ईरान का रुख और भारत-इजरायल

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हाल के घटनाक्रम में, जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की, तो ईरान ने भारत का साथ देने के बजाय पाकिस्तान के प्रति अपनी कूटनीतिक संगत बनाए रखी। यह स्थिति भारत के लिए निराशाजनक है, क्योंकि ईरान के साथ भारत के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं। लेकिन जब भारत को अपने सबसे कठिन समय में सहयोग की जरूरत थी, तब ईरान का रुख सवाल उठाता है: क्या दोनों मुल्कों का मजहब इस रुख के पीछे प्रमुख कारण है? इस बात को बल भारत के कुछ मुस्लिम और प्रगतिशील सोशल मीडिया एंफ्लूएंसर के पोस्ट ने दिया, जब उन्होंने इस बात की परवाह किए बिना कि हाल में ही ईरान का रूख भारत के प्रति क्या था? उसके पक्ष में लंबे लंबे पोस्ट लिखे। वीडियो डाली। इजरायल के खिलाफ अपशब्द लिखा।

सोशल मीडिया पर एक उपयोगकर्ता को पढ़ रहा था, जिसने अपने दर्जनों कट्टरपंथी और प्रगतिशील मित्रों की तरह ईरान के समर्थन में लेख लिखा। उसके तर्कों में भी मजहबी एकजुटता का प्रभाव दिखाई दिया। क्या अब यह मान लिया जाए कि वह मजहबी एकता ही है जो कुछ लोगों को भारत के अंदर ईरान के पक्ष में खड़ा कर रही है, भले ही वह भारत के हितों के खिलाफ हो?

ईरान, एक शिया-बहुल इस्लामिक देश है, और पाकिस्तान, एक सुन्नी-बहुल देश, के बीच संबंध जटिल हैं। फिर भी, क्षेत्रीय भू-राजनीति में इस्लामी मजहबी एकजुटता कभी-कभी राष्ट्रीय हितों से ऊपर उठ जाती है। भारत के कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ता, जो ईरान का समर्थन करते हैं, शायद इस्लामी मजहबी पहचान को प्राथमिकता देते हैं। यह भारत के धर्मनिरपेक्ष चरित्र और राष्ट्रीय हितों के लिए चुनौती बन सकता है। हालांकि, भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह और आर्थिक सहयोग जैसे रणनीतिक हित भी हैं, लेकिन हाल की घटनाओं ने दिखाया कि ये रिश्ते तब कमजोर पड़ जाते हैं, जब भारत को निर्णायक समर्थन चाहिए।

दूसरी ओर, इजरायल ने मौके पर भारत का खुलकर साथ दिया। वह रक्षा साझेदारी में भारत का मजबूत सहयोगी साबित हुआ है। इजरायल का रुख भारत के लिए अधिक विश्वसनीय रहा है, खासकर जब पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का मुकाबला करने की बात आती है। भारत और इजरायल के बीच बढ़ता गठजोड़ न केवल रणनीतिक है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ साझा मूल्यों पर आधारित है।

ईरान का रुख भारत के लिए सबक है कि पुराने सांस्कृतिक रिश्तों पर ‘अंधविश्वास’ नहीं करना चाहिए। जैसाकि भारत के कुछ मुसलमान सोशल मीडिया एंफ्लूएंसर और कथित प्रगतिशील कर रहे हैं। जब राष्ट्रीय सुरक्षा दांव पर हो, तो भारत को उन सहयोगियों पर भरोसा करना होगा जो वास्तव में उसके साथ खड़े हैं। इस्लामी मजहबी एकजुटता शायद कुछ लोगों के लिए प्रेरणा हो, लेकिन भारत के लिए प्राथमिकता उसका हित और सुरक्षा होनी चाहिए।

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आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु

आशीष कुमार अंशु एक पत्रकार, लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता हैं। आम आदमी के सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों तथा भारत के दूरदराज में बसे नागरिकों की समस्याओं पर अंशु ने लम्बे समय तक लेखन व पत्रकारिता की है। अंशु मीडिया स्कैन ट्रस्ट के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं और दस वर्षों से मानवीय विकास से जुड़े विषयों की पत्रिका सोपान स्टेप से जुड़े हुए हैं

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