वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की मानहानि के मामले में दिल्ली की एक अदालत ने पत्रकार प्रिया रमानी को बरी कर दिया है। कोर्ट में यह मामला दो साल से अधिक समय तक चला।
मीडिया खबर के अनुसार, अदालत ने माना कि किसी महिला को अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न के खिलाफ आवाज बुलंद करने पर दंडित नहीं किया जाना चाहिए। अदालत का यह भी कहना था कि किसी भी महिला को दशकों बाद भी अपनी शिकायत रखने का अधिकार है। इसके साथ ही कोर्ट ने प्रिया रमानी को इस मामले में बरी कर दिया।
कोर्ट का यह भी कहना था कि यौन शोषण से गरिमा और आत्मविश्वास का काफी ठेस पहुंचती है। प्रतिष्ठा के अधिकार को गरिमा के अधिकार की कीमत पर सुरक्षित नहीं किया जा सकता है। समाज को यह समझना चाहिए कि शारीरिक उत्पीड़न और शोषण का पीड़िता पर कितना गहरा असर पड़ता है।
मालूम हो कि #MeToo कैंपेन के तहत प्रिया रमानी ने एमजे अकबर पर तकरीबन 20 साल पहले उनके साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। हालांकि, अकबर ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। यौन उत्पीड़न के आरोप लगने के बाद अकबर ने प्रिया रमानी के खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में 15 अक्टूबर 2018 को मानहानि का मुकदमा दायर किया था।
एमजे अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को इसके बाद विदेश राज्य मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार ने अकबर और रमानी के वकीलों की दलीलें पूरी होने के बाद इस साल एक फरवरी को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।