास हुए हैं।

अब इस गेम को समझिए की कहाँ से आते हैं वो फोटोशॉप जो नफरत फैलाते हैं? कैसे गलत न्यूज रातों रात वायरल हो जाती हैं? कैसे मोदी के बयान को तोड़कर उसे गलत सिद्ध करने के लिये तुरन्त लिंक न्यूज फैल जाते हैं? कैसे अखबार की एडिट कटिंग तुरन्त मिल जाती हैं? लेकिन बात यहीं तक नही हैं ये मोदी विरोध के चक्कर मे कब देश का विरोध करने लगे उन्हें भी नहीं पता! कब जातिवाद के चक्कर में धर्म को गालियां देने लगे इन्हें भी नही पता हैं! मोदी विरोध के फेर में ये भारत को ही गालियां देने लगे हैं।

आईटी सेल के हर व्यक्ति को मोदी विरोध का पैसा मिलता हैं। जो जितना ज्यादा प्रभावी ढंग से विरोध करेगा उतना ही ज्यादा पैसा हैं लेकिन इसका ये मतलब तो नही की हमारी अक्ल घास चर रही हैं! केवल चार साल में इनका फैलाया जहर इस हद तक फैल गया कि दिमाग में एक दूसरे के लिए सिर्फ नफरत को जगह हैं बाकी ब्लेंक!

याद रखिये ‘अंध विरोध की काट अंधभक्त होना ही हैं’ हमारे आपके जैसे अंधभक्तो ने प्रशांत किशोर, द वायर और कैम्ब्रिज जैसो को घुटनों पर ला दिया हैं और आगे भी कोई देशविरोधी होंगे तो उन्हें भी लाएंगे!

Share this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

scroll to top