इमरान सरकार की आलोचना पाक सेना के खिलाफ कठोर टिप्पणी करने पर अनिश्चित काल तक हटाए गए पाकिस्तानी के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने की है। उन्होंने कहा है कि इमरान खान एक ‘असहाय’ प्रधानमंत्री हैं और देश के मीडियाकर्मियों में डर का माहौल बनता जा रहा है।
मंगलवार को डॉन अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार, इस्लामाबाद से बीबीसी वर्ल्ड सर्विस को दिए इंटरव्यू में मीर ने पाकिस्तान में प्रेस की स्वतंत्रता के घटते दायरे और पत्रकारों के प्रति बढ़ते ‘डर के माहौल’ की आलोचना की।
बीबीसी के शो ‘हार्ड टॉक’ के होस्ट स्टीफन सैकर से मीर ने कहा, ‘पाकिस्तान में लोकतंत्र होकर भी नहीं है। यहां सिर्फ नाममात्र के लिए ही लोकतंत्र रह गया है। यहां संविधान भी नाममात्र का है और मैं पाकिस्तान में सेंसरशिप का जीता जगता उदाहरण हूं।’
मीर ने कहा कि देश में मीडियाकर्मियों पर जिस तरह से हमले हो रहे हैं, उसकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। इस्लामाबाद से बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में मीर ने प्रेस की आजादी के लिए सिकुड़ती जगह और पाक में पत्रकारों के लिए भय के बढ़ते माहौल की भी निंदा की।
उन्होंने होस्ट स्टीफन सैकर के साथ हुई बातचीत में कहा कि पाकिस्तान के पत्रकार वहां पर कानून का राज चाहते हैं। यदि कोई पत्रकार इस बाबत किसी सवाल का जवाब चाहता है तो उसकी आवाज को दबाना नहीं चाहिए।
क्या पत्रकारों पर हुए हमले में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का भी हाथ है? पूछे जाने पर मीर ने कहा कि इसके दस्तावेजी सबूत मौजूद हैं। स्टेट एजेंसी और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों पर पत्रकारों पर हमले करवाने और उन्हें अगवा कराने के आरोप बार बार लगते रहे हैं। उनके खिलाफ भी सरकार और सेना की तरफ से कई मामले दर्ज करवाए गए हैं, जिसके लिए वह पूरी जिंदगी जेल में सड़ने को भी तैयार हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि वह ऐसा करते हैं और उन्हें सजा होती है तो कम से कम इससे पूरी दुनिया को इस बारे में पता तो चल जाएगा कि आखिर पाकिस्तान में हो क्या रहा है।
यह पूछे जाने पर कि क्या प्रधानमंत्री इमरान खान व्यक्तिगत तौर पर उन पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं? इस पर मीर ने जवाब दिया, ‘मेरे ऊपर लगाई गई पाबंदी के लिए इमरान खान सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं हैं। मुझे नहीं लगता कि वह मुझे (टीवी से) हटाना चाहते हैं। लेकिन पिछले प्रधानमंत्रियों की तरह वह बहुत ताकतवर प्रधानमंत्री नहीं हैं। वह असहाय हैं और मेरी मदद नहीं कर सकते।’
उन्होंने इंटरव्यू में कहा कि पाकिस्तान में हमेशा से ही प्रेस की आजादी को लेकर सरकार की आलोचना होती रही हैं। जून में तीन इंटरनेशनल राइट्स ग्रुप ने अपने एक संयुक्त बयान में पाकिस्तान में प्रेस पर लगी पाबंदी पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। इस बयान में सरकार की भी कड़ी आलोचना की गई थी। ह्यूमन राइट वाच, एमनेस्टी इंटरनेशनल और इंटरनेशनल कमीशन आफ ज्यूरिस्ट्स ने कहा था कि इसके खिलाफ दोषियों को सजा दी जानी चाहिए।
बता दें कि पाकिस्तान के ताकतवर सैन्य प्रतिष्ठान के विरुद्ध कड़ी टिप्पणी करने पर मीर के कार्यक्रम पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था। वह जियो न्यूज चैनल पर प्राइमटाइम राजनीतिक चर्चा के शो ‘कैपिटल टॉक’ के मेजबान थे, जिसे अब बंद कर दिया गया है। इस्लामाबाद में पत्रकार और यू-ट्यूबर असद अली तूर पर तीन अज्ञात व्यक्तियों द्वारा हमले के विरोध में 28 मई को पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें मीर ने आक्रोश से भरा भाषण दिया था। मीर ने हमले की जवाबदेही तय करने की मांग की थी, जिसके बाद 30 मई को उनका शो बंद कर दिया गया था। देश की सेना के विरोध में बोलने वाले पत्रकारों पर इस तरह के हमले होते रहे हैं।