हरियाणा की राजनीति में बढ़ रही है निर्दलीय नेताओं की पकड़

pti04_29_2024_000157b_0_jpg_1715092735.jpg

निर्दलीय जीते सोमवीर सांगवान को कांग्रेस ने अपनी पार्टी में मिला लिया है। कांग्रेस में शामिल होते ही, उन्होंने सबसे पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पर तीन महीने पहले हमला बोलते हुए कहा था कि वे मुख्यमंत्री के काबिल नहीं हैं। विधानसभा चुनाव के बाद हरियाणा भाजपा में मचेगी भगदड़

2019 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव के अंदर 07 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। इस बार फिर मैदान में एक दर्जन से अधिक ऐसे उम्मीदवार मैदान में उतर रहे हैं, जिनके जीतने की संभावना से इकार नहीं किया जा सकता है। यदि खुद जीत हासिल ना भी कर पाए, उसके बावजूद ये अपनी अपनी विधानसभा में चुनाव परिणाम को प्रभावित तो कर ही सकते हैं। चुनावी संघर्ष में ये मजबूती से टक्कर देंगे, इस बात में भी संदेह नहीं।

इस बात को राजनीतिक पार्टियां समझती हैं, इसलिए उन नेताओं को पार्टी सिम्बल पर लड़ाने की भी कोशिश है जो अपने दम पर जीतने का दम रखते हैं। जैसे इस बार हरियाणा जन सेवक पार्टी के अध्यक्ष बलराज कुंडू ने एक बार फिर महम से चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। कुंडू ने यह भी ऐलान किया है कि उनकी पत्नी परमजीत कुंडू जुलाना से चुनाव लड़ेंगी।

देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल के पोते और हरियाणा के कई बार मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला के बेटे रणजीत सिंह चौटाला इस साल मार्च में बीजेपी में शामिल हुए हैं। उन्होंने घोषणा कर रखी है कि वह रानियां सीट से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। बीजेपी टिकट देगी तो उसकी टिकट पर, टिकट नहीं देगी तो निर्दलीय।

पिछले विधानसभा चुनाव में नयनपाल रावत फरीदाबाद जिले में पड़ने वाली पृथला विधानसभा से जीते थे। इस बार भी नयनपाल रावत निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ही विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। रविंदर मछरौली 2014 में विधानसभा का चुनाव जीते थे लेकिन 2019 में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था। पानीपत जिले की समालखा विधानसभा सीट से वे चुनाव मैदान में होंगे।

निर्दलीय जीते सोमवीर सांगवान को कांग्रेस ने अपनी पार्टी में मिला लिया है। कांग्रेस में शामिल होते ही, उन्होंने सबसे पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पर तीन महीने पहले हमला बोलते हुए कहा था कि वे मुख्यमंत्री के काबिल नहीं हैं। विधानसभा चुनाव के बाद हरियाणा भाजपा में भगदड़ मचेगी। वे इस बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ेगे। यदि कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय लड़ने के दरवाजे उनके लिए खुले हुए हैं। वे बिना कांग्रेस की मदद के भी विधायक रहे हैं। वैसे भी हरियाणा में किसी भी स्तर पर कांग्रेस जाटों को नाराज करने का जोखिम मोल नहीं लेगी।

सोमवीर सांगवान के अलावा पिछली बार निर्दलीय जीते धर्मपाल गोंदर इस बार भी नीलोखेड़ी से और रणधीर गोलन पूंडरी से कांग्रेस से टिकट की आस लगाए बैठे हैं। गुरुग्राम जिले की बादशाहपुर विधानसभा सीट से पिछला चुनाव राकेश दौलताबाद जीते थे। राकेश दौलताबाद का कुछ महीने पहले निधन हो गया था और इस सीट से उनकी पत्नी कुमुदिनी राकेश दौलताबाद चुनाव लड़ रहीं हैं।

Share this post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

scroll to top