कवि सम्मेलन के रंग में रंगा संस्कार भारती का कला संकुल

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राधेश्याम तिवारी

दिल्ली: 15 अगस्त, 2024 को दिल्ली के संस्कार भारतीय सभागार में संजना बुक्स, दिल्ली- के तत्वावधान में एक कवि- सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस आयोजन की बड़ी सफलता ही मानी जाएगी कि पूरा हाॅल श्रोताओं से भरा हुआ था। इसमें वरिष्ठों के अलावा कुछ कवि बिलकुल नये थे। मगर उनकी भी कविताएं और प्रस्तुति बेहद प्रभावी लगीं। आमंत्रित कवियों में राधेश्याम तिवारी, अभिषेक उपाध्याय, जसवीर त्यगी, इरशाद खान सिकंदर, रमा यादव, जसवीर त्यागी, तरकश प्रदीप, काजल सूरी, मंजू दहाल, राम मेहर एवं प्रतिष्ठा तिवारी थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता उदय सहाय जी ने की और सफल संचालन युवा कवि रोशन झा ने। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में उदय जी ने पुस्तकों के प्रति संजना तिवारी के समर्पण-भाव की सराहना की। मुख्य अतिथि वरिष्ठ रंगकर्मी सागर जी थे।

अंत में आभार व्यक्त करते हुए संजना बुक्स की संजना तिवारी ने कहा कि मैं हृदय से आप सबों के प्रति आभारी हूं कि आप लोगों ने अपना मूल्यवान समय निकालकर इस कार्यक्रम को सफल बनाया। उन्होंने कहा कि यहां उपस्थित रंगकर्मियों एवं साहित्य-प्रेमियों के प्रति मैं विशेष रूप से आभारी हूं।

पुस्तकों के प्रचार-प्रसार के संबंध में अपने संघर्ष का जिक्र करते हुए संजना तिवारी ने कहा कि मेरी इस यात्रा में आप सब की बड़ी भूमिका है। सच कहूं तो यह संघर्ष- यात्रा मेरी अकेले की नहीं है, आप सबकी है। उन्होंने कहा कि मेरी बराबर यह कोशिश रही है कि नयी पीढ़ी भी अधिक से अधिक पुस्तकों से जुड़े। मुझे खुशी होती है कि अपनी इस कोशिश में मैं बहुत हद तक सफल भी हुई हूँ। इन्होंने कहा कि जब मुझसे कोई कहता है कि नई पीढ़ी को पुस्तकों से लगाव नहीं है तो मैं  उन्हें बताती हूँ कि आप अपनी धारणा बदलिए। नई पीढ़ी खूब पढ रही है। मैं इसका साक्षी हूँ। मैं वर्षों से इसी अभियान में लगी हूँ। इसे आप मेरा दुस्साहस भी कह सकते हैं। यह काम छोटी- सी नौका लेकर समुद्र पार करने जैसा है। संजना तिवारी ने कहा कि  यह संभव इसलिए भी हो सका कि आप सबने मुझे भरपुर संबल दिया है। मैं जब भी साहित्य और कला-प्रेमियों के बारे में सोचती हूं तो मुझे अंग्रेज कवि किड्स की ये पंक्तियां याद आती हैं –

“आप में इतनी सारी चीजें हैं
और आप हैं मेरे पास
फिर मैं कैसे कहूं कि
मेरे पास कुछ भी नहीं है।”

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