दिल्ली हाई कोर्ट ने नेटफ्लिक्स, अमेजॉन प्राइम और हॉटस्टार जैसे प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया पर केंद्र सरकार के नए नियमों को चुनौती देने वाली एक याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस जश्मीत की बेंच ने केंद्र सरकार को यह नोटिस जारी किया है। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 16 अप्रैल को करेगी।
मालूम हो कि यह याचिका ‘फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट’ ट्रस्ट की ओर से दायर की गई है। यह ट्रस्ट ‘द वायर’ व ‘द न्यूज मिनट’ के संस्थापक और प्रधान संपादक धन्या राजेंद्रन और ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक एमके वेणु द्वारा बनाया गया है।
केंद्र सरकार ने 25 फरवरी को OTT प्लेटफॉर्म और डिजिटल मीडिया के लिए तकनीकी सूचना रूल्स, 2021 जारी की थी।
मीडिया खबर के अनुसार, याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट नित्या रामाकृष्णन ने कोर्ट से कहा कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से नए नियमों को लेकर दिए गए हलफनामे और गूगल के नियम अलग हैं। नियमों में अखबारों और समाचार-संस्थाओं के बारे में नहीं बताया गया है। ऐसा नहीं है कि समाचार माध्यम नियंत्रण से परे हैं, लेकिन इसका नियंत्रण एक कानून के माध्यम से किया जाना चाहिए।
पिछले शुक्रवार को इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस में अनुचित कार्यक्रम दिखाने वाले या नियमों का उल्लंघन करने वाले डिजिटल प्लेटफॉर्म के खिलाफ अभियोजन या सजा को लेकर उपयुक्त कार्रवाई करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है।
सरकार ने गाइडलाइंस की घोषणा करते हुए कहा था कि नए नियमों से सोशल मीडिया कंपनियों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को अधिक जिम्मेदार और जवाबदेह बनाने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इन प्लेटफॉर्म पर अनुपयुक्त सामग्री को नियंत्रित करने के लिए नियमों में कुछ भी नहीं है और बगैर किसी कानून के इसे नियंत्रित करना संभव नहीं हो सकता। बेंच ने अपने आदेश में कहा था, ‘नियमों का अवलोकन करने से यह संकेत मिलता है कि नियम दिशानिर्देश के रूप में हैं और दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ छानबीन या उपयुक्त कार्रवाई के लिए कोई प्रभावी तंत्र नहीं है।’