पहले सत्र में डॉक्टरों ने एचपीवी वैक्सीन और शुरुआती स्क्रीनिंग को जरूरी बताया। डॉ. सुदर्शन डे, ग्रुप डायरेक्टर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, यथार्थ सुपर-स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर को वैक्सीन से रोका जा सकता है। वहीं, डॉ. अनिल कुमार धर, क्लिनिकल डायरेक्टर और हेड , मेडिकल ऑन्कोलॉजी, मारेंगो एशिया हॉस्पिटल्स, ने CAR T-Cell Therapy में भारत की प्रगति पर प्रकाश डाला। डॉ. राकेश कुमार, प्रोफेसर और हेड , कैंसर सर्जरी, वीएमएमसी और सफदरजंग हॉस्पिटल ने कहा कि सही जीवनशैली और रोकथाम से कैंसर पर काबू पाया जा सकता है। डॉ. चंद्रिका कंबम, मेडिकल डायरेक्टर , ईवन हेल्थकेयर ने जांच को अफोर्डेबल बनाने के लिए ओपीडी इंश्योरेंस की आवश्यकता को बताया। वहीं डॉ. रश्मि श्रिया, एचओडी, लेप्रोस्कोपिक गायनोकोलॉजी मैश (MASSH) हॉस्पिटल ने महिलाओं से एचपीवी टेस्ट और टीकाकरण कराने की अपील की।
दूसरे सत्र में वर्कप्लेस पर मेन्टल हेल्थ , अफोर्डेबल इन्शुरन्स प्लान और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप को हैल्थकेयर के लिए जरूरी बताया । उपस्थित एक्सपर्ट्स का मानना है कि अस्पताल और डॉक्टरों के साथ मानव संसाधन , सीएसआर और पालिसी रिफॉर्म्स भी प्रमुख रोल निभा सकते हैं। इस सत्र में डॉ. रोहित गर्ग, चीफ मेडिकल डायरेक्टर , माइंड वृक्ष; वंदना कामरा – डीजीएम, द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड; जय प्रकाश – चीफ एडवाइजर , एवेनिर हेल्थ (ट्रैक20 प्रोजेक्ट); जयमालिनी रामरत्नम, डायरेक्टर (साउथ एशिया) आईडीपी एजुकेशन लिमिटेड; समारा महिंद्रा – फाउंडर और डायरेक्टर , करियर और अमित लखोटिया – डायरेक्टर (मानव संसाधन ),आर1 आरसीएम ने अपने विचार साझा किये.
सम्मेलन में “बनेगी रील, बचेगी जान” कैंपेन को लांच किया गया, जिसके जरिए युवाओं को सोशल मीडिया पर कैंसर जागरूकता फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
कार्यक्रम के अंत में तीन मुख्य सुझाव सामने आए जिसमें शुरुआती पहचान और वैक्सीनेशन को बढ़ावा देना, कार्यस्थलों पर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना और सीएसआर और बीमा योजनाओं के जरिए इलाज को सस्ता और सुलभ बनाना शामिल था। विशेषज्ञों ने कहा कि विकसित भारत का सपना तभी पूरा हो सकता है जब रोकथाम और वर्कप्लेस वेलनेस को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया जाए।