अमिय भूषण
जहाँ भी साधु संत गुरुजन और शुभेच्छु संगठन एवं उसके संगठक तथा सहयोगी मंत्री एवं अन्यन्य शुभचिंतक सब लोग स्वार्थ अथवा भय से सत्य से परहेज करे और उचित सुझाव नही दे तो सर्वविध नाश ही होता है।केवल प्रशासन अव्यवस्था को भेंट नही चढ़ता अपितु यह शासनकर्ता एवं राज्य के लिए भी आपदा लाता है।यही नही अंततः यह सभी सहायक संगठन एवं व्यवस्थाओं को भी निगल लेता है।वही प्रजा राष्ट्र और धर्म का भी शीघ्रता शीघ्र पूर्णतया नाश होता है।इसलिए रामचरितमानस मे कहा गया है-
“सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस।राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास”॥
अगर हिन्दू जनमानस के साथ यही सब कुछ होता रहा तो न ही मोदी न मोदी राज न ही भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचार परिवार और ना ही कोई द्वारा अखाड़ा,महंत श्रीमहंत,मंडलेश्वर महामंडलेश्वर,जगतगुरु या कोई सदगुरू बचेंगे।यहाँ तक की कोई भी आध्यात्मिक संस्था,चेतना और दर्शन एवं विचार नही रह पाएगा।यहाँ तक की ज्ञान के अपौरुषेय स्रोत वेद भी इसकी भेंट चढ़ जाएंगे।अतः आइये हम सभी अपने कर्तव्यों का पालन करें।विपक्ष एवं वैचारिक विरोधियों से सवाल और सत्ता एवं व्यवस्थाओं पर दवाब बनाये।अन्यथा यही होगा की-
“जगत बिदित तुम्हारि प्रभुताई।सुत परिजन बल बरनि न जाई॥
राम बिमुख अस हाल तुम्हारा।रहा न कोउ कुल रोवन हारा”॥
बाकी मणिपुर के वर्तमान हालात की ये कहानी है।जहां एक हिंदू पुजारी की हत्या कर दी गई है। मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया है और लगातार हिंदूओं पर ड्रोन बम से हमला किया जा रहा है। ये जानकारी मणिपुर के एक अभागे हिंदू ने भेजी है, जहाँ विगत एक वर्ष से हिंसा जारी है।हिंदू धर्मांतरण के नाते साढ़े बारह लाख से अब दस लाख हो चला है।वही अब पलायन और सामूहिक नरसंहार अथवा धर्म परिवर्तन की बारी है।
बात अगर विदेशी आक्रांत बर्बर एवं धर्मान्तरित ईसाई कुकी समुदाय की करे तो इनकी आबादी वृद्वि दर दो सौ प्रतिशत है।वही यहाँ से होकर चलने वाला ड्रग्स कारोबार लगभग पूरा का पूरा इनके हाथों में है।यह कारोबार मणिपुर राज्य के कुल बजट से भी कही बड़ा है।
इसके साथ इन्हें अबतक केवल भारतीय नागरिकता ही नही मिलती आई है बल्कि अल्पसंख्यक एवं अनुसूचित जनजाति होने का दोनों शासकीय लाभ भी लगातार मिलता रहा है।इसके अलावे शासकीय दृष्टिकोण से पूर्वोत्तर भारत के जनजातीय पहचान वाले राज्य के निवासी और जनजातीय समुदाय से होने के नाते ये सभी प्रकार के कर(tax) से भी वंचित है भले ही इनकी आमदनी करोड़ों में हो।इन सब तथ्यों के प्रमाण हेतु आप मणिपुर पर विभिन्न अखबार एवं पत्रिकाओं के लिए लिखे मेरे आलेखों को भी देख सकते है।वही सूचना के अधिकार या फिर सरकारी वेबसाईट पर उपलब्ध आंकड़ों पर भी नजर मार सकते है।
बाकी अगर इन चित्रों की व्यथा कथा कहूँ तो इसे मणिपुर के किसी अभागे हिंदू ने भेजा है।यह दुखद घटना विष्णुपुर जिले के मोइरांग मे कल यानी 6 सितंबर के दोपहर 2 बजे हुई है।मणिपुर का यह क्षेत्र कभी शिव पार्वती की क्रीड़ा स्थली रही है जिसका प्रमाण विश्व प्रसिद्ध लोकटक झील है।वही इस जगह का इतिहास नेताजी सुभाषचंद्र बोस और आजाद हिन्द फौज से जुड़ाव का रहा है उनकी स्मृतियाँ यहाँ अब भी मौजूद है।जबकि यहाँ के राजा ने बर्मा विजय के उपलक्ष्य में भगवान विष्णु का एक मंदिर बनाते हुए इस सम्पूर्ण भूमि को भगवान विष्णु के नाम कर दिया था।यह घटना सन् 1467 की है तब से इसका नाम विष्णुपुर है।