कुत्ते पाले हैं मैंने। बारी बारी लगभग दस दस साल एक फीमेल डाबरमेन और एक पामेरियन डॉग घर मे रहे और फिर कुछ महीनों तक एक बच्चा बीगल साथ में रहा। कुत्तों की इतने दिन की संगत के बाद मेरी राय यह कि आदमी को कुत्ते पालने से परहेज करना चाहिए।
इस बात से इनकार नही कि वो आपसे प्यार करते है पर इनका प्यार अग्निसाक्षी के नाना पाटेकर टाईप का होता है। तुम किसी और को चाहोगी तो मुश्किल होगा जैसा। आप किसी और से प्यार जताएँगे तो ये गुर्राएँगे ।कोई आप के नज़दीक आना चाहेगा तो ये नाराज़ होंगे। ये हों तो आपका कहीं आना जाना मुश्किल। आप कहीं गए तो ये देवदास के रोल मे घुस जाएँगे। खाना पीना छोड़ देगें। टसुए बहाएँगे। आप जिनके भरोसे छोड़ आएँ है उसे,उसका खाना खराब कर देगें। और कुत्ते से दूर रहकर आपके हाल भी बेहाल होंगे,चाहे आप रामेश्वर मे मोक्ष की कामना कर रहे हों या गोवा मे सुंदरियाँ ताड़ रहे हों ,कुत्ता आपके मन मे घुसा रहेगा और आप कुछ नही कर पाएंगे।
और आप इस गलतफहमी मे मत रहिए कि आपने कुत्ता पाला है। दरअसल उसने आपको पाला हुआ होता है। सुबह शाम टहलना होता है उसे। सुबह तेज बारिश हो रही है। खतरनाक किस्म की ठंड है। कोहरा छाया हुआ है।आप रात को देर से सोए हैं। तबीयत ठीक नही लग रही आपको ,आप बिस्तर मे घुसे रहना चाहते है। पर आपका कुत्ता सुबह सूरज निकलते ही आपकी छाती पर चढ़ बैठेगा। आप चाहे या न चाहे आपको उसकी बेल्ट पकड़कर कॉलोनी पार्क सड़कों पर टहलना ही पड़ेगा। आप नही टहलाते कुत्ते को फिर,वो आपको टहलाता है ,वो जिधर जाना चाहे जाता है और आप उसके पीछे पीछे घिसटते है।फिर कुत्ते को नहलाना धुलाना,मना मना कर खाना खिलाना ऐसे काम जैसे आपने एक और बच्चा पैदा कर लिया हो और मुश्किल यह भी कि यह बच्चा कभी बड़ा नहीं होता।
और फीमेल डॉग पालना तो और बवाल ए जान। उसके बड़े होते ही मोहल्ले शहर के तमाम कुत्ते, लार टपकाते हुए आपके घर के आसपास मंडराने लगते है। फीमेल डॉग को हर कुत्ता पसंद आ जाता है और उसकी चरित्र रक्षा के प्रबंध करने मे आपकी नींदे हराम हो जाती है।आप झुंझलाते है। नाराज़ होते है ,पैर पटकते है और फिर हार जाते है।आपकी डॉगी आपके हर पहरेदार को मात दे देती है। हर चारदीवारी फलांग जाती है। माँ बनती है। दस बारह छोटे छोटे पिल्लों के नाना बनते है आप और उन्हें ठिकाने लगाने में आपकी अपनी नानी मर जाती है।
और फिर कुत्ता किसी को न काटे तो वो काहे का कुत्ता। आपका कुत्ता किसी को काट ले। खरोंच दे तो इससे बडी आफत कोई दूसरी नही। जिसे काटा खरोंचा हो आपके कुत्ते ने उससे विनती कीजिए आप। लड़िये झगड़िए मनाइए उसे। उसका इलाज करवाइए। और जब ये सब करते है आप तो और कुछ करने लायक़ नही रह जाते। कुत्ता यदि पड़ोसी के लॉन में पेशाब न करे तो उसका कुत्ता होना गिना नहीं जाता। ऐसे में कुत्ते पालने वाले को पड़ोसी गालियाँ देते ही है चाहे वो मन ही मन दी गई हो।
कुत्ता पालने वाला आदमी कुत्ते का बंधक होता है ,कुत्ता उसकी दिनचर्या निर्धारित करता है और जब तक जिंदा रहता है आदमी को उसका गुलाम होकर रहना पड़ता है। उससे कुत्तों की गंध आने लगती है ,दूसरों के कुत्ते भी उसे देख पूंछ हिलाने लगते है। वो फिर कुत्तो की ही दुनिया मे रहता है और दूसरे लोग उससे मिलने मे कतराते है।
और फिर जब कुत्ता मरता है तो ऐसा लगता है कि घर का कोई मेंबर मर गया हो। सन्नाटा छा जाता है घर मे। आप उदास होते है ,मातम मनाते है और फिर खुद से ,अपनी बीबी से ,बच्चों से ,आने जाने वालो से बस कुत्ते की बात करते है। कसम खाते है कि अब कभी कुत्ता नही पालेंगे और फिर कुछ दिनों महीनों बाद एक दूसरा कुत्ता आपके घर मे होता है।
कुत्ता पालना आफत है। जी का जंजाल है।कुत्ते पालने से बचना चाहिए आदमी को। कुत्तों से प्यार करना अपने अपहरणकर्ता के प्रेम में पड़ जाने जैसा है। कुत्तों से प्यार करने का बहुत मन हो तो पड़ोसी या किसी दोस्त के कुत्ते से बतिया कर ,सहला कर संतोष कर लेना चाहिए। यह सलाह इसलिए क्योंकि हम अपने भूतकाल में कुत्ता पाल चुके और अब कुत्तों से दूर रहते है।
(लेख मुकेश नेमा ने लिखा है। गजब ही लिखा है। पढ़िए, फिर तय करिए)