बिहार में कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति ने राष्ट्रपति शासन की चर्चाओं को हवा दी है। हाल के अपराधों और हिंसा की घटनाओं ने जनता और सोशल मीडिया पर यह मांग उठाई है कि नीतीश कुमार की सरकार असफल हो रही है, और राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र समाधान है।
सवाल यह है कि क्या राष्ट्रपति शासन के तहत निष्पक्ष और व्यवस्थित चुनाव संभव होंगे? यह एक जटिल मुद्दा है, जिसके विभिन्न पहलुओं पर विचार करना आवश्यक है।
राष्ट्रपति शासन की पृष्ठभूमि और वर्तमान संदर्भ
बिहार में 1968 से 2005 तक आठ बार राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है, मुख्य रूप से राजनीतिक अस्थिरता या कानून व्यवस्था की विफलता के कारण। हाल के महीनों में हत्याएं, अपहरण, और सामाजिक अशांति की खबरों ने जनता में डर और असंतोष पैदा किया है। नीतीश कुमार पर कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने में नाकाम रहने के आरोप लग रहे हैं। कुछ लोग मानते हैं कि राष्ट्रपति शासन से केंद्रीय नियंत्रण के तहत स्थिति सुधर सकती है, क्योंकि केंद्र सरकार और गवर्नर के नेतृत्व में प्रशासनिक कठोरता बढ़ सकती है।
निष्पक्ष और व्यवस्थित चुनाव की चुनौतियां
राष्ट्रपति शासन के तहत चुनाव कराना संवैधानिक रूप से संभव है, लेकिन निष्पक्षता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। अनुच्छेद 356 के अनुसार, राज्य सरकार को भंग कर केंद्र सरकार प्रशासन संभालती है। इससे केंद्रीय बलों की तैनाती और सुरक्षा व्यवस्था मजबूत हो सकती है, जो व्यवस्थित चुनाव में सहायक है। हालांकि, इतिहास बताता है कि राष्ट्रपति शासन का दुरुपयोग राजनीतिक विरोधियों को कमजोर करने के लिए हो सकता है। 2005 में बिहार में राष्ट्रपति शासन और विधानसभा भंग करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक माना था, क्योंकि यह राजनीतिक दबाव से प्रभावित था। यह निष्पक्षता पर सवाल उठाता है।
भारत निर्वाचन आयोग, जो अनुच्छेद 324 के तहत स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की जिम्मेदारी लेता है, को कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। बिहार जैसे राज्य में सामाजिक-आर्थिक असमानताएं, जातिगत प्रभाव, और स्थानीय गुटबाजी मतदाता व्यवहार को प्रभावित करते हैं। राष्ट्रपति शासन में केंद्रीय प्रशासन के तहत स्थानीय राजनीतिक दबाव कम हो सकता है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से पक्षपात के आरोप भी लग सकते हैं। इसके अलावा, घुसपैठ या बाहरी तत्वों के प्रभाव की आशंका भी निष्पक्षता को खतरे में डाल सकती है।
राष्ट्रपति शासन बिहार में कानून व्यवस्था को स्थिर करने का एक उपाय हो सकता है, लेकिन निष्पक्ष और व्यवस्थित चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग को पारदर्शिता, कठोर निगरानी, और स्वतंत्रता सुनिश्चित करनी होगी। केंद्रीय बलों की तैनाती और सख्त प्रशासनिक उपाय व्यवस्था को मजबूत कर सकते हैं, लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप और स्थानीय चुनौतियां निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती हैं। बिहार में शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव के लिए सामाजिक जागरूकता और प्रशासनिक निष्पक्षता का संतुलन आवश्यक है।