मुम्बई : साल 2025 के मार्च-अप्रैल में भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के फोन में एक ही नोटिफिकेशन बार-बार आ रहा था – ‘स्मृति मंधाना की शादी टूट गई।’ किसी ने लिखा, ‘अरे यार, पलाश के साथ तो सेट था!’ किसी ने मीम बनाया, ‘स्मृति का छक्का तो लग गया, लेकिन शादी का स्टंप उखड़ गया।’ ट्विटर से लेकर इंस्टाग्राम रील्स तक, रेडिट के सब-रेडिट्स से लेकर यूट्यूब की लाइव स्ट्रीम तक – पूरा देश दो अजनबियों के रिश्ते पर ओपिनियन दे रहा था, जबकि वे दोनों कभी सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं, इस बात की आधिकारिक पुष्टि तक नहीं हुई थी।
कहानी शुरू हुई फरवरी में। एक क्रिकेट फंक्शन में स्मृति मंधाना और पलाश मुछाल (जो संगीतकार जोड़ी अजय-अतुल के भतीजे और खुद एक उभरते संगीतकार हैं) एक साथ नजर आए। किसी ने फोटो खींची, किसी ने स्टोरी डाली, और अगले चौबीस घंटे में हैशटैग #SmritiWedsPalash ट्रेंड करने लगा। फर्क सिर्फ इतना था कि इस बार शादी की खबरें किसी पत्रकार ने नहीं, बल्कि प्रशंसकों ने खुद गढ़ीं। कोई रोक नहीं। उल्टे, दोनों परिवारों के करीबी दोस्तों ने भी इशारों-इशारों में ‘बहुत अच्छा रिश्ता है’ जैसे बयान दिए, जिसे मीडिया ने हेडलाइन बना देता है।
फिर आया वह दौर जो आजकल हर सेलेब्रिटी रिश्ते के साथ होता है – प्री-वेडिंग फोटोशूट की अफवाहें, हल्दी की तारीख, डिजाइनर लहंगे की कीमत, जयमाला में कौन सा गाना बजेगा। सब कुछ तय था, सिवाय इसके कि वर-वधू ने खुद कुछ कहा हो। स्मृति ने एक बार लाइव सेशन में हंसते हुए कहा था, “आप लोग बहुत जल्दी कर रहे हो।” बस इतना काफी था कि लोग इसे “कन्फर्मेशन” मान लें।और फिर अचानक खबर आई – शादी टूट गई। वजह? “दोनों परिवारों में कुछ मतभेद।” कोई और डिटेल नहीं। लेकिन सोशल मीडिया को डिटेल की जरूरत कहाँ होती है। एक तरफ स्मृति की फैन आर्मी ने पलाश को ‘लालची’, ‘फेम का भूखा’ जैसे शब्दों से नवाजा। दूसरी तरफ कुछ लोगों ने स्मृति पर तंज कसे कि “क्रिकेट में तो छक्के मारती हो, रिश्ते में आउट हो गईं।” पलाश के इंस्टाग्राम पर ट्रोल्स की बाढ़ आ गई। उसकी माँ को भी नहीं बख्शा गया। एक यूजर ने लिखा, “आंटी, बेटे को संभालिए न!”

यहाँ सवाल सिर्फ ट्रोलिंग का नहीं है। सवाल यह है कि दो परिवारों का निजी मिलन कब से हमारा राष्ट्रीय तमाशा बन गया?
भारतीय समाज में शादी आज भी सिर्फ दो लोगों का नहीं, दो परिवारों का मिलन है। इसमें माता-पिता, चाचा-ताऊ, मौसी-बुआ सबकी राय होती है। कई बार रिश्ता इसी वजह से टूट जाता है। यह दुखद है, लेकिन निजी है।
जब आप एक सेलेब्रिटी हैं, तो आपका निजी दुख भी हमारा पब्लिक एंटरटेनमेंट बन जाता है। हम क्यों भूल जाते हैं कि दूसरी तरफ भी इंसान हैं। पलाश मुछाल कोई फिल्मी स्टार नहीं हैं। वे एक मध्यमवर्गीय संगीतकार परिवार से हैं।
स्मृति मंधाना ने कभी अपने रिश्ते को पब्लिक नहीं किया। फिर भी उनसे अपेक्षा की गई कि वे हर अफवाह का खंडन करें। जब उन्होंने चुप्पी साधी, तो कहा गया कि “घमंड हो गया है।” जब पलाश ने एक स्टोरी डाली जिसमें लिखा था “कृपया निजता का सम्मान करें”, तो लोग हंसने लगे – “अब निजता की याद आई?”
यह हाइप सिर्फ सोशल मीडिया की देन नहीं है। यह हमारी सामूहिक बीमारी है। हम किसी के सुख-दुख को अपने खाली समय का मसाला बनाना चाहते हैं। शादी की खबर बनी, तो हमने शादी देखी। शादी टूटी, तो हमने ब्रेकअप पार्टी मनाई। दोनों ही बार असली लोग हारे।
स्मृति मंधाना ने बाद में एक इंटरव्यू में कहा था, “मैं क्रिकेटर हूँ, अभिनेत्री नहीं। मेरी जिंदगी में जो होता है, वह मेरा निजी मामला है।” लेकिन हमने उनकी बात अनसुनी कर दी। क्योंकि हमें उनकी जिंदगी से ज्यादा उनकी जिंदगी की कहानी चाहिए थी – वह कहानी जो हम मीम्स बनाकर, रील्स बनाकर, ट्रेंड चलाकर खुद लिख सकें।
आज जब मैं यह लिख रहा हूँ, तो #SmritiWedsPalash हैशटैग अभी भी जिंदा है। लोग अब भी पूछते हैं – “क्या सच में प्यार था या सिर्फ पीआर?” कोई जवाब नहीं है। और होना भी नहीं चाहिए। क्योंकि जवाब देने की जिम्मेदारी न स्मृति की है, न पलाश की। जवाब देने की जिम्मेदारी हमारी है – कि हम कब तक दूसरों के निजी जीवन को अपना पब्लिक तमाशा बनाते रहेंगे?
दो परिवार आपस में मिले थे। बात आगे नहीं बढ़ी। बस इतनी सी बात। इसे यहीं छोड़ देते, तो शायद दो लोगों की जिंदगी में थोड़ा कम जहर घुलता। लेकिन हमने इसे “कंटेंट” बना दिया। और कंटेंट की भूख कभी नहीं मिटती।
शायद अगली बार जब कोई सेलेब्रिटी किसी के साथ फोटो खिंचवाए, तो हम थोड़ा रुकें। थोड़ा सोचें। कि क्या हर फोटो शादी की खबर है? क्या हर चुप्पी घमंड है? क्या हर रिश्ते का टूटना हमारा मनोरंजन है?
जवाब शायद “नहीं” में ही है। लेकिन हम “हाँ” कहते रहेंगे। क्योंकि हमें हाइप चाहिए।



