खेती, किसानी और पर्यावरण पर मीडिया सम्मेलन
जयपुर। मीडिया स्कैन और ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में ’खेत, किसान और पर्यावरण के मुद्दे पर मीडिया से जुड़े सवाल’ पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। झालाना सांस्थानिक क्षेत्र स्थित राजस्थान प्रौढ़ शिक्षण समिति में हुए इस कार्यक्रम में खेती किसानी को मीडिया में अधिक जगह मिले और विचार का मुख्य विषय बने, इस पर चर्चा की गई।
राज्य के सहकारिता विभाग एवं उड्डयन मंत्री ने कहा कि इन मुद्दों पर बात बहुत हो रही हैं। लेकिन ध्यान कम दिया जा रहा है। मीडिया हर बार रासायनिक खाद की कमी पर खबर करता है। लेकिन सरकार जैविक खेती और पर्यावरण पर काम कर रहीं हैं। उसे मीडिया में जगह नहीं मिल रही हैं। सरकार निरंतर काम कर रहीं हैं लेकिन समय लगेगा। सरकार ने 7 करोड़ पौधे लगाएं, इनके लिए वृक्ष मित्रों की भर्ती कर रहीं हैं। मंत्री गौतम कुमार ने सरकार की योजनाओं के बारे में बताया।
कार्यक्रम में वक्ता के रूप में ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन के प्रमोद शर्मा ने कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए कहा कि हमने खेतों और भूमि को प्रदूषित करने का काम किया हैं। हमने भूमि के प्राकृतिक भोजन को खत्म कर दिया है। आज हम रसायनों को खेतों में भर भर के डाल रहे हैं। जिससे खेत, किसान और पर्यावरण को खत्म कर रहे हैं। आज मीडिया हर मोबाइल में है। आज के समाचार पत्रों से खेत, किसान और पर्यावरण का पृष्ठ गायब हो गया है। यह निराशाजनक है। इसे वापस लाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार हिरेन जोशी ने बताया कि हमारे राज्य ने छप्पनियां अकाल देखा है। लेकिन अब ऐसे अकाल नहीं हो सकते हैं क्योंकि सरकार किसानों के लिए प्रतिबद्ध हैं। आज राजस्थान की सरकार ने केंद्र सरकार के सहयोग से मध्यप्रदेश सरकार के साथ मिलकर ईआरसीपी योजना का समझौता किया। यह योजना खेत, किसान और पर्यावरण के लिए वरदान साबित होगा। पानी के बिना किसान और किसानी की कल्पना करना बेईमानी होगी। इस समझौते से 21 जिलों के 83 विधानसभा क्षेत्रों के किसानों को लाभ देगा। मीडिया ने रामगढ़ बांध पर खबर की कि रामगढ़ बांध मर गया है। खबर का परिणाम यह हुआ कि सरकार ने इस पर काम किया और यह बांध आज जिंदा हो रहा है। सरकार ने राइजिंग राजस्थान के तहत लाखों करोड़ों का समझौता किया है। यह सब किसान के लिए ही हो रहा है। सरकार इन मुद्दों पर काम कर रहीं हैं। सरकार को मीडिया के सहयोग की आवश्यकता है। क्योंकि किसान तक प्रचार प्रसार के माध्यम से पहुंचा जा सकेगा।
लेखराम यादव (करोड़पति किसान) ने बताया कि मैंने नौकरी छोड़ कर, 120 एकड़ भूमि पर खेती शुरू की थी। हम भारतीय खेती से जुड़े ग्रंथों के सूत्रों के सहयोग से मैं 1150 एकड़ तक की खेती पर पहुँच गया हूँ। आज मैं जैविक खेती से 10 गुने तक उत्पादन ले रहा हूँ। किसानों की समस्याओं पर अगर सरकार और मीडिया ध्यान दें तो देश में जैविक खेती को बढ़ावा मिल सकता हैं।
युवा एक्टिविस्ट तनया प्रफुल्ल गडकरी ने बताया कि पर्यावरण के पथ पर अग्रसर होने की आवश्यकता है। आज हम कई खाद्यान्न उत्पादन में विश्व पर प्रथम श्रेणी में है। यह सब मीडिया और सरकार के कार्यक्रम से ही हो पाया है। लेकिन मीडिया नकारात्मक दिशा की आवाज को अधिक उठा रहा है। इसका उदाहरण दिल्ली का किसान आंदोलन है। इन मुद्दों पर कनेक्ट और निरन्तरता की भी जरूरत है। इन मुद्दों पर जन आंदोलन की जरूरत है ताकि यह हर आदमी तक पहुंचे। अगर ऐसा होता है। तो मीडिया भी खबर करेगी।
कार्यक्रम में रमन कांत त्यागी, आदित्य भारद्वाज, विद्यानाथ झा, अंकित तिवारी, राजेश मेठी, सहित कई युवा किसान, पत्रकार, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता उपस्थित रहें।